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उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग परीक्षा की रणनीति

रणनीति

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में सफलता सुनिश्चित करने के लिए परीक्षा पाठ्यक्रम के अनुसार रणनीति बनाने की आवश्यकता होती है।
परीक्षा की उचित रणनीति पर ही परीक्षा में सफलता व असफलता निर्धारित होती है।
परीक्षा के तीनों चरण आपस में विशिष्ट प्रकृति के होते हैं। अतः प्रत्येक चरण के लिए विशिष्ट रणनीति की आवश्यकता होती है।

साक्षात्कार की रणनीति-

मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों का चयन साक्षात्कार के लिए किया जाता है।
मुख्य परीक्षा के साथ साथ साक्षात्कार के अंक भी मेधा सूची में शामिल होते हैं। अतः साक्षात्कार समस्त परीक्षा में एक निर्णायक भूमिका निभाता है।
इस परीक्षा में पद की गरिमा के अनुसार अभ्यर्थी के व्यक्तित्व को परखा जाता है।

प्रारंभिक चरण की रणनीति

सर्वप्रथम परीक्षा के पाठ्यक्रम को पढ़कर अच्छी तरह से समझना चाहिए, अभ्यर्थी को पाठ्यक्रम के पहलुओं में रुचि के अनुसार वरीयता देनी चाहिए।
रुचि के विषयों को वरीयता देने के अतिरिक्त विगत 10 वर्षों में आए प्रश्नपत्रों का विशेष अध्ययन करना चाहिए तथा इनमें आए विषयों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
प्रारंभिक परीक्षा में प्रश्नों की प्रकृति वस्तुनिष्ठ होती है, जिससे इसमें तथ्यों को याद रखना अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। इसलिए तथ्यों को नोट कर नियमित रूप से उनका अभ्यास करना महत्वपूर्ण हो जाता है।
रणनीति बनाने के साथ प्रश्नपत्रों को हल करने के लिए निश्चित समय निर्धारित किया जाना आवश्यक है।
पाठ्यक्रम में दिए गए विशेष बिंदुओं जैसे सामान्य अध्ययन पेपर 1 में राष्ट्रवाद की वृद्धि पर विशेष रूप से गहन अध्ययन की आवश्यकता होती है।
मानसिक अध्ययन संबंधी प्रश्नों पर नियमित रूप से अभ्यास की आवश्यकता होती है।
समसामयिक घटनाओं से पूछे जाने वाले प्रश्नों के लिए नियमित रूप से समाचार पत्रों को पढ़ना लाभकारी तो हो सकता है लेकिन समाचार पत्रों में आने वाले लेखों को परीक्षा की दृष्टिकोण से पहचानना आवश्यक हो जाता है। इसके लिए योजना आइएएस की वेबसाइट पर नियमित रूप से आने वाले समसामयिक लेखों को पढ़ना लाभकारी हो सकता है। इससे कम समय में महत्वपूर्ण लेखों की विश्लेषण युक्त जानकारी अभ्यर्थी को मिल जाती है।
परीक्षा के पाठ्यक्रम में दिए गए तथ्यों को उत्तर प्रदेश राज्य से जोड़कर पढ़ना लाभकारी हो सकता है।
प्रारंभिक परीक्षा से 20-30 दिन पूर्व परीक्षा की तैयारी के लिए पूर्व परीक्षा में आए हुए प्रश्नों का हल करना लाभकारी सिद्ध होता है इससे अभ्यर्थी परीक्षा के माहौल में परीक्षा देने का अभ्यस्थ हो जाता है और परीक्षा के दबाव में ज्ञात उत्तरों में होने वाली त्रुटियों की संभावना समाप्त हो जाती है। इसके साथ ही पूर्व परीक्षा के प्रश्नों के दोबारा आने पर उन प्रश्नों को आसानी से हल किया जा सकेगा।
क्योंकि परीक्षा में कोई नेगेटिव मार्किंग नहीं है इसलिए परीक्षा में कोई भी प्रश्न न छोड़ने की तैयारी पहले से करना चाहिए।

मुख्य परीक्षा की रणनीति

मुख्य परीक्षा वर्णात्मक प्रकार की होती है इसलिए मुख्य परीक्षा की रणनीति भिन्न होनी चाहिए।
मुख्य परीक्षा के अंकों को अंतिम मेधा सूची में शामिल किया जाता है, इसलिए मुख्य परीक्षा की रणनीति अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
मुख्य परीक्षा में सामान्य हिंदी की परीक्षा अत्यधिक विशिष्ट होती है जो होती तो क्वालिफाइंग है लेकिन इसमें असफल अभ्यर्थी के अन्य उत्तर  पुस्तिकाओं की जाँच नहीं की जाती है। इसलिए हिंदी के लिए रणनीति सबसे विशिष्ट हो जाता है।
सामान्य हिंदी में सफल होने योग्य अंक लाने के लिए हिंदी व्याकरण की समझ बनाना आवश्यक होता है।
सामान्य अध्ययन में इतिहास की तैयारी के लिए भारत के इतिहास को उत्तर प्रदेश के इतिहास से जोड़कर देखना चाहिए, इससे न सिर्फ भारत के इतिहास तथा उत्तर प्रदेश के इतिहास की साथ तैयारी हो जाएगी बल्कि परीक्षा में इसी प्रकार के प्रश्नों के आने की संभावना होती है। जैसे भारत छोड़ों आंदोलन में उत्तर प्रदेश की भूमिका से संबंधित प्रश्न।
सामान्य अध्ययन पेपर 2 की तैयारी के लिए भी पाठ्यक्रम के बिंदुओं को बिहार से जोड़कर पढ़ना चाहिए। जैसे- भारतीय राजव्यवस्था, भारत का भूगोल, भारत के विकास में विज्ञान व प्रौद्योगिकी भूमिका आदि।
कुछ परीक्षाओं की तैयारी के लिए एनसीईआरटी पुस्तकें मददगार साबित होती हैं, जैसे- सांख्यिकीय।
वर्णनात्मक प्रकृति के प्रश्नों को उचित समय में करना एक चुनौती है इसके लिए परीक्षा से पूर्व उत्तर लेखन की पर्याप्त तैयारी आवश्यक हो जाती है। जिसमें सटीक उत्तर के साथ साथ हस्त लेखनी पर भी उचित ध्यान देना आवश्यक होता है।