क्वाड में भारत-अमेरिका संबंध

क्वाड में भारत-अमेरिका संबंध

संदर्भ

  • एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा कर्तव्यों को साझा करने वाले समान विचारधारा वाले सहयोगियों के लिए अमेरिका सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वृहद् भारत-अमेरिकी सहयोग की हिमायत कर रहा है। भारत ही एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा जिम्मेदारियों को साझा कर सकता हैं।

क्वाड के बारे में-

  • इसे चतुर्भुज सुरक्षा संवाद के रूप में भी जाना जाता है।
  • इसमें चार सदस्य देश भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान है। ये सभी देश समुद्री सुरक्षा और व्यापार के साझा हितों पर एकजुट हुए हैं।
  • इसका उद्देश्य एक मुक्त, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्रसुनिश्चित करना तथा उसका समर्थन करना है।

राष्ट्रों के बीच साझा मूल्य हैं:

    • राजनीतिक लोकतंत्र
    • बाजार अर्थव्यवस्थाएं
    • बहुलवादी समाज

रूपरेखा

  • क्वाड का विचार पहली बार वर्ष 2007 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने रखा था। हालाँकि यह विचार आगे विकसित नहीं हो सका, क्योंकि चीन के ऑस्ट्रेलिया पर दबाव के कारण ऑस्ट्रेलिया ने स्वयं को इससे दूर कर लिया।
  • क्वाड गठबंधन को अंततः भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान की सक्रिय भागीदारी के साथ एक वर्तमान रूप दिया गया।
  • इसका उद्देश्य एक मुक्त, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्रका समर्थन करना है।
  • अंतत: वर्ष 2017 में भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान ने एक साथ आकर इस “चतुर्भुज” गठबंधन का गठन किया।

भारत के लिए क्वाड का महत्व-

  • माना जाता है कि क्वाड रणनीतिक तौर पर चीन के आर्थिक और सैन्य उभार को काउंटर करता है। यदि चीनी शत्रुता सीमाओं पर बढ़ती है, तो भारत मुकाबला करने के लिए अन्य क्वाड राष्ट्रों का समर्थन ले सकता है।
  • हालिया भारत-चीन सीमा पर गतिरोध और रूस की हस्तक्षेप और दबाव बनाने की अनिच्छा भारत को विकल्पों की तलाश करने के लिए मजबूर कर रही है।
  • क्वाड पूर्वी एशिया में अपने हितों को आगे बढ़ाने, शक्तिशाली मित्रों के साथ रणनीतियों का समन्वय करने और अपनी एक्ट ईस्ट पहल को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए एक शक्तिशाली मंच प्रदान करता है।
  • यह अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ भारत के संबंधों को गहरा कर रहा है और भारत के लाभ के लिए अफगानिस्तान-पाकिस्तान में अमेरिकी नीतियों को आकार देने में नई दिल्ली को महत्वपूर्ण लाभ प्रदान कर रहा है।
  • दुनिया भर में कोविड व्यवधान और चीन की गैर-पारदर्शी प्रणाली ने चीन के प्रति अविश्वास को बढ़ाया हैं।
  • भारत अपनी सॉफ्ट पावर बढ़ाने के लिए वैक्सीन और फार्मा उद्योग में अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठा सकता है।
  • चीन से अमेरिका और जापान जैसे देशों की ‘कारोबारी दूरी’ ने भारत को विश्व का नेतृत्व करने और विश्व का विनिर्माण केंद्र बनने का अवसर प्रदान करती है।

भारत का सागर पहल

  • सागर पहल (Security and Growth for All in the Region-SAGAR) द्वारा भारत इस क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा पर ज़ोर दे रहा है। इससे भारत अपनी तटीय अवसंरचना को सुदृढ़ करके अपनी क्षमता में वृद्धि करना चाहता हैं।
  • क्वाड के सहयोग से भारत को नौसेना को मजबूत तथा तटीय अवसंरचना को सुदृढ़ बनाने के लिए और कई रणनीतिक स्थानों तक पहुंच प्रदान कर सकता है।

क्वाड में भारत और यूएसए की वर्तमान स्थिति-

  • सदी की शुरुआत से ही भारत हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में खुद को एक प्रमुख शक्ति, प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता और सुरक्षा प्रदाता के रूप में मानता रहा है।
  • चीन शुरू से ही क्वाड का विरोध करता रहा है, क्योंकि इसे वह अपने वैश्विक उभार को रोकने वाली रणनीति के रूप में देखता है।

यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्थिति:

  • यूक्रेन युद्ध सामरिक स्वायत्तता का अभ्यास करने का एक अवसर रहा है। भारत ने तटस्थता अपनाते हुए वैश्विक शांति का समर्थन करते हुए, रूस के साथ अपने संबंध बनाए रखा है। जिससे सुरक्षा भागीदार के रूप में भारत की विश्वसनीयता पर सवाल उठे।
  • यहां तक कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत-अमेरिका के सामरिक हितों के बावजूद, वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच कई मुद्दे पर मतभेद बने हुए हैं

हिन्द प्रशांत क्षेत्र पर:

  • अमेरिका एशियाई क्षेत्र के देशों पर अपना प्रभुत्व और प्रभाव प्रदर्शित करना चाहता है साथ ही वह चीन के तेज़ी के साथ विश्व महाशक्ति के रूप में उभरने को काउंटर करना चाहता है।
  • इसके विपरीत, भारत हिंद-प्रशांत को एक ऐसे क्षेत्र के रूप में नहीं देखता है जो किसी विशेष राष्ट्र के प्रति शत्रुतापूर्ण है।
  • नई दिल्ली इसे एक “समावेशी” क्षेत्र मानता है और कई बार उसने हिन्द -प्रशांत की अपनी परिभाषा में चीन और रूस को शामिल करने का संकेत भी दिया है।

चीन का खतरा:

  • भारत, चीन की काल्पनिक मोतियों की माला नीति से परिचित हैं। इस नीति के ज़रिये वह भारत को घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है तथा इंडो पैसिफिक क्षेत्र पर अपनी उपस्थिति दर्शा रहा है।
  • चीन अपने ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल के माध्यम से विश्व की महाशक्ति के रूप में अपने को बदलने के लिये दुनिया के विभिन्न देशों में इंफ़्रास्ट्रक्चर तथा कनेक्टिविटी पर भारी निवेश कर रहा है।
  • दूसरी ओर, भारत सीधे तौर पर चीन का विरोध करने से बचता हैं, और चीन के साथ अपने संबंधों में प्रतिस्पर्धा-सहयोग मॉडल को बनाए रखना पसंद करता है।

समुद्री व्यवस्था” और “नेविगेशन की स्वतंत्रता” पर विचार:

  • भारत और अमेरिका के “समुद्री व्यवस्था” और “नेविगेशन की स्वतंत्रता” पर विपरीत विचार हैं।
  • दोनों के कानून की अलग-अलग व्याख्याएं हैं जहां भारत ने समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS) की पुष्टि की है, जबकि अमेरिका ने नहीं किया है, और वास्तव में, भारत की व्याख्या कानून की चीन की समझ के करीब है।
  • जबकि भारतीय कानून अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र में नेविगेशन संचालन की स्वतंत्रता के खिलाफ है, जबकि अमेरिका ‘समुद्री कन्वेंशन में निर्धारित अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत, सभी देशों के जहाजों, उनके युद्धपोतों को इस जलीय मार्ग से गुजरने का अधिकार है.’

भारत का संतुलित दृष्टिकोण

  • संतुलित दृष्टिकोण: यदि एशिया में स्थल क्षेत्र पर भारत-रूस साझेदारी महत्त्वपूर्ण है तो हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी समुद्री विस्तारवाद का मुक़ाबला करने के लिये ‘क्वाड’ अनिवार्य है।
  • चीन का मुकाबला कर सकने की अनिवार्यता भारतीय विदेश नीति की आधारशिला बनी हुई है और यूक्रेन में रूसी कार्रवाई पर दिल्ली के रुख से लेकर हर बात तक भारत की स्थिति इसी अनिवार्यता से प्रेरित है।
  • भारत संभवतः उन क्षेत्रों में चीनी कार्रवाइयों को स्पष्ट रूप से विरोध करने में अरुचि दिखाएगा , जो सीधे तौर पर उसके सुरक्षा हितों (मामले में, ताइवान या यहां तक कि यूक्रेन के रूप में वर्तमान संदर्भ में दिखाई देते हैं) को प्रभावित नहीं करते हैं।

आगे का रास्ता-

  • भारत एक वैश्विक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह अपने मूलभूत उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए जिस स्थिति में है उसका लाभ उठाने के अवसरों की तलाश करेगा। यूक्रेन समस्या के परिणामस्वरूप रूस के चीन के साथ अधिक संरेखण के कारण, भारत को चीन के प्रति संतुलन के रूप में रूस पर भरोसा करना अधिक कठिन लगता है। इसलिए, सुरक्षा से संबंधित अन्य क्षेत्रों में भारत और अमेरिका का एक साथ काम करना जारी रखना दोनों देशों के हित में होगा।

yojna ias daily current affairs hindi med 24th May 2023

 

 

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