20 Jun गांधी शांति पुरस्कार
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संदर्भ-
- वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने रविवार को सर्वसम्मति से वर्ष 2021 के गांधी शांति पुरस्कार के लिए गीता प्रेस, गोरखपुर का चयन किया।
- यह पुरस्कार अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक परिवर्तन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है।
प्रमुख बिन्दु-
- वर्ष 1923 में स्थापित गीता प्रेस भगवद गीता, रामायण और उपनिषदों के दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है, जिसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें 16.21 करोड़ श्रीमद भगवद गीता शामिल हैं।
- इसकी स्थापना उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुई थी। 29 अप्रैल 1923 को जय दयाल गोयनका, घनश्याम दास जलान और हनुमान प्रसाद पोद्दार ने मिलकर इसकी स्थापना किया। 2023 में इसकी स्थापना के 100 साल पूरे हो रहे हैं।
- यह गोरखपुर मेंकल्याण चिकित्सालय नामक एक धर्मार्थ चिकित्सालय भी चलाता है, जो गरीबों और जरूरतमंदों को मुफ्त चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करता है।
- संस्था ने राजस्व सृजन के लिए कभी भी अपने प्रकाशनों में विज्ञापन पर भरोसा नहीं किया है।
- यहगीता प्रेस कल्याण नामक एक मासिक पत्रिका भी प्रकाशित करता है, जिसमें आध्यात्मिकता, संस्कृति, इतिहास, और नैतिकता आदि विषयों को शामिल किया गया है।
गांधी शांति पुरस्कार-
- यह महात्मा गांधी द्वारा प्रतिपादित आदर्शो को श्रद्धांजलि के रूप में महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर 1995 में भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है।
पात्रता:-
- यह अहिंसा और अन्य गांधीवादी तरीकों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उनके योगदान के लिए व्यक्तियों और संस्थानों को दिया जाने वाला एक वार्षिक पुरस्कार है।
चयन:-
- यह पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग की परवाह किए बिना सभी व्यक्तियों के लिए खुला है।
- इस पुरस्कार कोदो व्यक्तियों/संस्थानों के बीच विभाजित भी किया जा सकता है, यदि चयनकर्त्ता यह मानते हैं कि वे दोनों समान रूप से पुरस्कार के योग्य हैं।
- किसी ऐसे व्यक्ति जिसका निधन हो चुका है, द्वारा किये गए कार्य पर पुरस्कार देने के लिये विचार नहीं जाएगा लेकिन प्रक्रिया संहिता में विनिर्दिष्ट तरीके से जूरी (प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में)को प्रस्ताव भेजे जाने के बाद यदि व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसे मरणोपरांत पुरस्कार दिया जा सकता है।
पुरस्कार:-
- इस पुरस्कार में एक करोड़ रुपये की राशि, एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला या एक हथकरघा वस्तु शामिल है।
- यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में प्रदान किया जाता है।
पुरस्कार विजेता-
- पिछले पुरस्कार विजेताओं में इसरो, रामकृष्ण मिशन, बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक, विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी, अक्षय पात्र, बेंगलुरु, एकल अभियान ट्रस्ट, भारत और सुलभ इंटरनेशनल, नई दिल्ली जैसे संगठन शामिल हैं।
- कई अन्य हस्तियों के अलावा दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला और तंजानिया के पूर्व राष्ट्रपति जूलियस न्येरेरे जैसे दिग्गजों को भी प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
- कुछ हालिया पुरस्कार विजेताओं में ओमान के सुल्तान कबूस बिन सैद अल सैद (2019) और बांग्लादेश के बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान (2020) शामिल हैं।
चयन समिति:-
- जूरी की अध्यक्षता प्रधान मंत्री करते हैं और इसमें दो पदेन सदस्य होते हैं, अर्थात् भारत के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता।
- जूरी में दो प्रतिष्ठित सदस्य, लोकसभा अध्यक्ष और सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन के संस्थापक भी शामिल हैं।
स्रोत: TH
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