गैर जरुरी सामानों पर शुल्क बढ़ाने की योजना

गैर जरुरी सामानों पर शुल्क बढ़ाने की योजना

गैर जरुरी सामानों पर शुल्क बढ़ाने की योजना

संदर्भ- हाल ही में केंद्र सरकार ने गैर जरुरी सामानों पर शुल्क बढ़ाने की योजना है इसके द्वारा देश में विनिर्माण क्षमता वाली वस्तुओं के आयात में कमी लाई जा सकती है।

गैर जरूरी सामान (non essential goods)-  

गैर आवश्यक वस्तुओं को समझने के लिए आवश्यक वस्तुओं को जानना आवश्यक है आवश्य़क सामान वे हैं, जो हमारे दैनिक जीवन के निर्वाह के लिए आवश्यक हैं। जैसे भोज्य पदार्थ, पानी, बिजली, ईंधन आदि।

अतः गैर आवश्यक सामान वे वस्तुएं हैं जिन्हें प्रयोग तो किया जाता है, किंतु दैनिक जीवन में ये वस्तुएं आवश्यक नहीं होती। घरेलू स्तर पर अतिरिक्त क्षमता के कारण सरकार स्टील के आयात कर बढ़ाने के बारे में योजना बना रही है।

हार्मोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नोमेनकल्चर (HSN)- 

  • 1988 में  स्थापित विश्व सीमा शुल्क संगठन द्वारा अपनाया गयी। 
  • यह 6 या 8 अंकों का कोड है जो विभिन्न उत्पादों को वर्गीकृत करता है। 
  • इसे मदों की एक व्यापक स्वीप के रूप में देखा जा सकता है, जैसे स्टील, मिश्र धातु, चीनी मिट्टी सहित साइकिल हब के लिए विभिन्न प्रकार की सामग्रियां हैं लेकिन सभी साइकिल हब एक ही HSN कोड के अंतर्गत आते हैं। 
  • भारत ने मुख्य रूप से सीमा शुल्क व केंद्रीय उत्पाद शुल्क को वर्गीकृत करने के लिए 1986 में HSN प्रणाली को अपनाया।
  • HSN कोड जीएसटी व सीमा शुल्क दोनों पर लागू होता है। इसका उपयोग पूरी दुनिया में किया जाता है।
  • HSN कोड, उत्पाद की जानकारी प्रेषित करने के अतिरिक्त कार्य को कम करते हैं। जिससे जीएसटी दाखिल करने की प्रक्रिया आसान हो जाती है।
  • मदों के व्यापक स्वीप में रहने के कारण आयात शुल्क की बढ़ोतरी का असर समस्त वेंडर्स पर हो सकता है इसलिए सभी उत्पादों को HSN से अलग अलग करने की आवश्यकता है।

वर्तमान व्यापार चुनौतियाँ

  • वैश्विक मंदी से निर्यात में कमी
  • आयातित वस्तुओं के देशी विकल्पों के लिए नीति का कार्यान्वयन
  • आयात को हतोत्साहित करने के लिए HSN कोड से उत्पादों को अलग अलग करना।

व्यापार के लिए आगे की राह

  • आयात को हतोत्साहित करना- इसके लिए आयात को सम्पूर्ण रूप से बंद करने निर्य़ात प्रभावित हो सकता है इसलिए गैर आवश्यक वस्तुओं के आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर इनके आयात को हतोत्साहित किया जा सकता है।
  • देश के विनिर्माण तंत्र को प्रोत्साहित करना, जैसे तेल शोधन तंत्रों में कमी होने के बावजूद तेल शोधक भण्डारण तंत्रों का निर्माण, जिससे संकट के समय अन्य़ देशों पर निर्भरता को कम किया जा सके। अक्टूबर में तेल आयात वृद्धि 48% से घटकर 10.5% हो गई।
  • उत्पादन को बढ़ावा- वर्ष 2022-23 में विदेशी फलो जैसे सेब, बादाम पर आयात शुल्क बढाया गया, जिससे इनके मांग की आपूर्ति के लिए देश के उत्पादन में वृद्धि हो व देश को इसका आर्थिक लाभ प्राप्त हो सके। 

स्रोत

https://bit.ly/3BMgtAs

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