04 May दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना के 100 वर्ष
- 1 मई 2022 को ‘दिल्ली विश्वविद्यालय’ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो गए।
स्थापना:
- ‘दिल्ली विश्वविद्यालय’ की स्थापना वर्ष 1922 में तत्कालीन ब्रिटिश भारत की विधायिका – केंद्रीय विधान सभा द्वारा पारित एक अधिनियम द्वारा की गई थी।
- दिल्ली विश्वविद्यालय में मूल रूप से तीन कॉलेज शामिल थे – सेंट स्टीफंस कॉलेज, जिसे ‘कैम्ब्रिज मिशन टू दिल्ली’ नामक एक मिशनरी पहल द्वारा वर्ष 1881 में स्थापित किया गया था; हिंदू कॉलेज, जिसकी स्थापना वर्ष 1899 में हुई थी, और रामजस कॉलेज, जिसकी स्थापना 14 मई 1917 को एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् और परोपकारी राय केदार नाथ ने की थी।
- पहले ये तीनों कॉलेज ‘पंजाब यूनिवर्सिटी’ से संबद्ध थे।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में दिल्ली विश्वविद्यालय की भूमिका:
- वर्ष 1933 में पूर्ववर्ती ‘वाइसरेगल लॉज’ – जहां दो साल पहले ‘गांधी-इरविन पैक्ट’ पर हस्ताक्षर किए गए थे – विश्वविद्यालय की संपत्ति का हिस्सा बन गया। औपनिवेशिक युग की इस इमारत में अब कुलपति का कार्यालय है।
- हालांकि ‘वाइसरेगल लॉज’ का निर्माण 1902 में हुआ था, लेकिन इससे पहले इस जगह पर ‘हंटिंग लॉज’ हुआ करता था और 1857 के सिपाही विद्रोह के दौरान, ब्रिटिश अधिकारी भाग गए और इस ‘हंटिंग लॉज’ में छिप गए।
- 8 अप्रैल, 1929 के सेंट्रल असेंबली बम विस्फोटों के बाद, ‘भगत सिंह’ को वाइसरीगल लॉज में कैद कर दिया गया और उसी इमारत में मुकदमा चलाया गया।
- जब क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ब्रिटिश सरकार से दूर रह रहे थे, तब उन्हें ‘रामजस कॉलेज’ (विश्वविद्यालय का एक कॉलेज) के छात्रों ने छुपाया था।
- ‘हिंदू कॉलेज’ (विश्वविद्यालय का एक अन्य कॉलेज) के छात्र 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में सक्रिय रूप से शामिल थे।
- पूर्व कुलपति दिनेश सिंह के अनुसार, दिल्ली विश्वविद्यालय का अपना एक चार्टर है, जिसे इसके तत्कालीन (1938-1950) कुलपति, ‘मौरिस ग्वायर’ ने तैयार किया था। मौरिस ग्वायर 1937 से 1943 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश भी रहे।
- भारत के उपराष्ट्रपति विश्वविद्यालय के ‘कुलपति’ के रूप में कार्य करते हैं।
- इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा एक प्रतिष्ठित संस्थान (आईओई) के रूप में मान्यता दी गई है।
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