बांग्लादेश में आर्थिक संकट

बांग्लादेश में आर्थिक संकट

 

संदर्भ क्या है ?

  • भारत के पड़ोसी देशों में लगातार संकट बढ़ रहा है। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था का पतन हो गया है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दम तोड़ रही है, तो वहीं अब भारत का एक और पड़ोसी देश संकट की ओर बढ़ रहा है। ये देश है- बांग्लादेश।
  • बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा है। महंगाई अपने चरम पर है। बांग्लादेश सरकार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से ऋण मांग रही है, लेकिन इसी बीच बांग्लादेश ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिससे महंगाई और भी बढ़ गयी है। शेख हसीना सरकार ने पेट्रोल के दाम में 51 प्रतिशत तो डीजल के में 42 प्रतिशत तक की वृद्दि की है, और बढ़ते व्यापार घाटे को देखते हुए सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से 5 अरब डॉलर राहत पैकेज की मांग की है। इसके अलावा करीब 2.5-3 अरब डॉलर के कर्ज की मांग जापान की एजेंसी JICA से भी की गई है। 
  • इस कारण बांग्लादेश में जनता सड़क पर प्रदर्शन कर रही है और सरकार का भारी विरोध देखा जा रहा है ।

आर्थिक संकट के कारण

  • उच्च लागत वाले बड़े प्रोजेक्ट्स, बैंकिंग सेक्टर में बढ़ते डिफॉल्ट और पॉवर सेक्टर में संसाधनों के दुरूपयोग से वर्तमान परिस्थिति बनी है। पद्मा ब्रिज प्रोजेक्ट, ढाका सिटी मेट्रो ,रूपर न्यूक्लियर प्लांट ऐसे बड़े प्रोजेक्ट हैं जिनमें देरी से लागत काफी अधिक हो चुकी है। इसी तरह विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश में सड़क निर्माण की लागत सबसे ज्यादा है।
  • इसके अलावा बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार एक वर्ष में 7 अरब डॉलर से घट कर39.48 अरब डॉलर पर आ गया है और इसका असर यह हुआ है कि जून 2022 में बांग्लादेश का व्यापार घाटा 33.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। 
  • बांग्लादेश दुनिया के बड़े कपड़ा निर्यातकों में से एक है। कपड़ा उद्योग में चीन के बाद उसका स्थान दूसरा माना जाता है।  रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद विश्व बाजार में बांग्लादेश के कपड़ा निर्यात की मांग कमजोर हो गई है, साथ ही देश ऊर्जा संकट से भी घिरा है। खाद्य पदार्थ और ईंधन की बढी कीमतों से जनता के समक्ष संकट की स्थिति बनती जा रही है।  ऐसे में बांग्लादेश में श्रीलंका जैसी स्थिति  की लोग कल्पना कर रहे हैं ।

 बांग्लादेश में श्रीलंका-पाकिस्तान से बेहतर स्थिति कैसे है ?

  • भले ही बांग्लादेश ने आईएमएफ से श्रीलंका और पाकिस्तान की तरह ऋण की मांग की है, लेकिन अभी कई ऐसे सूचक हैं, जहां पर वह बेहतर स्थिति में है। पहली बात बांग्लादेश में मुद्रास्फीति दर इस समय 40 वर्ष के उच्चतम स्तर पर है। इसके बावजूद वह जून के महीने में 9 प्रतिशत थी।
  • वहीं पाकिस्तान में यह 3 प्रतिशत और श्रीलंका में 58.9 प्रतिशत है। हालांकि तेल की कीमतों में 50 प्रतिशत बढ़ोतरी निश्चित तौर पर महंगाई बढ़ाएगी, लेकिन पाकिस्तान या श्रीलंका जैसी स्थिति में फिलहाल होती नहीं दिख रही है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार की स्थितिके बारे में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने दावा किया है कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के बावजूद, 6-9 महीने के आयात के लिए विदेशी मुद्रा भंडार है और यह स्थिति अर्थव्यवस्था के पतन के संकेत नहीं देती है। आम तौर पर जब 3 महीने से कम का विदेशी मुद्रा भंडार बचता है तो वह अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक संकेत हो जाता है। श्रीलंका और पाकिस्तान दोनों इस स्थिति में पहुंच गए हैं।
  • बांग्लादेश का ऋण-जीडीपी अनुपात भी श्रीलंका या पाकिस्तान जैसी स्थिति का कोई संकेत नहीं दे रहा है। 2021 के आंकड़ों के अनुसार, श्रीलंका का ऋण-जीडीपी अनुपात लगभग 100 पर पहुंच गया था, जबकि पाकिस्तान करीब 87 प्रतिशत और बांग्लादेश का 40 प्रतिशत था।
  • बांग्लादेश की करेंसी टका पिछले एक वर्ष में डॉलर के मुकाबले 10 प्रतिशत गिर गई है और इस समय एक डॉलर के मुकाबले यह 79 टका है, जबकि पिछले एक साल में श्रीलंका की करेंसी में करीब 44.5 प्रतिशत और पाकिस्तान की करेंसी में 23 प्रतिशत की गिरावट आई है।

भारत का दृष्टिकोण

भारत बांग्लादेश के स्थिति पर लगातार नजर बनाये हुए है। जिस प्रकार भारत ने श्रीलंका को आर्थिक संकट के समय खाद्यान और ईंधन सहायता दी उसी तरह बांग्लादेश की सहायता की संभावना दिखाई देती है। भारत रियायती ब्याज दरों पर बांग्लादेश को ऋण सहायता भी दे सकता है । भारत चीन के ‘नेवरहुड फर्स्ट नीति’ के तहत दक्षिण एशिया के देशों को द्विपक्षीय संबंधों में काफी रियायत और बिना किसी अपेक्षा के कई रूपों में सहायता भी देता है ।

 

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