12 Jan बालमृत्यु दर रिपोर्ट
बालमृत्यु दर रिपोर्ट
संदर्भ- हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने शिशु मृत्यु दर से संबंधित दो रिपोर्ट प्रकाशित की इस रिपोर्ट के अनुसार यदि बाल मृत्यु दर की स्थिति को बेहतर करने के लिए उपाय नहीं किए तो 2030 तक कई शिशु अपनी जान गंवा देंगे।
रिपोर्ट से संबंधित बिंदु
- UN- IGME के अनुसार प्रत्येक 4.4 सेकण्ड में एक नवजात बच्चे की मौत हो जाती है। 2021 में 50 लाख लड़के लड़कियों की मृत्यु हो गई, जो 5 से 24 वर्ष के थे।
- ‘नैवर फॉरगॉटन’ नामक दूसरी रिपोर्ट के अनुसार लगभग 19 लाख बच्चे मृत पैदा हुए। रिपोर्ट के अनुसार इन सब में बहुत से शिशुओं का जीवन उचित देखभाल द्वारा बचाया जा सकता था।
बाल मृत्यु दर के आंकलन के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतर एजेंसी समूह UN- IGME
- UN- IGME की स्थापना बाल मृत्यु दर पर वैश्विक आंकड़े स्थापित करने के साथ बाल उत्तरजीविता के लक्ष्यों में वैश्विक प्रगति का आंकलन करने के लिए वर्ष 2004 में की गई थी।
- इस समूह का नेतृत्व संयुक्त राष्ट्र बालकोष, यूनिसेफ करता है। जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक मामलों के विभाग(UNDESA) शामिल हैं।
वैश्विक बाल मृत्यु दर के आंकड़े
- वर्ष 2000 के बाद से 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की वैश्विक मृत्यु दर में लगभग आधी हो गई है।
- बड़े बच्चों की मृत्यु में 36 % की गिरावट आई है।
- मृत शिशु जन्म दर में 35 % की गिरावट दर्ज की गई है।
- वर्ष 2010 से 5 वर्ष से कम उम्र के बाल मृत्यु दर की गिरावट की गति धीमी हुई है।
- रिपोर्ट का लक्ष्य सभी देशों में 2030 तक नवजात मृत्यु दर व बाल मृत्यु दर को 1000 जीवित जन्मों पर क्रमशः 12 व 25 से कम निर्धारित किया गया है।
भारत में बाल मृत्यु दर
- 1990 की तुलना में 2016 में भारत में प्रतिमाह, नवजात शिशुओं की मृत्यु में 10 लाख की कमी आई।
- यूनिसेफ के अनुसार भारत में लड़कों की तुलना में लड़कियों की मृत्यु दर 11 प्रतिशत अधिक है।
- नमूना पंजीकरण प्रणाली 2020 के अनुसार भारत में नवजात मृत्यु दर व बाल मृत्यु दर में लगातार कमी दर्ज की जा रही है।
- 2019 में प्रति 1000 जीवित जन्मों में से 30 शिशु मृत्यु थी 2020 में यह मृत्यु दर 28 रह गई।
- 2020 में प्रति 1000 जीवित जन्मों में से 20 हो गई जो 2019 में 22 थी।
- 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 2019 में 35 से 2020 में 32 हो गई।
मृत्यु दर कम करने के प्रयास
इण्डिया न्यूबॉर्न एक्शन प्लान-
- भारत सरकार द्वारा प्रारंभ की गई इस योजना का लक्ष्य 2030 तक प्रति 1000 जीवित जन्म शिशुओं की मृत्यु दर को इकाई अंक(10 से कम) तक लाना और 2035 तक सभी राज्यों में भी मृत्यु दर इकाई तक सीमित करना।
- इसके मध्यवर्ती लक्ष्य जिसमें देश में हर महिला और नवजात शिशु की व्यापक देखभाल के लिए सार्वभौमिक, न्यायसंगत और उच्च गुणवत्ता वाले कवरेज की आवश्यकता है
बाल मृत्यु दर के कारण
- उचित देखभाल की कमी- स्वास्थ्य व पोषण युक्त सुविधाओं का प्रयोग न करना या सुविधा प्राप्त न होने से भी शिशु मृत्यु दर में वृद्धि होती है।
- समय से पहले जन्म- गर्भावस्था के 37 सप्ताह पूर्ण होने से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं में सामान्य शिशुओं से मृत्यु दर 2 से 4 गुना बढ़ जाता है। विश्व भर में 10 में से एक शिशु और भारत में 7 में से एक शिशु समय से पहले जन्म ले लेता है।
- जन्म के समय जटिलताओं के कारण भी शिशु मृत्यु दर में वृद्धि होती है।
- जन्म के समय डायरिया, निमोनिया व मलेरिया जैसी संक्रामक बिमारियों से खतरा रहता है।
आगे की राह
- स्वास्थ्य व पोषण जैसी प्रसव पूर्व सेवाओं में सुधार करना।
- जन्म के समय मृत्यु व जन्म के बाद मृत्यु की घटनाओं वाले क्षेत्रों का पता लगाकर इसके कारणों की जाँच करना।
- दूरस्थ स्थानों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच उपलब्ध कराना जिससे शिशु व मातृ मृत्यु दर में वृद्धि होती है।
- स्वास्थ्य संबंधी सेवाओँ में भारत सरकार के निवेश को बढ़ाना, जो विश्व में सबसे कम रहता है।
स्रोत
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