14 Sep भारत और इण्डो पैसिफिक इकोनोमिक फ्रेमवर्क (IPEF)
भारत और इण्डो पैसिफिक इकोनोमिक फ्रेमवर्क (IPEF)
संदर्भ- इण्डियन एक्सप्रैस के अनुसार भारत को सक्रिय व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय व्यापार के साथ बहुपक्षीय समझौतों को भी महत्व देना चाहिए।
भारत और व्यापार समझौते-
- भारत सरकार ने 2019 में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी(RCEP) के बाहर जाने का मार्ग चुना। क्योंकि भारत अनुचित प्रतिस्पर्धा से बचना चाहता था।
- ऑस्ट्रिया व संयुक्त अरब अमीरात के साथ दो संयुक्त व्यापार समझौते किए हैं-
- भारत ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता (IND-AUS ECTA)
- संयुक्त अरब अमीरात के साथ एक FTA
- यूके, कनाडा, यूरोपीय संघ के साथ भी FTA पर कार्य कर रहा है।
लाभ- इन समझौतों से भारत के उद्योगों को भायदा होगा जैसे- गहने, कीमती पत्थर ,चमड़ा, कपड़ा, खाना, कृषि उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, चिकित्सा उपकरण आदि।
- IPEF से भारत ने अभी के लिए बाहर निकलने का मार्ग चुना है।
IPEF-
- 23 मई 2022 को अमेरिका क राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रारंभ किया।
- इसमें 14 सदस्य देश शामिल थे।
- ऑस्ट्रेलिया
- ब्रुनेई
- फिजी
- इंडोनेशिया
- जापान
- मलेशिया
- न्यूजीलैण्ड
- फिलीपींस
- सिंगापुर
- दक्षिण कोरिया
- थाइलैण्ड
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- वियतनाम
- और भारत जो हाल ही में IPEF से हट चुका है।
- इसके 4 स्तंभ हैं-
- निष्पक्ष व लचीला व्यापार
- आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन
- स्वच्छ ऊर्जा, डिकार्बोनाइजेशन
- कर और भ्रष्टाचार विरोधी
- IPEF में डिजिटल गवर्नेंस के कुछ बिंदु भारत सरकार की नीतियों के पक्ष में नहीं है। डाटा लोकलाइजोशन व क्रॉस बॉर्डर डेटा फ्लो पर भारत और अमेरिकी कंपनियों के साथ विवाद होता रहा है। ऐसे कुछ मुद्दों के कारण भारत ने IPEF से हटने का भैसला किया है।
- IPEF से बाहर होने के समय चुनौतियाँ-
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्वानुमान के अनुसार वैश्विक विकास दर 3.6% से घटकर 3.2% हो गया है।
- साथ ही वैश्विक व्यापार के पूर्वानुमान के अनुसार वस्तुओं और सेवाओं का विश्व व्यापार भी 4.1% तक कम हो गया है।
- भारत की निर्यात वृद्धि जुलाई में 2.1% रह गई जबकि अगस्त 2022 में यह 1.2% कम हो गई।
- भारत को गोपनीयता और डेटा के संबंध में डिजिटल ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता है।
स्रोत-
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