विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

सिलेबस: जीएस 2 / शिक्षा 

सदर्भ-

  • हाल ही में, केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने यूजीसी (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटीज) विनियम, 2023 जारी किया, जो 2019 के दिशानिर्देशों का स्थान लेगा।

पृष्ठभूमि

  • यूजीसी अधिनियम 1956 में प्रावधान है कि केंद्र सरकार विश्वविद्यालय के अलावा किसी भी संस्थान को समवत(deemed )विश्‍वविद्यालय संस्‍थान का दर्जा प्रदान करने की घोषणा कर सकती है,जिसमें उसे धारा 2 (f) के अर्थ में एक विश्वविद्यालय माना गया हो।
  • सामान्य और नवोन्मेषी (डी-नोवो) दर्जा़ दिए जाने की घोषणा की प्रक्रिया, ऑफ-कैंपस केंद्र की स्थापना, दर्जा प्राप्त करने के लिए न्यूनतम पात्रता, इसका अभिशासन, आदि यूजीसी विनियमों द्वारा विनियमित हैं।
  • विनियमों का पहला सेट वर्ष 2010 में अधिसूचित किया गया था, जिसे वर्ष 2016 और 2019 में संशोधित किया गया था।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की घोषणा के साथ और विनियमों को सरल बनाने के लिए यूजीसी ने विनियमों की समीक्षा और संशोधन के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया।

विनियमों की मुख्य विशेषताएं:

  • नए विनियम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में परिकल्पित ‘सरल किंतु सख्त’ (‘लाइट बट टाइट’) नियामक ढांचे के सिद्धांत पर बनाए गए हैं।
  • यूजीसी (समवत विश्वविद्यालय संस्थान) विनियम 2019 का अधिक्रमण करते हुए,यह मौजूदा उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए अधिक गुणवत्ता-केंद्रित डीम्ड विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए पात्रता मानदंडों को सरल बनाकर डीम्ड-टू-बी दर्जा प्राप्त करने के लिए जारी किया गया है।
  • समवत विश्वविद्यालय दर्जा हेतु आवेदन करने के लिए पात्रता मानदंड एनएएसी ‘ए’ ग्रेड है जिसमें तीन लगातार चक्रों के लिए कम से कम 3.01 सीजीपीए या लगातार तीन चक्रों के लिए पात्र कार्यक्रमों के दो तिहाई के लिए एनबीए मान्यता या पिछले तीन वर्षों से एनआईआरएफ की किसी विशिष्ट श्रेणी के शीर्ष 50 में या पिछले तीन वर्षों से लगातार एनआईआरएफ रैंकिंग के शीर्ष 100 में हो।
    • एक से अधिक प्रायोजक निकाय द्वारा प्रबंधित संस्थानों का एक क्लस्टर भी समवत विश्वविद्यालय दर्जे के लिए आवेदन कर सकता है।

नए नियम “विशिष्ट संस्थान” श्रेणी भी पेश करते हैं, जहां एक मौजूदा संस्थान आयोग की विशेषज्ञ समिति द्वारा निर्धारित किया जाएगा। ऐसे संस्थानों को पात्रता मानदंड में छूट दी जाएगी जैसे-

    • एक मौजूदा संस्था या संस्थान जो शुरू से ही विशिष्ट विषयों में शिक्षण और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करता हैं।
    • या भारतीय सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण या पर्यावरण के संरक्षण में लगा हुआ है
    • या कौशल विकास के लिए समर्पित है या खेल या भाषाओं या किसी अन्य विषय (विषयों) के लिए समर्पित है,
    •  आयोग की विशेषज्ञ समिति द्वारा निर्धारित, ‘विशिष्ट संस्थान’ श्रेणी के तहत माना जाएगा। ऐसे संस्थानों को पात्रता मानदंड में छूट दी जाएगी।
  • जिन अन्य मानदंडों में बदलाव किया गया है, उनमें संकाय की संख्या 100 से बढ़ाकर 150 कर दी गई है, निजी संस्थानों के लिए कॉर्पस फंड 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये कर दिया गया है, और इन विश्वविद्यालयों में केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तरह कार्यकारी परिषदों का निर्माण भी शामिल है।
  • संशोधित दिशानिर्देशों में डीम्ड विश्वविद्यालयों के लिए अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) पर पंजीकरण करना भी अनिवार्य कर दिया गया है.
  • संस्थान संबंधित विनियमों में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार युगलडिग्री कार्यक्रम, संयुक्त डिग्री कार्यक्रम और दोहरी डिग्री कार्यक्रम की पेशकश कर सकते हैं।

उद्देश्य-

  • समवत विश्वविद्यालय के कामकाज में पारदर्शिता छात्रों और संस्थानों के बीच संबंधों को सुदृढ़ करने में मदद करती है।
  • यह विश्वविद्यालयों को गुणवत्ता और उत्कृष्टता पर ध्यान केंद्रित करने, अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और हमारे उच्च शिक्षा परिदृश्य को बदलने में दीर्घकालिक प्रभाव डालने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
  • यह एक पारदर्शी तरीके से अधिक गुणवत्ता-केंद्रित डीम्ड (समवत)-टू-बी विश्वविद्यालयों के निर्माण की सुविधा प्रदान करेगा।

स्रोत: TH

 

yojna ias daily current affairs hindi med 5th June 2023

 

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