01 Oct सुरजापुरी और बज्जिका
सुरजापुरी और बज्जिका
संदर्भ- हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार व शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने राज्य के शिक्षा विभाग को हिंदी व उर्दू अकादमी की तर्ज पर सूरजापुरी व बज्जिका बोलियों के प्रचार प्रसार के लिए अकादमी विकसित करने को कहा है। बिहार राज्य का सिक्षा विभाग राज्य की सभी बोलियों के विकास के लिए एक निकाय विकसित करेगा।
बिहार की बोलियाँ- भारत के बिहार राज्य में हिंदी भाषा के अतिरिक्त अन्य भाषा व बोलियाँ भी बोली जाती हैं। जिसमें मैथिली, मगही, भोजपुरी, अंगिका , वज्जिका व सूरजापुरी प्रमुख हैं।
- भारत में मैथिली भाषा का क्षेत्र उत्तरी बिहार के मधुबनी, दरभंगा, सुपौल, पूर्णिया कटिहार अररिया, किशनगंज, सहेरसा, सुपौल है। मैथिली को तिरहुत लिपि में लिखा जाता है।
- मागधी जिसे मगही भाषा भी कहा जाता है। बिहार में मागधी भाषा क्षेत्र पटना, राजगीर, नालंदा, जहांनाबाद, गया, अरवल, नवादा, शेखपुरा, लखीसराय, जमुई, मुंगेर औरंगाबाद आदि। मगही को देवनागरी या कायथी लिपि में लिखा जाता है।
- भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में भोजपुरी आंठवा स्थान रखती है। भारत में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों और बिहार के पश्चिमी क्षेत्रों में भोजपुरी बोली जाती है। भोजपुरी को कायथी लिपि में लिखा जाता था। गोरखनाथ व कबीरदास जैसे संतों ने भोजपुरी शब्दों का प्रयोग किया था।
- भारतीय आर्य भाषाओं में से एक अंगिका बिहार के पूर्वी उत्तरी व दक्षिणी भागों में बोली जाती है। इसके साथ ही सुरजापुरी व वज्जिका बिहार की प्रमुख भाषाओं में से एक रही हैं।
सुरजापुरी और वज्जिका-
सुरजापुरी नाम, सुरजापुर परगना से आया है। वर्तमान में यह स्थान पूर्णिया व किशनगंज के मध्य एक कस्बा है। महाभारतकाल में इस क्षेत्र का जिक्र एक विशाल सूर्य मंदिर के रूप में आया है। जहाँ आज भी छठ पूजा में लोग सूर्य को अर्घ्य देने आते हैं। सुरजापुरी भाषा, हिंदी,मैथिली व बांग्ला का मिश्रण है। सूरजापुरी बिहार के किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया अररिया क्षेत्रों में बोली जाने वाली सीमांत भाषा है। बिहार के अतिरिक्त बंगाल, असम व नेपाल में भी प्रयुक्त भाषा है। वर्तमान में सूरजापुरी व वज्जिका के प्रचार प्रसार के लिए बिहार सरकार प्रयासरत है।
वज्जिका, भारत के प्रथम गणराज्यों में से एक वज्जि क्षेत्र की प्राचीन भाषा है। वज्जि महाजनपद, महात्मा बुद्ध व महावीर जैन की कर्मभूमि थी। वज्जिका मैथिली की उपभाषा है, यह बिहार के तिरहुत प्रमण्डल में बोली जाती है। सर्वप्रथम राहुल सांकत्यायन ने वज्जिका को हिंदी की उपभाषा के रूप में स्वीकार किया। वज्जिका की प्राचीनता बौद्ध व जैन साहित्य से लेकर संत साहित्य तक देखी जा सकती है, लेकिन इसका प्राचीन इतिहास में लिखित प्रमाण नहीं मिलता है। हलधर दास की कृति सुदामाचरित पूर्ण रूप से वज्जिका में लिखी गई है। जो मध्यकाल 1565 ई. में रचित वज्जिका की महत्वपूर्ण कृति है।
संविधान की आंठवी अनुसूची-भाषा के विशेष संदर्भ में
भारत की कोई राष्ट्र भाषा नहीं है,लेकिन संविधान की आंठवी अनुसूची में देश की 22 आधिकारिक भाषाओं को शामिल किया गया है। संविधान के भाग 17 के अनुच्छेद 343 से 351 देश की आधिकारिक भाषा का उल्लेख करता है।
आंठवी अनुसूची में शामिल होने पर भाषा का प्रयोग निम्न क्षेत्रों मं भी बढ़ जाता है-
- संघ लोक सेवा आयोग की अनुमति होने पर उच्चतर केंद्रीय सेवा परीक्षा और अखिल भारतीय सेवा परीक्षा में वैकल्पिक माध्यम के रूप में भाषा को अनुमति दी जाएगी।
- साहित्य अकादमी अपने विवेकाधिकार से इन भाषाओं में लिखे साहित्य पर साहित्य अकादमी पुरस्कार दे सकता है।
संविधान की आंठवी अनुसूची में असमिया, उड़ीया, उर्दू, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकड़ी, गुजराती, डोंगरी, तमिल, तेलगू, नेपाली, पंजाबी, बांग्ला, बोड़ो, मणिपुरी, मराठी, मलयालम, मैथिली, संथाली,संस्कृत, सिंधी, हिंदी भाषाओं को शामिल किया गया है।
वर्तमान में बिहार में क्षेत्रीय भाषाओं की स्थिति-
- मैथिली को 2002 में संविधान की आंठवी अनुसूची में शामिल किया गया था। जिससे भाषा को सरकारी निकाय, शिक्षा व अन्य आधिकारिक उद्देश्यों में प्रयोग किया जा सकता है।
- इसके साथ साथ भोजपुरी को आधिकारिक भाषा बनाने के लिए निरंतर मांग की जा रही है। धनबाद व बोकारों में भोजपुरी, अंगिका व मागधी को क्षेत्रीय भाषा में शामिल करने के लिए निरंतर धरना व विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। संसद में इस मुद्दे को कई बार उठाया जा चुका है।
- बिहार में क्षेत्रीय भाषा के विकास के लिए भाषा 8 अकादमी स्थापित हैं। और अब राज्य सरकार के द्वारा सुरजापुरी व वज्जिका के लिए भी अकादमी बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
स्रोत-
https://indianexpress.com/article/explained/explained-culture/what-surjapuri-and-bajjika-dialects-and-why-bihar-govt-promoting-them-8174150/
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