18 Mar इंफ्लूएंजा ए H3N2 वायरस
इंफ्लूएंजा ए H3N2 वायरस
संदर्भ- हाल के कुछ वर्षों से वायरस जनित रोगों का खतरा काफी बढ़ गया है, कोविड 19 के बाद अब H3N2 वायरस से भारत के कई राज्यों में रोगियों की संख्या बढ़ने लगी है। सरकार ने इसके बचाव के लिए सावधानी बरतने के सुझाव दिए हैं। दिल्ली सरकार ने कोविड-19 से संबंधित सावधानी बरतने पर जोर दिया है। संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए हरियाणा, गुजरात, बिहार, गोआ, पुदुचेरी व तमिलनाडु में सतर्कता बढ़ा दी है।
इंफ्लूएंजा ए H3N2 वायरस
- इंफ्लूएंजा वायरस मनुष्यों में मौसमी बिमारी के रूप में जाना जाता है। एंफ्लूएंजा में H व N दो सतही प्रोटीन पाए जाते हैं। इसमें 18 H उपप्रकार व 11 N उपप्रकार पाए जाते हैं।
- वायरस 4 प्रकार का पाया जाता है, ए, बी, सी डी। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने कहा कि प्रकृति में अब तक 130 से अधिक इन्फ्लुएंजा ए उपप्रकार संयोजनों की पहचान की गई है। वर्तमान में ए प्रकार के दो वैरिएंट प्रसारित हो रहे हैं, इंफ्लूएंजा ए H1N1, जिसे स्वाइन फ्लू भी कहा जाता है औऱ इंफ्लूएंजा ए H3N2, जो वर्तमान में प्रसारित हो रहा है।
- H3N2 वायरस, सुअरों में फैलने वाला वायरस है, जिसे वैरिएंट कहा जाता है।
- जब यह मनुष्यों में फैलता है इसे इंफ्लूएंजा A H3N2 वायरस कहा जाता है।
- 1968 में यह सर्वप्रथम हांगकांग में पाया गया। और इसे हांगकांग फ्लू के नाम से जाना गया।
- H1N1 वायरस के साथ इसकी पहली बार 2010 में अमेरिकी सुअरों में पहचान की गई थी।
- मनुष्यों में H3N2 वायरस की पहचान 2011 में 12 मरीजों के संक्रमित होने पर की गई।
लक्षण-
- खांसी, बुखार
- शरीर में दर्द
- गले में खरांश, बहती नाक
- अत्यधिक थकान
- डायरिया आदि।
- इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार यह वायरस आमतौर पर 15-50 वर्ष के लोगों में ज्यादा प्रसारित होता है।
- आईएमए के अनुसार 5-7 दिनों तक संक्रमण रहता है और 3 दिन के बाद बुखार कम हो जाता है किंतु खांसी 3 सप्ताह तक बनी रहती है।
- अस्थमा, मधुमेह, हृदय रोग, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और न्यूरोलॉजिकल या न्यूरोडेवलपमेंटल स्थितियों जैसी सह-रुग्णताओं वाले लोगों और बच्चों को इससे अधिक जोखिम होता है।
सावधानियाँ-
रोग नियंत्रण व रोकथाम केंद्र अमेरिका के अनुसार निम्न सावधानियाँ बरतनी चाहिए-
- सुअरों के स्थान व उसके आसपास के क्षेत्रों में कुछ भी खाने पीने व मुँह में ङाथ रखने से बचें।
- सुअरों के संपर्क व उसके आसपास की वस्तुओं के संपर्क के बाद हाथ अवश्य धोएं अथवा एल्कोहल आधारित हैंड रब का इस्तेमाल करें।
- सुरक्षात्मक उपकरणों जैसे मास्क का प्रयोग करें।
कोविड-19 दिशानिर्देश- भारत सरकार ने कोविड-19 महामारी में आवश्यक समझी जाने वाली सावधानी बरतने की अपील की है, जो हैंः
- दूसरों से कम से कम 1 मीटर की शारीरिक दूरी बनाए रखें, भले ही वे बीमार न दिखें। भीड़ और निकट संपर्क से बचें।
- जब शारीरिक दूरी संभव न हो और खराब हवादार वातावरण में उचित ढंग से लगा हुआ मास्क पहनें।
- अपने हाथों को बार-बार अल्कोहल आधारित हैंड रब या साबुन और पानी से साफ करें।
- खांसी या छींक आने पर अपने मुंह और नाक को मुड़ी हुई कोहनी या टिश्यू से ढक लें। उपयोग किए गए टिश्यू को तुरंत डिस्पोज करें और हाथों को नियमित रूप से साफ करें।
- रोगजनित होने पर, ठीक होने तक स्वयं को अलग-थलग कर लें।
- स्वच्छ व संतुलित आहार रोग से लड़ने में सहायता करता है।
बृहन्मुंबई नगर निगम के सुझाव- इन्फ्लूएंजा के प्रसार को रोकने के लिए बीएमसी द्वारा निम्नलिखित निर्देश दिए गए हैं:
- 24 घंटे के भीतर बुखार कम नहीं होने पर सभी संदिग्ध मामलों का ओसेल्टामिविर से उपचार।
- ओसेल्टामिविर को मुंबई के सभी नगरपालिका अस्पतालों, डिस्पेंसरियों, मेडिकल कॉलेजों और प्रसूति गृहों में मुफ्त में उपलब्ध कराया गया है
- बुखार के रोगियों और संभावित जोखिम वाले लोगों की पहचान करने के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण करना।
- पोस्टर, स्वास्थ्य वार्ता और लघु फिल्मों की सहायता से समुदाय में स्वास्थ्य जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
- लक्षण वाले मरीजों का घर पर ही इलाज ताकि अन्य रोगियों में संक्रमण न हो।
चुनौतियाँ
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के अनुसार जनवरी से अब तक पुणे के 2529 नमूनों की जाँच की गई जिसमें से 17 % मरीज H3N2 से संक्रमित पाए गए।
- 9 मार्च तक देश के विभिन्न राज्यों में कुल 3038 मामले दर्ज किए गए।
- गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण से संबंधित रोग है, जो मृत्युजन्य भी हो सकता है।
उपचार-
- H3N2 के उपचार के लिए ओसेल्टामिविर दवा अनुशंसित की गई है।
- यह दवा सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों में मुफ्त उपलब्ध की जाएगी।
- ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की अनुसूची एच1 के तहत भारत में ओसेल्टामिविर की बिक्री की अनुमति है।
स्रोत
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