छत्तीसगढ़ माओवादी हमला

छत्तीसगढ़ माओवादी हमला

छत्तीसगढ़ माओवादी हमला

संदर्भ- माओवादियों ने छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में एक विस्फोट कर दिया जिसमें सुरक्षा अभियान से एक वैन में लौट रहे जिला रिजर्व गार्ड के 10 सैनिक मार गए। 

वामपंथी उग्रवादी- वे संगठन जो हिंसात्मक मार्ग का प्रयोग कर वर्तमान व्यवस्था में परिवर्तन लाना चाहते हैं। वामपंथी उग्रवादी संगठन कहलाते हैं। भारत में छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और केरल को वामपंथी उग्रवाद का गढ़ माना जाता है। वामपंथी उग्रवाद को भारत में माओवाद भी कहा जाता है। 

माओवादयह माओत्सेतुंग द्वारा विकसित साम्यवाद का एक रूप है। जिसके तहत सशस्त्र विद्रोह, राजनीतिक व रणनीतिक संगठनों के माध्यम से वर्तमान सरकार या व्यवस्था को समाप्त किया जाता है। माओवादी अपने इस उद्देश्य की पूर्ति सशस्त्र विद्रोह के साथ सत्ताधारियों के विरुद्ध दुष्प्रचार करते हैं। 

भारत में कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को माओवादी संगठन माना जाता है। जो भारत में आतंकवादी संगठन के रूप में नामित है। भारत के केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु समेत दक्षिणी राज्य़ों में माओवादी घटनाएं संगठनों की गतिविधि देखी जा सकती है। 

भारत में माओवादी संगठन के उत्कर्ष के कारक

माओवादी संगठन समाज में सबसे पिछड़े वर्ग के सहायक के रूप में स्वयं को देखता है। संगठन इस पिछड़े वर्ग के लिए सत्ताधारियों से लड़ता है। अतः माओवादी संगठन के उत्कर्ष के कारक भी पिछड़े वर्ग की समस्याओं से संबंधित रही हैं। 

सामाजिक कारण- भारतीय जनजाति को हमेशा से अलगाव का सामना करना पड़ा है जिससे वे मुख्य धारा से पीछे छूट गए, जिसके लिए वे सरकारी नीतियों को दोषी मानते हैं तथा तत्कालीन सरकार की सत्ता को पलटने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं।

आर्थिक कारण- एक लम्बे समय से भारतीय जनजातीयों की भूमि को छीना गया, आजीविका के साधन छीन जाने से वे क्रांति करने के लिए मजबूर हुए। निर्धन जनता को भ्रष्टाचार के कारण सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता, जिससे उनकी स्थिति निरंतर खराब होती गई और उन्होंने सशस्त्र विद्रोह का सहारा लिया। 

अशिक्षा- मुख्य धारा में शामिल न हो पाने के कारण वे शिक्षा से भी दूर हो जाते हैं, अशिक्षा के कारण वे गणतंत्र की शक्ति व नागरिक अधिकारों के ज्ञान से वंचित रह गए, और गणतंत्र का ही विरोध करने लगे। 

भारत में माओवाद की वर्तमान स्थिति

  • सरकार के अनुसार, 2010 के बाद से देश में माओवादी हिंसा में 77% की कमी आई है। माओवादी हिंसा के कारण हताहतों व मौतों (सुरक्षा बलों + नागरिकों) की संख्या 2010 में 1,005 के सर्वकालिक उच्च स्तर से 90% कम होकर 2022 में 98 हो गई है। 
  • सरकार के अनुसार 2000 के शुरुआती दशक में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 200 थी जो अब  घटकर 90 रह गई है।
  • गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए इंटरव्यू के अनुसार छत्तीसगढ़ व झारखण्ड के मध्य 55 वर्ग किमी के बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र( माओवादियों का गढ़) माओवादियों स मुक्त कर दिया गया है। 
  • जिला रिजर्व गार्ड के कारण इन गतिविधियों में कमी आई है। जो विशेष रूप से माओवादियों से निपटने के लिए गठित की गई है।

छत्तीसगढ़ में वामपंथी गतिविधि-

छत्तीसगढ़ में माओवाद समस्या की शुरुआत 2000 के दशक में हुई। जब माओवादी आंदोलन एक वर्ग शत्रु (जमींदारों) के खिलाफ एक संघर्ष के रूप में राज्य के खिलाफ एक आदिवासी आंदोलन के रूप में परिवर्तित हो गया था। ऐसे में आंध्र प्रदेश से माओवादियों को बाहर निकालने से इस समस्या ने गंभीर रूप ले लिया। 

2018-20 के बीच देश में सुरक्षा कर्मियों की होने वाली मौतों में 45% मौत केवल छत्तीसगढ़ में हुई। तथा माओवादी या उग्रवादी घटनाओं में होने वाली 70% मौतें केवल इसी क्षेत्र में हो रही थी। 

वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने के लिए सरकार के प्रयास

अम्ब्रेला स्कीम- इस योजना के तहत आंतरिक सुरक्षा व शांति बनाए रखने कानून व्यवस्था में सुधार किए जा रहे हैं जैसे पुलिस बलों को आधुनिक उपकरणों के उपयोग के लिए तैयार करना, प्रदेश में नशीली पदार्थों पर रोक के लिए पुलिस को उपयुक्त अधिकार देना आदि शामिल हैं। 

सुरक्षा संबंधी व्यय योजना- सुरक्षा संबंधी व्‍यय की योजना का उद्देश्‍य वामपंथी उग्रवाद की समस्‍या से निपटने में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्‍यों की क्षमता में वृद्धि करना है। इस योजना के तहत 2017-18 से अब तक 1890 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।

विशेष केंद्रीय सहायता- इसके तहत वामपंथी उग्रवाद से सर्वाधिक प्रभावित राज्यों को विशेष केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना का मुख्‍य उद्देश्‍य तात्‍कालिक सार्वजनिक सुविधाओं और सेवाओं में क्रिटीकल गैप्स को दूर करना है।

फोर्टिफाइड पुलिस थानों की स्थापना- वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए 10 राज्यों में 400 फोर्टिफाइड पुलिस थानों की स्थापना किया गया है। 

मीडिया प्लान- माओवादियों द्वारा गुमराह किए गए लोगों को मीडिया में सरकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार के माध्यम से मुख्य धारा में लेकर आ सकती है। 

सम्पर्क योजना- वामपंथी लोगों ने अपना गढ़ उस क्षेत्र को चुना जो सरकारी योजनाओं से दूर नक्शे में भी नहीं आते। अतः ऐसे क्षेत्रों में सड़कों द्वारा कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई है। इसी प्रकार मोबाइल कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए मोबाइल टावरों की स्थापना की गई। 

आगे की राह

सरकार के वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने के लिए इन योजनाओं का धरातल पर प्रसार किया जा सकता है। स्थानीय लोग, जो वामपंथी गतिविधि में भाग लेते हैं या ले सकते हैं। उन्हें वर्तमान योजनाओं की जानकारी देकर जागरुक किया जा सकता है। इसके साथ ही माओवादी क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का निर्माण और क्षेत्रीय पुलिस को सशक्त कर उग्रवाद को कमजोर किया जा सकता है।

स्रोत

Indian Express

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