23 Jan तरलीकृत प्राकृतिक गैस
तरलीकृत प्राकृतिक गैस
संदर्भ- यूरोपीय संघ तरलीकृत प्राकृतिक गैस के आयात में विस्तार करके रुसी गैस के आयात पर निर्भरता को कम करने का प्रयास कर रहा है। इसका अधिकांश हिस्सा अमेरिका में उत्पादित होता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह वैश्विक तापमान में वृद्धि का कारण बन सकता है।
तरलीकृत प्राकृतिक गैस( liquified Natural gas)-
- यह एक प्राकृतिक गैस है। जो मीथेन(CH4) और एथेन (C2H6) के मिश्रण से बना है।
- इसके तरलीकृत रूप में भण्डारण के लिए इसे -260 डिग्री फारेनहाइट के तापमान में रखा जाता है।
- यह तरल गैस मूल आयतन से 600 गुना छोटी व पानी के तथा तौल माप पानी से लगभग आधी होती है।
प्रक्रिया
- सर्वप्रथम एलएनजी प्लांट में डाली जाने वाली एलएनजी को उपचारित किया जाता है, और इसमें से पानी, हाइड्रोजन सल्फाइड, कार्बन डाइ ऑक्साइड औप बेंजीन को अलग किया जाता है।
- एल एन जी में मेथेन, एथेन, प्रोपेन, ब्यूटेन आदि एल्केन होते हैं, एलएनजी की शुद्धिकरण प्रक्रिया में इसे 100% मेथेन के लिए डिजाइन किया जाता है।
- संक्रमण विस्फोट- इसका एक तीव्र चरण संक्रमण विस्फोट होता है जिसमें एलएनजी पानी के संपर्क में आती है। इससे यह द्रव से पुनः गैस अवस्था में आ जाती है। और उच्च तापमान के साथ ऊर्जा मुक्त होती है। इससे 10-25% ऊर्जा की हानि होती है।
- आपूर्ति- संक्रमण विस्फोट के चरण के बाद इन्हें पाइपलाइन द्वारा वितरण कम्पनियों, औद्योगिक उपभोक्ताओं और बिजली संयंत्रों में पहुँचाया जा सकता है।
तरलीकृत प्राकृतिक गैस की आवश्यकता
- अपने कॉम्पेक्ट तरल रूप में प्राकृतिक गैस को विशेष टैंकों में भरकर उनके टर्मिनलों तक पहुँचाया जाता है, जहाँ इन्हें इनके गैसीय स्वरूप में वापस परिवर्तित कर दिया जाता है। पाइपलाइन परिवहन में समस्या उत्पन्न होने पर इस तरलीकृत रूप का प्रयोग आसान हो जाता है। यह रूसी गैस की कमी का स्थायी समाधान हो सकता है।
- कम मात्रा में भी इसे भेजा जा सकता है जिस कारण इसका छोटे पैमाने पर व्यापार में वृद्धि हो रही है।
- स्वच्छ ईंधन का उत्पादन औऱ यह काले कर्बन का उत्सर्जन नहीं करता है।
- संग्रहण के लिए कम स्थान लेती है।
चुनौतियाँ-
- महंगी प्रक्रिया- एक जलाशय से प्राकृतिक गैस निकालने से लेकर, उसके द्रवीकरण, परिवहन पुनः गैसीकरण की प्रक्रिया अत्यंत महंगी होती है।
- ऊर्जा की हानि- प्राकृतिक गैस को एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित करने में अत्यधिक ऊर्जा की हानि होती है।
- जलवायु पर प्रभाव- राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग के अनुसार एलएनजी प्राकृतिक गैस से अधिक ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन करती है। और साधारण प्राकृतिक गैस के परिचालन से 10 गुना अधिक कार्बन उत्सर्जन करती है। जो वैश्विक तापमान को कम करने के लक्ष्य को हासिल करने में एक चुनौती बन सकता है।
दुष्प्रभाव
- दम घुटने से संबंधित समस्याएं
- शीतदंश- इससे उत्पन्न क्रायोजेनिक तापमान के कारण शीतदंश की समस्या उत्पन्न होती है।
भारत में एलएनजी
- भारत द्वारा उपभोग की गई कुल ऊर्जा में लगभग 6% ही प्राकृतिक गैस के रूप में प्रयोग की जाती है।
- भारत ने 2030 तक प्राकृतिक गैस का प्रयोग 15% तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
- जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वर्तमान में प्राकृतिक गैस की मांग है। अत्यधिक मांग व कम घरेलू खपत के कारण इसकी आपूर्ति एलएनजी द्वारा की जाती है। लेकिन एलएनजी अत्यधिक महंगी है।
- 2013-14 में 5 MMPTA क्षमता वाला कोच्चि एलएनजी टर्मिनल संस्थापित कर दिया गया था। इसकी पुनः गैसीकरण की क्षमता 22 MMPTA कर दी गई है।
अतः भारत समेत समस्त देशों को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
स्रोत
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