भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के नए दौर में भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के नए दौर में भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी। 

सामान्य अध्ययन – विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी, इसरो, अंतरिक्ष विभाग, भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड, IN-SPACe, निजी क्षेत्र का भारत की अंतरिक्ष नीति में भागीदारी ।

खबरों में क्यों ? 

 

 

  • भारत सरकार ने 21 फरवरी 2024 को, “उपग्रहों, ग्राउंड सेगमेंट और उपयोगकर्ता सेगमेंट के लिए घटकों और प्रणालियों / उप-प्रणालियों के निर्माण” में शत-प्रतिशत – उपग्रह-निर्माण, संचालन एवं डेटा उत्पाद में 74 फीसदी तक; और प्रक्षेपण वाहनों, अंतरिक्ष पोर्ट और उनके संबंधित प्रणालियों में 49 फीसदी तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए दरवाजा खोल दिया। 
  • भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र में उपलब्धि और विकास का सफर तेजी से बढ़ रहा है। इस समय, भारत ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जो इस क्षेत्र को नए ऊचाइयों तक पहुंचा रहे हैं।
  • हाल ही में, भारत सरकार ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों को भागीदारी करने की अनुमति दी है और अंतरिक्ष नीति में सुधार किया गया है। इससे नए निवेशकों को आकर्षित करने में मदद होगी और अंतरिक्ष क्षेत्र में नए तकनीकी उत्पादों और सेवाओं की विकास में सहायक होगी।
  • भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों को सीधे विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी है, जिससे इस क्षेत्र में नए और नवाचारी प्रोजेक्ट्स के लिए उच्च पूंजी उपलब्ध हो सकती है। यह नीति भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में चीन के साथ मुकाबले में और भी सकारात्मक रूप से स्थिति बनाने में मदद कर सकती है।
  • अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों को बढ़ावा देने से यह सुनिश्चित होगा कि नए तकनीकी उत्पाद और सेवाएं विकसित होती रहें जो अंतरिक्ष अनुसंधान, उपग्रह सेवाएं, और अन्य अंतरिक्ष कार्यों को समर्थन करें।
  • भारत ने 2020 में राज्य की अगुवाई में होने वाले सुधारों के साथ इस रास्ते पर आगे बढ़ना शुरू किया है। इसके माध्यम से भारत ने अपने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोला है और नई नीतियों के साथ ‘भू-स्थानिक दिशानिर्देश’ और ‘भारतीय अंतरिक्ष नीति’ को लागू किया गया है।
  • सरकार को स्पष्ट नियामक माहौल बनाए रखने, लालफीताशाही को कम करने, सार्वजनिक समर्थन बढ़ाने और भारतीय कंपनियों को विदेशी बाजारों तक पहुंच को आसान बनाए रखने की जरुरत की ओर ध्यान दे रही है । इसके साथ ही, सार्वजनिक समर्थन और निजी कंपनियों को विदेशी बाजारों में पहुंच को बढ़ावा देने के लिए भी उपाय किया जा रहा है।
  • भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी उपस्थिति मजबूत करने के लिए कदम उठाये हैं और इसमें निजी कंपनियों को भूमिका मिलने से उन्हें और भी सकारात्मक रूप से सहयोग होगा। इससे अंतरिक्ष क्षेत्र में नए संभावनाओं का सामना किया जा सकेगा और भारत एक विश्वस्तरीय अंतरिक्ष शक्ति बन सकता है।
  • भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र एक नए दौर की शुरुआत कर रहा है जिसमें निजी क्षेत्र को भी बड़ा हिस्सा मिल रहा है। 
  • इस नए दौर में, सरकार ने उपग्रहों, ग्राउंड सेगमेंट, उपयोगकर्ता सेगमेंट के लिए घटकों और प्रणालियों / उप-प्रणालियों के निर्माण में विदेशी निवेश के लिए दरवाजा खोला है। इससे निजी कंपनियों को बड़े परियाप्त मात्रा में निवेश करने का अवसर मिलेगा और यह सेक्टर विकसित होने में मदद करेगा। इससे भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में चीन के साथ मुकाबले में अधिक सक्षम बनेगा और विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश करने के लिए प्रेरित करेगा।
  • भारतीय स्टार्ट-अप्स ने वर्ष 2021-23 में दुनिया भर से जुटाए गए 37.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के एक “महत्वपूर्ण” हिस्से को अंतरिक्ष स्टार्ट-अप्स के रूप में निवेश  किया है। इससे इन कंपनियों को विकसित होने में मदद मिलेगी और वे नए निवेशकों को आकर्षित कर सकेंगी।

भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र की शुरुआत विभिन्न अंतरिक्ष यान और उपग्रह लॉन्चिंग में सफलता से हुई थी। भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में विकास और सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।  अतः भारत द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र में विकास के लिए अपनाए गए कुछ महत्वपूर्ण सुधार निम्नलिखित है – 

  1. अंतरिक्ष क्षेत्र में उन्नत तकनीकी उत्पादों का निर्माण के लिए नीति और सुधारात्मक पहल अपनाना : भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में नए नीतियों को अपनाया है जिसमें निजी कंपनियों को अंतरिक्ष क्षेत्र में भागीदारी करने का मौका मिला है। इससे नए और उन्नत तकनीकी उत्पादों का निर्माण हो रहा है और इससे अंतरिक्ष क्षेत्र की विशेषज्ञता भी  विकसित हो रही है।
  2. भारतीय अंतरिक्ष नीति : भारतीय अंतरिक्ष नीति के अनुसार, निजी कंपनियां अंतरिक्ष से जुड़ी विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि उपग्रह निर्माण, उपग्रह संचालन, और डेटा उत्पाद के क्षेत्र में भी कार्य कर सकती हैं ।
  3. दूरसंचार अधिनियम 2023 :  इस अधिनियम के द्वारा, भारत ने उपग्रह ब्रॉडबैंड सेवाओं के क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए प्रावधान किया है, जिससे आम लोगों को भी अंतरिक्ष से जुड़ी सुविधाएं मिलेंगी।
  4. निजी निवेश के लिए  द्वार खोलना :  भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में अनुसंधान और तकनीकी विकास के लिए निजी निवेश को बढ़ावा देने का दरवाजा खोला है, जिससे विभिन्न विश्वस्तरीय कंपनियां भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में अनुसंधान के लिए निवेश कर सकती हैं।
  5. अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स को स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन देना : भारत में अंतरिक्ष के क्षेत्र में विभिन्न प्रक्रार के स्टार्ट-अप्स को स्थापित करने के लिए सुविधाएं प्रदान किया जा रहा है, जिससे भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में विभिन्न नए और उन्नत विचारों को बढ़ावा मिल रहा है।
  • भारत अपने अंतरिक्ष क्षेत्र में विकास के लिए सकारात्मक कदम उठा रहा है और इसमें निजी कंपनियों को शामिल करके एक विश्वस्तरीय चैम्पियन बन रहा है।
  • अंतरिक्ष के वित्तीय, सामाजिक-आर्थिक और भू-राजनीतिक निहितार्थों ने अंतरिक्ष से जुड़ी रोमांटिक धारणाओं की जगह ले ली है। अंतरिक्ष से जुड़ी प्रौद्योगिकियां और अंतरिक्ष के उड़ान महंगे एवं जोखिम भरे प्रयास होते हैं जिनमें संलग्न होने के लिए दशकों से सिर्फ राष्ट्रीय एजेंसियां ही उपयुक्त थीं। यह अब सच नहीं रहा क्योंकि निजी क्षेत्र की कंपनियों से बाजार के अवसरों की पहचान तथा तेजी से नवाचार करके पूरक, संवर्द्धन और/या नेतृत्वकारी भूमिका निभाने की अपेक्षा की जा रही है। 

भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 : 

 

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इस वर्ष भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 को जारी किया है, जिस पर वह कुछ वर्षों से काम कर रहा था। इस नीति का स्वागत नए अंतरिक्ष युग में भारत के प्रवेश की दिशा में एक प्रगति के रूप में किया गया है।
  • 1990 के दशक की शुरुआत तक भारत के अंतरिक्ष उद्योग और अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को इसरो द्वारा ही परिभाषित किया जाता था। इनमें निजी क्षेत्र की भागीदारी इसरो के डिजाइन और विशिष्टताओं में सहयोग देने तक सीमित थी।
  • भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 में उपग्रहों और रॉकेटों के अंतरिक्ष में प्रक्षेपण से लेकर अर्थ स्टेशनों के संचालन तक में निजी उद्यमों को सभी गतिविधियों में प्रवेश के लिए भारत सरकार द्वारा पहल किया गया है।

भारत ने अतीत में भी अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। जो निम्नलिखित है – 

 

  1. प्रथम उपग्रह संचार नीति (First Satellite Communication Policy) : इस नीति को 1997 में पेश किया गया था, जिसमें उपग्रह उद्योग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। हालांकि, इसे बाद में और उदार बनाया गया, लेकिन प्रथम उपग्रह संचार नीति के प्रति निजी क्षेत्रों में अधिक उत्साह देखने को नहीं मिला था ।
  2. दूरस्थ संवेदन डेटा नीति (Remote Sensing Data Policy) : इस नीति को वर्ष 2001 में पेश किया गया था, जिसे वर्ष 2011 में संशोधित भी किया गया था और फिर इसे वर्ष 2016 में राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था , को वर्ष  2022 में और भी ज्यादा  उदार बनाई गई थी ।
  3. मसौदा अंतरिक्ष गतिविधि विधेयक (Draft Space Activities Bill) : इस विधेयक को वर्ष 2017 में लाया गया था, जो 2019 में तत्कालीन लोकसभा के विघटन के साथ ही समाप्त हो गया था। भारत सरकार से वर्ष 2021 में नया विधेयक पेश करने की अपेक्षा की गई  थी , लेकिन इसरो द्वारा जारी नई नीति से भारत सरकार का संभवतः संतुष्ट हो जाना प्रतीत होता है।

अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत द्वारा निजी निवेशकों को शामिल करने का कारण : 

  1. भारत का पिछड़ापन : वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी कम है, और निजी क्षेत्र के निवेशकों को शामिल करने से भारत द्वारा इसे मजबूत किया जा सकता है।
  2. भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र की पूर्ण क्षमता का दोहन:  इसे बढ़ावा देने से भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो सकती है, जिससे रोजगार के अधिक अवसर सृजित हो सकते हैं।
  3. निजी क्षेत्र द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र में क्रांति का सूत्रपात :  निजी कंपनियों को बढ़ावा देने से अंतरिक्ष क्षेत्र में नए तकनीकी और उद्यमिता के क्षेत्रों में क्रांति हो सकती है।
  4. सुरक्षा और रक्षा : भारत द्वारा स्वदेशी उपग्रहों का उपयोग करने से सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में स्वावलंबन में सुधार हो सकता है।
  5. अंतरिक्ष क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ावा देना : भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों को बढ़ावा देने से भारतीय युवाओं और उद्यमियों को अंतरिक्ष क्षेत्र में उद्यमिता के क्षेत्र मेंअधिक रूचि हो सकती है।
  6. भारतीय अंतरिक्ष उद्योग को वैश्विक उद्योग के समकक्ष बनाना :  निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में विक्रेता बनाए रखने की क्षमता हो सकती है।
  7. अर्थव्यवस्था में सुधार :  निजी निवेशको को शामिल करने से अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो सकती है, जिससे भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती प्राप्त कर सकता है।
  8. अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना : निजी क्षेत्र के निवेशकों के समर्थन से भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर सकता है।
  9. रोजगार के अवसर का सृजन :  भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र के विकास से नए रोजगार के अवसर बन सकते हैं, जो युवा और उद्यमिता के लिए एक सार्थक क्षेत्र सृजित कर सकता है।
  10. वैश्विक प्रतिस्पर्धा में समर्थन :  निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने से भारतीय का अंतरिक्ष कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बन सकता है।
  11. अंतरिक्ष और उच्च प्रौद्योगिकी में निजी उद्यमिता को बढ़ावा  देना : भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में  निजी क्षेत्र की गतिविधियों में भारतीय युवा और उद्यमियों को सक्षम बनाने से उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नई ऊर्जा और उत्पादों के लिए नए आविष्कार हो सकते हैं।
  12. अंतरिक्ष क्षेत्र में विज्ञान और तकनीक में सुधार : भारत का निजी क्षेत्र के साथ भागीदारी से अंतरिक्ष क्षेत्र में नई तकनीकियों और विज्ञान में सुधार हो सकता है।

इस प्रकार, निजी क्षेत्र के निवेशकों को शामिल करने से भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में आगे बढ़ सकता है और वैश्विक अंतरिक्ष बाजार के क्षेत्र में  अधिक सशक्त हो  सकता है।

भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 का उद्देश्य : 

 

भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 का उद्देश्य है – ‘अंतरिक्ष में एक समृद्ध वाणिज्यिक उपस्थिति को सक्षम, प्रोत्साहित और विकसित करना।   इस नीति के मुख्य बिंदुओं में एक सारांश प्रदान किया जा सकता है:

  1. भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (InSPACe) : इस नीति के तहत, InSPACe बनाया गया है जो अंतरिक्ष प्रक्षेपण, लॉन्च पैड स्थापना, उपग्रहों की खरीद-बिक्री और हाई-रिज़ॉल्यूशन डेटा प्रसार करने के लिए एकल खिड़की मंज़ूरी एवं प्राधिकरण के रूप में कार्य करेगा। इसमें गैर-सरकारी निकायों और सरकारी कंपनियों के साथ साझेदारी भी शामिल होगी। InSPACe एक स्थिर और पूर्वानुमेय विनियामक ढाँचा तैयार करेगा।
  2. न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) : इसका उद्देश्य अंतरिक्ष संबंधी घटकों, प्रौद्योगिकियों, और मंचों के व्यावसायीकरण के साथ-साथ सृजित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों की खरीद-बिक्री के लिए जिम्मेदार होना है।
  3. अंतरिक्ष विभाग यह विभाग भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित समग्र नीति- निर्माण और  दिशा – निर्देश प्रदान करता है और भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों को लागू करने के लिए यह एक नोडल विभाग होता है । इसका कार्य विदेश मंत्रालय के साथ वैश्विक अंतरिक्ष प्रशासन और कार्यक्रमों के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समन्वय की दिशा में भी होगा। इस विभाग का उद्देश्य अंतरिक्ष गतिविधियों से संबंधित विवादों को हल करने के लिए एक तंत्र बनाना है।
  4. इसरो की भूमिका : इस नीति के अनुसार, इसरो को अब उद्योगों के साथ पारंपरिक भूमिका  से बाहर निकलकर वाणिज्यिक उपयोग के लिए परिपक्व प्रणालियों को स्थानांतरित करने का मौका मिलेगा। इससे इसरो को अधिक प्रौद्योगिकियों, नई प्रणालियों के विकास, और दीर्घकालिक परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण करने का अवसर मिलेगा।

इस प्रकार, भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 ने एक समृद्ध और विकसित अंतरिक्ष क्षेत्र की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र द्वारा निवेश का परिणाम : 

 

  • भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र द्वारा किए गए निवेश से यह अंतरिक्ष गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 
  • इसमें स्थापित निजी क्षेत्र कंपनियाँ (NGEs) अंतरिक्ष क्षेत्र में सभी प्रकार की गतिविधियों की स्थापना और संचालन करने के लिए अनुमति प्राप्त कर रही हैं। 
  • इसके द्वारा स्पेस ऑब्जेक्ट्स, भूमि-आधारित संपत्तियों, संचार, रिमोट सेंसिंग, नेविगेशन, और अन्य संबंधित सेवाएं शामिल हैं।
  • निजी क्षेत्रों के निवेशकों द्वारा निवेश से उपग्रह स्व-स्वामित्व वाले हो सकते हैं और इन्हें खरीदा जा सकता है या पट्टे पर लिया जा सकता है। 
  • संचार सेवाएँ भारत या विदेश से प्राप्त की जा सकती हैं और रिमोट सेंसिंग डेटा को भारत या विदेश में प्रसारित किया जा सकता है। 
  • NGEs अंतरिक्ष परिवहन के लिए लॉन्च वाहनों को डिजाइन और संचालित कर सकते हैं और अपनी स्वयं की आधारभूत संरचना स्थापित कर सकते हैं।
  • NGEs अब अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के साथ फाइलिंग कर सकते हैं और उपग्रहीय संसाधनों की वाणिज्यिक वापसीमें सहायक बन सकते हैं। इससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलती है और विभिन्न संगठनों के साथ सहयोग का मौका मिलता है।
  • इससे यह स्पष्ट होता है कि अंतरिक्ष गतिविधियों का पूरा दायरा अब निजी क्षेत्र के लिए खुल गया है। सुरक्षा एजेंसियाँ विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए NGEs को समाधान प्रदान करने का कार्य सौंप सकती हैं। 
  • भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान और शोध में निजी क्षेत्र ने अंतरिक्ष गतिविधियों के क्षेत्र में एक नई दिशा दी है और यह भारत की सुरक्षा एजेंसियों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक समर्थ समाधान प्रदान करने में मदद कर सकता है।

भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र के निवेशकों द्वारा निवेश करने की नीति में व्याप्त कमियाँ : 

भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र के निवेशकों द्वारा निवेश करने की नीति में व्याप्त कमियों और IN-SPACe के चरणों के लिए समयसीमा की कमी को दूर करने के लिए कुछ सुझाव – 

समय सीमा का निर्धारण करना : 

  • भारत सरकार को IN-SPACe के लिए एक स्थिर समय – सीमा तय करना चाहिए, जिससे इसकी स्थापना और परिचालन को सुनिश्चित किया जा सके , और जिससे IN-SPACe को विधायिका से प्राधिकृति प्राप्त हो सके।

FDI और लाइसेंसिंग नियमों की स्पष्टता निर्धारण करना : 

  • भारत सरकार को परिकल्पित नीतिगत ढाँचे में FDI और लाइसेंसिंग के संबंध में स्पष्ट नियमों और विनियमों की आवश्यकता है। नए अंतरिक्ष स्टार्ट-अप्स के लिए सरकारी खरीद, उल्लंघन के मामले में देयता और विवाद निपटान के लिए स्पष्ट नियम तय करना चाहिए।

IN-SPACe को विधायी प्राधिकार प्रदान करना : 

  • भारत सरकार को इस क्षेत्र के लिए एक विधेयक पारित करना चाहिए, जिससे IN-SPACe को वैधानिक दर्जा प्राप्त हो सके। इस विधेयक में ISRO और IN-SPACe के लिए समयसीमा निर्धारित करना चाहिए और इसमें विदेशी निवेश और सरकारी समर्थन के लिए भी निर्देश शामिल करना चाहिए।

समर्थन और अनुशासन को अधिक बढ़ावा देना : 

  • भारत सरकार को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक सकारात्मक अनुशासन और समर्थन प्रणाली को विकसित करना चाहिए, जिससे नए अंतरिक्ष स्टार्ट-अप्स को सरकारी सहायता मिल सके। भारत सरकार को निवेश को बढ़ावा देने और नए उद्यमों को समर्थन प्रदान करने के लिए योजनाएं बनानी चाहिए।

सांविदानिक एवं समृद्धि संरचना को विकसित करना : 

  • भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में विकास की दृष्टि से समृद्धि संरचना को बनाए रखना चाहिए, ताकि अंतरिक्ष स्टार्ट-अप्स को आवश्यक सांविदानिक, तकनीकी और आर्थिक सहायता मिल सके। इन माध्यमों से सरकार और IN-SPACe विकसित होकर अंतरिक्ष क्षेत्र में नए ऊर्जावान और सफलतापूर्वक कार्रवाई कर सकते हैं।

 

निष्कर्ष / समाधान की राह : 

 

  • IN-SPACe एक नियामक संस्था है लेकिन इसे विधायी प्राधिकार प्राप्त नहीं है। अतः भारत सरकार को भारतीय संविधान में संशोधन कर इसे एक विधायी प्राधिकार बनाना चाहिए ​।
  • सरकार को अंतरिक्ष क्षेत्र के नियामक माहौल को स्पष्ट रखना चाहिए।
  • अंतरिक्ष नीति 2023 एक भविष्योन्मुखी दस्तावेज है जो अच्छी मंशा और विजन को प्रकट करता है। लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। तत्काल आवश्यकता है कि इस विजन को वास्तविकता में बदलने के लिए आवश्यक विधिक ढाँचा प्रदान करने हेतु एक समयसीमा तय किया जाए ताकि भारत को सफलतापूर्वक द्वितीय अंतरिक्ष युग में प्रक्षेपित किया जा सके। सरकार को एक विधेयक लाना चाहिए जो IN-SPACe को वैधानिक दर्जा प्रदान करे और ISRO और IN-SPACe दोनों के लिए समयसीमा भी निर्धारित करे। यह विधेयक विदेशी निवेश, नए अंतरिक्ष स्टार्टअप्स के लिए सरकारी समर्थन आदि से संबंधित अस्पष्टता को भी संबोधित करे।
  • इस प्रक्रिया में सरकार को स्पष्ट नियामक माहौल बनाए रखने लालफीताशाही को कम करने, सार्वजनिक समर्थन बढ़ाने और भारतीय कंपनियों को विदेशी बाजारों तक पहुंच को आसान बनाए रखने की जरुरत है। इसके बिना, यह समर्थन बढ़ाने वाले उदार नीतियों का पूर्ण फायदा नहीं हो सकता। इस प्रकार, भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र नए उच्चायों की ओर बढ़ रहा है और निजी कंपनियों को इसमें भूमिका निभाने का एक नया मौका प्रदान कर रहा है।
  • सरकार को नियामक माहौल को सुनिश्चित करना होगा ताकि अंतरिक्ष सेक्टर में कार्रवाई होती रहे और उच्च गुणवत्ता और सुरक्षितता के मानकों का पालन किया जा सके।

Download yojna daily current affairs hindi med 23rd feb 2024

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के नए दौर में भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए ।

  1. भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र एक नए दौर की शुरुआत कर रहा है जिसमें निजी क्षेत्र के निवेशकों को 100 प्रतिशत निवेश करने का अधिकार मिल रहा है। 
  2. दूरस्थ संवेदन डेटा नीति को वर्ष 2001 में पेश किया गया था, जिसे व वर्ष 2016 में राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। 
  3. भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 का उद्देश्य – ‘अंतरिक्ष में एक समृद्ध वाणिज्यिक उपस्थिति को सक्षम, प्रोत्साहित और विकसित करना’ है।
  4. भारत सरकार को इसरो को एक दिशा निर्देश जारी करना चाहिए,  जिससे IN-SPACe को वैधानिक दर्जा प्राप्त हो सके।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

(A) केवल 1 और 3 

(B) केवल  3 और 4 

(C ) केवल 2 और 4 

(D) केवल 2 और 3 

उत्तर – (D) 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में इसरो की भूमिका के प्रमुख प्रावधानों को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के नए दौर में भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के तहत निजी निवेशकों की भागीदारी से भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में किस प्रकार आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति की भूमिका निभा सकता है ? तर्कसंगत व्याख्या कीजिए।  

No Comments

Post A Comment