30 Mar भारत के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य
स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।
सामान्य अध्ययन – भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास, राजकोषीय समेकन, राजकोषीय घाटा, सकल घरेलू उत्पाद
ख़बरों में क्यों ?
- भारत की केंद्र सरकार ने जनवरी 2024 के 11 लाख करोड़ रुपये से फरवरी 2024 के अंत तक राजकोषीय घाटे को 15 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाया है। इससे, राजकोषीय घाटे में 86.5% तक की बढ़ोतरी हुई है, जिसमें राज्यों के कर हस्तांतरण और पूंजीगत व्यय की वृद्धि का महत्वपूर्ण योगदान है।
- वित्त मंत्रालय ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लिए भी अपने लक्ष्य को कम किया है, जिसे 2024-25 में 5.1% तक कम किया जाएगा। यह भारत में केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय चुनौतियों के निपटने का प्रयास है।
- केंद्र सरकार के पास मार्च में अभी भी छह लाख करोड़ रुपये खर्च करने की क्षमता है, जो केंद्र सरकार को मौजूदा वित्तीय चुनौतियों को संभालने में मदद कर सकती है। क्योंकि भारत राष्ट्रीय ऋणों से निपटने में वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहा है।
- अतः केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने अपने अंतरिम बजट 2024-25 में भारत के राजकोषीय घाटे को वित्तीय वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product – GDP) के 5.1% तक कम करने का निर्णय लिया है।
राजकोषीय घाटा और राष्ट्रीय ऋण :
- किसी देश की सरकार द्वारा अपने ऋणदाताओं को एक निश्चित समय पर जो कुल राशि की जो देनदारी होती है उसे राष्ट्रीय ऋण कहा जाता है।
- छोटी बचत, भविष्य निधि और विशेष प्रतिभूतियों जैसी योजनाओं के दायित्वों के साथ-साथ घरेलू तथा बाहरी ऋण सहित विभिन्न देनदारियाँ सरकारी ऋण में शामिल होती हैं।
- इन देनदारियों में ब्याज भुगतान और मूल राशि का पुनर्भुगतान दोनों शामिल होते हैं, जिससे सरकार के वित्त पर काफी वित्तीय बोझ पड़ता है।
- यह ऋण की वह राशि होती है जो सरकार ने कई वर्षों के राजकोषीय घाटे से उबरने के लिए उधार लेने के दौरान जमा किया होता है।
- सकल घरेलू उत्पाद के हिस्से के रूप में सरकार का राजकोषीय घाटा जितना अधिक होगा, उसके ऋणदाताओं को भुगतान किए जाने की संभावना उतनी ही कम होती है।
- बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों का राजकोषीय घाटा अधिक नहीं हो सकता है।
- वर्ष 2022 तक, प्रमुख घाटे वाले देशों में इटली -7.8%, हंगरी -6.3%, दक्षिण अफ्रीका -4.8%, स्पेन -4.7%, फ्राँस -4.7% शामिल हैं।
किसी उभरती अर्थव्यवस्था में राजकोषीय सुदृढ़ीकरण का महत्व :
- राजकोषीय घाटे को कम करने के तरीकों और साधनों को राजकोषीय समेकन कहा जाता है।
- कोई भी सरकार अपनी अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण में घाटे को पाटने के लिए उधार लेती है। जिसको उसे अपनी कमाई का एक हिस्सा कर्ज चुकाने के लिए आवंटित करना पड़ता है। अतः कर्ज बढ़ने पर ब्याज का बोझ भी बढ़ेगा।
राजकोषीय घाटा का अर्थ :
- किसी भी सरकार के कुल व्यय और उसके कुल प्राप्त राजस्व (उधार को छोड़कर) के बीच का अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है।
- यह इस बात का संकेतक है कि सरकार को अपने परिचालन को वित्तपोषित करने के लिए किस हद तक उधार लेना चाहिए।
- इसे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है ।
- उच्च राजकोषीय घाटे से मुद्रास्फीति , मुद्रा का अवमूल्यन और ऋण बोझ में वृद्धि हो सकती है, जबकि कम राजकोषीय घाटे को राजकोषीय अनुशासन और स्वस्थ अर्थव्यवस्था के सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जाता है।
राजकोषीय घाटे के सकारात्मक पहलू :
सरकारी खर्च में वृद्धि : राजकोषीय घाटा सरकार को सार्वजनिक सेवाओं, बुनियादी ढांचे और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर खर्च बढ़ाने में सक्षम बनाता है जो आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
सार्वजनिक निवेश का वित्तपोषण : सरकार राजकोषीय घाटे के माध्यम से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं जैसे दीर्घकालिक निवेश का वित्तपोषण कर सकती है ।
रोजगार सृजन : सरकारी खर्च बढ़ने से रोजगार सृजन हो सकता है, जो बेरोजगारी को कम करने और जीवन स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
राजकोषीय घाटे के नकारात्मक पहलू :
भुगतान संतुलन की समस्याएँ : यदि कोई देश बड़े राजकोषीय घाटे से जूझ रहा है, तो उसे विदेशी स्रोतों से उधार लेना पड़ सकता है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में कमी हो सकती है और इससे भुगतान संतुलन पर दबाव पड़ सकता है।
मुद्रास्फीति का दबाव : बड़े राजकोषीय घाटे से धन आपूर्ति में वृद्धि और उच्च मुद्रास्फीति हो सकती है, जिससे आम जनता की क्रय शक्ति कम हो जाती है ।
ऋण बोझ में वृद्धि : लगातार उच्च राजकोषीय घाटे के कारण सरकारी ऋण में वृद्धि होती है, जिससे भावी पीढ़ियों पर ऋण चुकाने का दबाव पड़ता है।
निजी निवेश का बाहर जाना : सरकार को राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए भारी उधार लेना पड़ सकता है, जिससे ब्याज दरों में वृद्धि हो सकती है, और निजी क्षेत्र के लिए ऋण प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है, जिससे निजी निवेश बाहर हो सकता है।
भारत में राजकोषीय घाटा के अन्य प्रकार :
प्रभावी राजस्व घाटा :
- राजस्व घाटे और पूंजीगत संपत्ति के निर्माण के लिए दिए गए अनुदान के बीच के अंतर को प्रभावी राजस्व घाटा कहा जाता है।
- भारत में रंगराजन समिति द्वारा सार्वजनिक व्यय पर प्रभावी राजस्व घाटे की अवधारणा सुझाई गई थी।
राजस्व घाटा :
- यह राजस्व प्राप्तियों पर सरकार के राजस्व व्यय की अधिकता को बताती है।
- अतः राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ।
प्राथमिक घाटा :
- प्राथमिक घाटा राजकोषीय घाटा के ब्याज भुगतान के बराबर होता है।
- यह किसी सरकार द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए पिछले वर्षों के दौरान लिए गए ऋणों पर ब्याज भुगतान पर किए गए व्यय को ध्यान में नहीं रखते हुए, सरकार की व्यय आवश्यकताओं और इसकी प्राप्तियों के बीच अंतर को बताता है।
- अतः प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज भुगतान।
निष्कर्ष :
- भारत में केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार फरवरी में राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी के बावजूद भी सरकार द्वारा तय किए गए इस साल के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
- वर्तमान समय में भारत के केंद्र सरकार की प्राथमिकता पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) के जरिए अर्थव्यवस्था के असंतुलन की स्थिति से बाहर निकालना है।
- भारत की अर्थव्यवस्था के बुनियादी ढांचे में सरकारी निवेश बढ़ने से निजी निवेश भी बढ़ेगा, जिससे आर्थिक (जीडीपी) विकास को बढ़ावा मिलेगा और इसके परिणामस्वरूप राजकोषीय घाटे और जीडीपी का अनुपात कम हो जाएगा।
- राजकोषीय सुदृढ़ीकरण उपायों के संयोजन को कार्यान्वित कर भारत राजकोषीय स्थिरता, आर्थिक विकास एवं दीर्घकालिक समृद्धि सुनिश्चित करते हुए अपने राष्ट्रीय ऋण तथा राजकोषीय घाटे को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकता है।
- भारत में स्थायी राजकोषीय का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अल्पकालिक स्थिरीकरण प्रयासों तथा दीर्घकालिक संरचनात्मक सुधारों के बीच संतुलन स्थापित करना आवश्यक है।
- यह काफी प्रशंसनीय है कि कुछ मंत्रालय अपने लक्ष्यों से चूक जाने के बाद भी पूरे साल के घाटे के आंकड़ों के लिहाज से सकारात्मक रूप से परिणाम देंगे।
- सरकार द्वारा वृहद स्तर पर बेहतर आर्थिक परिणामों के लिए लगाम लगाना अच्छा होता है, लेकिन लगातार खर्च करने वाले लक्ष्यों को चूकने से इच्छित नतीजों से समझौता करना पड़ता है और यह संकेत मिलता है कि आने वाले वर्षों में बेहतर परिव्यय की योजना बनाने और कम उधार लेने की गुंजाइश हो सकती है।
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को कम करने के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- वित्त मंत्रालय ने अंतरिम बजट 2024-25 में भारत के राजकोषीय घाटे को वित्तीय वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद के 5.1% तक कम करने का निर्णय लिया है।
- छोटी बचत, भविष्य निधि और विशेष प्रतिभूतियों जैसी योजनाओं के दायित्वों के साथ-साथ घरेलू तथा बाहरी ऋण सहित विभिन्न देनदारियाँ सरकारी ऋण में शामिल होती हैं।
- वित्त मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 5.1% तक कम करने के लक्ष्य को निर्धारित किया है।
- सरकार का राजकोषीय घाटा जितना अधिक होगा, उसके ऋणदाताओं को भुगतान किए जाने की संभावना उतनी ही कम होगी।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
(A). केवल 1, 2 और 3
(B). केवल 2 , 3 और 4
(C). इनमें से कोई नहीं
(D). इनमें से सभी।
उत्तर – (D)
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत में राजकोषीय घाटे के विभिन्न पहलूओं को रेखांकित करते हए किसी उभरती अर्थव्यवस्था में राजकोषीय सुदृढ़ीकरण का महत्व और सरकार द्वारा निर्धारित किए गए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण कारकों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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