सनातन धर्म और संसद भवन 

सनातन धर्म और संसद भवन 

सनातन धर्म और संसद भवन 

संदर्भ- नई दिल्ली में नए संसद भवन का वास्तुकला व शिल्प आकर्षण का विषय बना हुआ है। इण्डियन एक्सप्रैस के अनुसार इसका उद्घाटन जल्द होने की संभावना है। नवनिर्मित संसद भावन को पुराने संसद भवन के पास ही निर्मित किया गया है। इसके निर्माण में 5000 वर्ष पुरानी भारत की प्राचीन सनातन परंपरा व कला को शामिल किया गया है। लगभग 65000 मीटर के स्थान पर पेंटिग, सजावटी कला, दीवार पैनल, पत्थर की मूर्तियाँ व धातु की वस्तुओं से संसद भवन को अलंकृत किया गया है। इन कलाकृतियों को सनातन परंपरा के शुभ चिह्नों जैसे – कमल, पीपल, गज, अश्व, गरुड़ आदि चिह्नों को शामिल किया गया है। 

प्रवेश द्वार – इसके प्रवेश द्वारों की कलाकृति आकर्षण का मुख्य केंद्र है, संसद भवन में 6 प्रवेश द्वारों का निर्माण किया गया है। प्रत्येक द्वार में शुभता के प्रतीक पशुओं की मूर्ति को स्थापित किया गया है।

  • उत्तरी द्वार- सनातन परंपरा में उत्तर दिशा को बुद्धि का प्रतीक माना जाता है, अतः ज्ञान, धन व बुद्धि के प्रतीक हाथी की मूर्ति को उत्तरी प्रवेश द्वार में सुसज्जित किया गया है।
  • दक्षिणी द्वार- दक्षिणी द्वार घोड़े से सुसज्जित है जिसे सनातन परंपरा में धीरज, शक्ति व गति का प्रतीक माना जाता है।
  • पूर्वी द्वार- पूर्व दिशा उगते सूरज को दर्शाती है, और उगता सूरज, विजय व आकांक्षाओं का प्रतीक है। इस द्वार में गरुड़ को दर्शाया गया है।
  • उत्तर पूर्वी द्वार- उत्तर पूर्वी द्वार में हंसों की मूर्ति को सजाया गया है, जो विवेक व ज्ञान का प्रतीक हैं।
  • शेष द्वारों में जलजीव मकर को दर्शाया गया है, जिसे पौराणिक रूप से विभिन्न जीवों का प्रतिनिधित्वकर्ता माना जाता है। इसके साथ इस द्वार में शारदुल को दर्शाया गया है जिसे सभी जीवों में शक्तिशाली माना जाता है। इस प्रकार यह भारत देश में निहित, विविधता में एकता व शक्ति को प्रदर्शित करता है।

सनातन परंपरा – 

  • सनातन धर्म जिसे ऐतिहासिक रूप से वैदिक धर्म व वर्तमान में हिंदू धर्म कहा जाता है। किंतु हिंदू धर्म के अतिरिक्त जैन , बौद्ध, सिक्ख भी स्वयं को सनातन का अंश मानते हैं।
  • सनातन शब्द का अर्थ होता है- शास्वत या सदा बने रहने वाला।  
  • आश्वलायन धर्मसूत्र के अनुसार ‘धारणात् श्रेय आदधाति इति धर्म:’ अर्थात- जिसको धारण करने से मनुष्य कल्याण, यश और उन्नति प्राप्त करता है, वही धर्म है।
  • वैदिक धर्म, भारतीय उपमहाद्वीप में विकसित हुआ। सनातन धर्म की भूमि में रामायण व महाभारत की रचना हुई।
  • सिंधु घाटी सभ्यता से सनातन धर्म या हिंदू धर्म के कई प्रमाण मिले हैं जिसकी अवधि 3000-4000 ईसा पूर्व निर्धारित की गई है। यहाँ से मातृदेवी की मूर्ति, पीपल पूजा, लिंग पूजा दीप प्रज्वलन आदि के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। यह अवशेषों के प्रतीकों का प्रयोग रामायण व महाभारतकाल के समाज में भी होता था। अतः यह भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है।
  • विभिन्न देवी देवताओं की पूजा के बाद भी सनातन धर्म, शास्वत एक सत्य को मानता है।
  • आधुनिक काल में स्वामी विवेकानंद व दयानंद सरस्वती जैसे विद्वानों ने सनातन धर्म की व्याख्या सर्वधर्म सम्भाव के रूप में की और धर्म में व्याप्त कुरीतियों का खण्डन किया।
  • महात्मा गांधी के अनुसार सनातन धर्म केवल हिंदू धर्म नहीं बल्कि सर्वव्यापी, सर्वकालिक और सबको धारण करने वाला है और राजनीति ऐसे धर्म की सदैव दासी होती है।

सेंट्रल विंस्टा पुनर्विकास योजना-

सेंट्रल विस्टा- 1911 में जब भारत में ब्रिटिशों का शासन था, दिल्ली में दरबार का आयोजन किया गया और राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की गई। और ब्रिटिश शासक जॉर्ज पंचम ने 12 दिसंबर 1911 को राजधानी दिल्ली की आधारशिला रखी। आधारशिला के स्थान को कुछ समय बाद रायसीना पहाड़ी में स्थानांतरित कर दिया। राजपथ के आसपास के भवनों को ब्रिटिश वास्तुकार एडवर्ड लुटियन व सर एडवर्ड बेकर के निर्देशन में बनाया गया। 

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना-  भारत सरकार द्वारा, रायसीना पहाड़ी से इण्डिया गेट तक के प्रशासनिक क्षेत्र जिसे सेंट्रल विस्टा कहा जाता है, को परिवर्तित व विकसित करने की एक योजना है। परियोजना की लागत लगभग 20000 करोड़ रुपये आंकी गई है। इसके तहत-

  • संसद भवन का निर्माण
  • केंद्रीय सचिवालय निर्माण
  • राजपथ में परिवर्तन, जिसका नाम अब कर्तव्य पथ कर दिया गया है।
  • नॉर्थ ब्लॉक व साउथ ब्लॉक में संग्रहालय का निर्माण प्रस्तावित है।

     

नए संसद भवन की आवश्यकता-

  • संसद भवन का निर्माण पूर्व में ब्रिटिश हुकुमत के अनुसार किया गया था, अतः भारतीय संविधान के द्विसदनीय व्यवस्था इसके निर्माण की एक आवश्यकता है।
  • वर्तमान संसद में सदन की कुल सदस्य संख्या 545 है और संयुक्त सदन के समय स्थान की कमी है जिसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है। भविष्य में सदन की सदस्य संख्या बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है, अतः भविष्य को देखते हुए 888 सदस्यों के लिए स्थान का निर्माण किया गया है।
  • पर्यावरण के प्रति संवेदनशील- यह अग्नि, वर्षा के प्रति संवेदनशील है। इसके अतिरिक्त भवन को भूकंपरोधी भी नहीं बनाया गया है। अतः पर्यावरणीय आपदा के समय बचाव की दृष्टि से एक आपदारोधी संसद भवन की आवश्यकता है।
  • सुरक्षा की दृष्टि से भवन का निर्माण नहीं किया गया है। 2001 में संसद पर हमला इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण है।
  • संसद के निर्माण को भारतीय सनातन धर्म परंपरा के अनुसार बनाया जा रहा है जो भारतीय इतिहास को समृद्ध व संरक्षित करेगी। 

चिंताएं- 

  • अत्यधिक लागत के कारण देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
  • इण्डियन एक्सप्रैस के अनुसार योजना में सनातन धर्म के चिह्नों का प्रयोग किया जा रहा है, इन चिह्नों को गलत तरीके से प्रचारित करने से अनुचित संदेश प्रसारित हो सकता है। अतः धर्म की उचित व्याख्या की जानी आवश्यक है, जिससे समस्त भारत में सर्वधर्म सम्भाव की भावना प्रेरित हो।

स्रोत

Yojna IAS Daily current affairs hindi med 17th March 2023

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