भारत में अंगदान की स्थिति

भारत में अंगदान की स्थिति

अंगदान में अंगदान की स्थिति 

संदर्भ- हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अंग प्राप्त करने के लिए 65 वर्ष की आयु की सीमा को समाप्त कर दिया है और बुजुर्गों को प्रतीक्षा सूची में पंजीकरण करने की अनुमति देने के लिए दिशानिर्देशों को सुधारा जा रहा है। लेकिन युवा दानकर्ताओं को अभी भी वरीयता दी जाएगी। 

अंगदान हेतु कानून में परिवर्तन

  • आयु सीमा में बढ़ोतरी – वर्तमान अवधि तक प्राप्तकर्ता की आयु 65 वर्ष से कम होने का प्रावधान था यह प्रावधान युवाओं को प्राथमिकता देने के लिए रखा गया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक अंग प्राप्त करने वालों की प्रतीक्षा सूची में सबसे अधिक 40% से अधिक उम्र वाले नागरिक हैं। इसके साथ ही अंगदाताओं का एक बड़ा हिस्सा दान करते समय 65 से अधिक उम्र का होता है।  
  • अधिवास प्रमाण पत्र- अब अधिवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है, इससे पहले अंगदान के जिले अथवा में ही उस अंग का प्रत्यारोपण किया जाना था। अंग प्रत्यारोपण के लिए अब किसी भी राज्य में किसी भी पंजीकृत अस्पताल में जा सकते हैं। 

अंगदान-  किसी जीवित या मृत व्यक्ति द्वारा किसी अंग या ऊतक का दान करना अंगदान कहलाता है। दान किए गए अंग को किसी जीवित व्यक्ति जिसे इस अंग की आवश्यकता है के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है। प्रतिवर्ष 13 अगस्त को अंग दिवस के रूप में मनाया जाता है। दान किए जाने वाले अंगों में लीवर, गुर्दा, अग्नाशय, हृदय, फेफड़े और आंत आदि का दान किया जा सकता है।   

भारत में अंग दान- मानव अंगों और ऊतक के प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 द्वारा विनियमित किया गया। इसके तहत जीवित व मृतक दोनों को अपने अंग दान करने की अनुमति देता है। राष्ट्रीय अंग व ऊतक प्रत्यारोपण संगठन देश में अंगों की खरीद, आबंटन और वितरण से संबंधित गतिविधियों के लिए शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करता है। प्रत्येक वर्ष 30 नवंबर को भारतीय अंगदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

देश में 2022 में सभी प्रत्यारोपणों में मृतक दाताओं के अंग लगभग 17.8% थे। पिछले कुछ वर्षों में प्रत्यारोपण की संख्या में वृद्धि हुई है। मृतक अंग प्रत्यारोपण की कुल संख्या 2013 में 837 से बढ़कर 2022 में 2,765 हो गई। सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, अंग प्रत्यारोपण की कुल संख्या – मृतक और जीवित दाताओं दोनों के अंगों के साथ 2013 में 4,990 से बढ़कर 2022 में 15,561 हो गई। भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा प्रत्यारोपण करता है। भारत में अंगदान की निम्न नियमों द्वारा वेधानिक है-

मानव अंगों और ऊतक के प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 

(1)मानव अंगों को प्राधिकार करने का अधिकार-

  • किसी दाता द्वारा मृत्यु से पूर्व अपने शरीर के अंगों का मृत्यु के उपरांत चिकित्सीय प्रयोजन के लिए प्राधिकार, प्राधिकरण को दे सकता है।
  • इसके लिए दाता द्वारा दिया लिखित रूप में या दो साक्षियों के समक्ष स्पष्ट रूप से दिया गया हो।

(2) अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत अस्पताल ही अंगों को निकालने, भण्डारण करने या प्रत्यारोपित करने का अधिकार रखता है।

(3)प्राधिकार के बिना किसी व्यक्तिक के अंगों को निकालना दण्डनीय अपराध है।

मानव अंग प्रत्यारोपण संशोधन अधिनियम 2011

  • प्रस्तुत संशोधन में दान की प्रक्रिया को आसान बनाने का प्रयास किया गया है।
  •  इसमें ऊतकों को भी दानयोग्य अंग के रूप में स्वीकार किया गया है।
  • दानकर्ताओं व प्राप्तकर्ताओं को पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।

मानव अंग व ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम 2014

  • इसके तहत प्राधिकार समिति के सदस्यों को अंग प्रत्यारोपण चिकित्सकों में शामिल नहीं किया जा सकता है।
  • अंग ग्राही विदेशी होने पर उसका अंगदाता(भारतीय) के निकट संबंधी के रूप में पहचान आवश्यक है। 
  • निकट संबंधी न होने की स्थिति में प्राधिकार समिति यह सुनिश्चित करेगी कि अंगग्राही व अंगदाता के बीच कोई भी व्यावसायिक लेनदेन न हो।

राष्ट्रीय अंग व ऊतक प्रत्यारोपण संगठन NOTTO

  • यह भारत में अंग प्रत्यारोपण के लिए एक प्राधिकरण है।
  • यह स्वास्थ्य सेवा निदेशालय, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक राष्ट्रीय स्तर का संगठन है।

चुनौतियाँ

  • विश्व में अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले रोगियों की संख्या 220000 अनुमानित है, हालांकि 18000 का ही प्रत्यारोपण ही हो पाता है।
  • भारत में अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले मरीजों की संख्या 30000 है किंतु 1500 का ही प्रत्यारोपण संभव हो पाता है।
  • भारतीय परिवेश में मृत्यु के बाद मोक्ष की अवधारणा है, कहा जाता है कि अंग प्रत्यारोपण के बाद मोक्ष नहीं मिल पाता है। जिससे लोग अंग दान कम करते हैं।
  • हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए 50000 से अधिक मरीज प्रतीक्षा सूची में रहते हैं किंतु अंगदाताओं की कमी के कारण मरीजों का ट्रांसप्लांट संभव नहीं हो पाता।
  • अंगदान की सम्पूर्ण प्रक्रिया मानव अंगों और ऊतक के प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 के तहत होती है। जिसकी प्रक्रिया विभिन्न शर्तों  के तहत सम्पन्न होती है जिस कारण अंगदान व प्रत्यारोपण प्रक्रिया बोझिल बन जाती है।

आगे की राह

  • समाज में अंगदान को जीवनदान के रूप में प्रसारित करना,
  • मानव शरीर की देखभाल के लिए अच्छी दिनचर्या का पालन करने की आदत जैसे योग का पालन करना।
  • मृत व्यक्तियों के अंगदान को बढ़ावा देना।

Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 18th Feb

स्रोत

Indian express

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