अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस- 2022

अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस- 2022

अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस- 2022

संदर्भ- विश्व भर में 23 सितंबर का दिन, अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।

सांकेतिक भाषा – सांकेतिक भाषा बोलचाल की भाषा के बजाय शारीरिक गतिधियों के माध्यम से व्यक्त की जाने वाली एक दृश्य भाषा है। भाषा हाथों, आँखों, चेहरे के भाव व संवाद के संकेतों पर निर्भर करती है। सांकेतिक भाषा मुख्य रूप से कम सुनने वाले लोगों के द्वारा उपयोग की जाती है। लेकिन इसका प्रयोग बहुत से सुनने वाले लोग भी करते हैं।

  • सांंकेतिक भाषा का प्रारंभ प्लेटो को क्रेटीलस में मिलता है।जिसमें सुकरात द्वारा आवाज न होने पर शारीरिक संकेतों से विचार व्यक्त करने की बात करते हैं।
  • 1620 में जुआन पाब्लो बेनेट ने मूक बधिरों के संवाद की एक पुस्तक प्रकाशित की।
  • 1755 में अब्बे डि लिपि ने पेरिस में प्रथम विद्यालय की स्थापना की।

 अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस- 

  • इस दिवस का प्रस्ताव वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ ने दिया, जो दुनिया भर में 70 मिलियन बधिर लोगों के मानवाधिकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले बधिर लोगों के 135 राष्ट्रीय संघों का एक संघ है। संयुक्त राष्ट्र में एंटीगुआ और बारबुडा के स्थायी मिशन द्वारा संकल्प प्रायोजित किया गया था, 97 संयुक्त राष्ट्र सदस्य राज्यों द्वारा सह-प्रायोजित और 19 दिसंबर 2017 को आम सहमति से अपनाया गया।
  • 23 सितंबर 1951 को वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ की स्थापना दिवस के रूप में भी इस दिवस को मनाया जाता है।
  • बधिरों का अंतर्राष्ट्रीय सप्ताह पहली बार 1958 में मनाया गया था। तब से यह बधिर एकता के रूप में वैश्विक आंदोलन के रूप में विकसित हुआ। अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक दिवस पहली बार 2018 में बधिरों के अंतर्राष्ट्रीय सप्ताह के भाग रूप में मनाया गया था।

अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस 2022 का विषयसाइन लैंग्वेज यूनाइटेड अस 

भारतीय सांकेतिक भाषा- अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा जहाँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देशों को जोड़ती है, वहीं क्षेत्रीय रुप में यह भाषा कंजोर प्रतीत होती है क्योंकि प्रत्येक क्षेत्र या देश विशेष की संस्कृति के कारण ये संकेत बदल जाते हैं जैसे अमेरिका या इंग्लैण्ड जैसे देशों में विवाह का अर्थ अंगूठी से लिया जाता है जबकि भारत में यह हाथ पकड़ने द्वारा समझा जाता है। ऐसे में क्षेत्र विशेष की भाषा के लिए उचित संकेतों का चिह्नीकरण आवश्यक हो जाता है।

  • भारतीय सांकेतिक भाषा भारत के मूक बधिरों के लिए आत्मसम्मान व गौरव का प्रतीक है। 
  • 2000 के दशक में भारतीय बधिर समुदाय ने ISL शिक्षण और अनुसंधान केद्रित एक संस्थान की मांग की थी। 
  • 11 वी पंचवर्षीय योजना में स्वीकार किया गया कि बधिरों की आवश्यकताओं की उपेक्षा की गई है, 2010-11 में ISLRTC(Indian Sign Language Research and Training Centre) की स्थापना की घोषणा की गई। 28 सितंबर 2015 को नई दिल्ली में ISLRTC की स्थापना को मंजूरी मिल गई।
  • भारत में सांकेतिक भाषा को संचार के रूप में मान्यता 19 अप्रैल 2017 को विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के द्वारा मिली। 
  • 2020 में 10000 शब्द युक्त सांकेतिक भाषा के एक शब्दकोश को जारी किया गया है, जिससे भारतीय सांकेतिक भाषा को बल मिलेगा। ISLRTC ने NCERT के साथ कक्षा 1 से 8 तक के बधिर छात्रों के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए समझौता ज्ञापन में हस्ताक्षर किए।

भारतीय सांकेतिक भाषा के उद्देश्य-

  • भारतीय सांकेतिक भाषा को द्विभाषावाद सहित ISL में शिक्षण व अनुसंधान विकसित करने के लिए जनशक्ति विकसित करना।
  • प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तरों पर बधिर छात्रों के लिए शैक्षिक विधा के रूप में भारतीय सांकेतिक भाषा के उपयोग को बढ़ावा देना।
  • भारत और विदेशों में विश्वविद्यालययों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से अनुसंधान करना।
  • भारतीय सांकेतिक भाषा को बढ़ावा देकर देश के मूक बधिर संस्थानों के साथ सहयोग करना।

 

स्रोत-

https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1861555

https://www.un.org/en/observances/sign-languages-day

Yojna IAS Daily Current Affairs Hindi med 23rd September

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