01 Jan अनिवार्य : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम ( मनरेगा ) श्रमिकों को अब मजदूरी के लिए अपने बैंक खाता से आधार को जोड़ना अनिवार्य
( यह लेख ‘ ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के आधिकारिक वेबसाइट ’, ‘ द इकॉनोमी टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ , ‘ ऑक्सफ़ोम इंडिया ’, ‘ इंडियन एक्सप्रेस ’, ‘ द हिन्दू ’, मासिक पत्रिका ‘ वर्ल्ड फोकस ’ और ‘ पीआईबी ’ के सम्मिलित संपादकीय के संक्षिप्त सारांश से संबंधित है। इसमें योजना IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के विशेषकर ‘भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास, गरीबी और विकास – संबंधी मुद्दे, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, वृद्धि एवं विकास,मनरेगा योजना ’ खंड से संबंधित है। यह लेख ‘ दैनिक करंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम श्रमिकों को अब मजदूरी के लिए अपने बैंक खाता से आधार को जोड़ना अनिवार्य ’ से संबंधित है।)
सामान्य अध्ययन – भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास, गरीबी और विकास संबंधी मुद्दे, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, वृद्धि एवं विकास,मनरेगा योजना।
चर्चा में क्यों ?
भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ( Ministry of Rural Development ) की ओर से जारी आदेश के अनुसार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में मजदूरी का भुगतान अब सीधा बैंक खातों में ही होगा। इसके लिए आधार बेस्ड सिस्टम ( ABPS ) तैयार किया गया है। श्रमिकों को बैंक खाते से आधार लिंक कराने को कहा गया है , मजदूरों / श्रमिकों को जिस बैंक खाते में उन्हें मजदूरी लेनी है, उसी से आधार लिंक कराना होगा। यह आदेश एक फरवरी 2024 से पूरे भारत में लागू हो जायेगा। विभाग के अनुसार इस वित्तीय वर्ष में 31 मार्च तक जितना मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य रखा गया था उसमें से वर्तमान में 76 प्रतिशत लक्ष्य पूर्ण कर लिए गए हैं। यह एक प्रकार की भुगतान प्रणाली है जो विशिष्ट पहचान संख्या पर आधारित होती है और आधार कार्ड धारकों को आधार आधारित प्रमाणीकरण के माध्यम से निर्बाध रूप से वित्तीय लेनदेन करने की अनुमति देती है। आधार बेस्ड सिस्टम ( ABPS ) बैंकिंग सेवा का उद्देश्य आधार के माध्यम से सभी को वित्तीय और बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराकर समाज के सभी वर्गों को सशक्त बनाना है । नकद जमा, नकद आहरण, खाते में जमा शेष राशि की पड़ताल, एक आधार से दूसरे आधार में राशि स्थानांतरण, लेनदेन एवं विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे नरेगा, आवास, एन.आर.एल.एम. इत्यादि के भुगतान डी. बी. टी. के माध्यम से सीधे हितग्राहियों/ हितधारकों के खाते में जायेगा। हितग्राही को अपना आधार कार्ड, पासबुक के साथ बैंक में ले जाना होगा। तत्पश्चात के.वाई.सी. फॉर्म भरकर बैंक में जमा करना होगा।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का परिचय :
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत – सरकार द्वारा वर्ष 2005 में शुरू किए गए भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के श्रम से जुड़े सबसे बड़े कार्य गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
- इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य किसी भी ग्रामीण परिवार के सार्वजनिक कार्य से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी देना है।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में एक ऐतिहासिक वृद्धि है।
मनरेगा (MGNREGA) में महिलाओं की भागीदारी के रुझान के अर्थ क्या हैं?
महिलाओं की भागीदारी में रुझान के मायने :
- पिछले दशक में महिलाओं की भागीदारी में क्रमिक – वृद्धि हुई है, जिसका प्रतिशत वर्ष 2020-21 में कोविड-19 के प्रकोप के दौरान 53.19% से बढ़कर वर्तमान 59.25% हो गया है।
- केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और गोवा जैसे दक्षिणी राज्यों में महिलाओं की भागीदारी की दर उल्लेखनीय रूप से उच्च है, जो 70% से अधिक है, जबकि उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश जैसे उत्तरी राज्य लगभग 40% या उससे कम हैं।
- संपूर्ण विश्व में ऐतिहासिक असमानताओं के बावजूद, भारत में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और लक्षद्वीप जैसे कुछ राज्यों ने चालू वित्तीय वर्ष में महिलाओं की भागीदारी दरों में वृद्धिशील प्रतिशत के कारण हाल ही में सुधार दिखाया है।
ग्रामीण श्रम – बल में महिलाओं की वृद्धि के रुझान का प्रमुख कारण :
- सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) ग्रामीण क्षेत्रों में महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) से परे, पर्याप्त वृद्धि दर्शाता है।
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के उल्लेखनीय आँकड़े बताते हैं कि ग्रामीण महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) में सत्र 2017-18 में 18.2% से बढ़कर सत्र 2022-23 में 30.5% हो गई है, साथ ही इसी अवधि के दौरान महिला बेरोज़गारी दर में 3.8% से 1.8% की गिरावट आई है।
- यह योजना न्यूनतम वेतन पर सार्वजनिक कार्यों से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम एक सौ दिनों के रोज़गार की कानूनी गारंटी प्रदान करता है।
- वित्तीय वर्ष / सत्र 2023-24) में इस योजना के तहत सक्रिय कर्मचारी/ श्रमिकों की संख्या 14.32 करोड़ थी।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की प्रमुख विशेषताएँ:
- मनरेगा के डिज़ाइन की आधारशिला इसकी कानूनी गारंटी है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी ग्रामीण वयस्क कार्य के लिए अनुरोध कर सकता है और उसे 15 दिनों के भीतर कार्य मिलना ही चाहिए ।
- किसी कारणवश यदि यह प्रतिबद्धता पूरी नहीं होती है, तो ऐसी स्थिति में उन श्रमिकों को ‘ बेरोज़गारी ’ भत्ता प्रदान किया जाना चाहिए।
- इसमें यह आवश्यक है कि महिलाओं को इस तरह से प्राथमिकता दी जाए कि इसमें कम – से – कम एक तिहाई ऐसी महिलाएँ लाभार्थी हों जिन्होंने पंजीकरण कराकर काम के लिए अनुरोध किया हो।
- मनरेगा की धारा 17 में मनरेगा के तहत निष्पादित सभी कार्यों का सामाजिक लेखा-परीक्षण ( सोशल ऑडिट ) अनिवार्य है।
मनरेगा को क्रियान्वित करने वाली संस्था:
- भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय (MRD) राज्य सरकारों के साथ मिलकर इस योजना के संपूर्ण क्रियान्वयन की निगरानी कर रहा है।
मनरेगा का उद्देश्य:
- यह अधिनियम ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की क्रय – शक्ति में सुधार लाने के उद्देश्य से पेश किया गया था, इसका प्रमुख उद्देश्य मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में गरीबी – रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को अर्ध या अकुशल कार्य प्रदान करना है।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), भारत में अमीर और गरीब के बीच के आय – अंतर और जीवन जीने के तरीकों में व्याप्त अंतर को कम करने का प्रयास करता है।
मनरेगा की वर्ष 2022-23 की उपलब्धियाँ:
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), से पूरे देशभर में लगभग 11.37 करोड़ परिवारों को रोज़गार मिला है।
- इसमें से 289.24 करोड़ व्यक्ति-दिवस रोज़गार उत्पन्न हुआ है, जिसमें:
- 56.19% महिलाएँ
- 19.75% अनुसूचित जाति (SC)
- 17.47% अनुसूचित जनजाति (ST) के लोग शामिल हैं।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), के क्रियान्वयन में होने वाली प्रमुख चुनौतियाँ :
धन वितरण में विलंब और अपर्याप्तता:
- भारत के अधिकांश राज्य मनरेगा द्वारा अनिवार्य 15 दिनों के भीतर मज़दूरी का भुगतान करने में विफल रहते हैं या कुछ आकंड़ों के अनुसार विफल रहे हैं। इसके अलावा, मज़दूरी के भुगतान में देरी के लिए उन श्रमिकों को मुआवज़ा भी नहीं दिया जाता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक प्रकार की चुनौतियाँ उत्पन्न होती है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), योजना को आपूर्ति-आधारित कार्यक्रम में बदल दिया है और जिसके बाद, श्रमिकों ने इसके तहत काम करने में रुचि लेना बंद कर दिया है।
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय की स्वीकारोक्ति सहित अब तक प्राप्त पर्याप्त सबूत इस बात के संकेत हैं कि वेतन – भुगतान में देरी अपर्याप्त धन का परिणाम है।
भारत में जाति – आधारित अलगाव का नकारात्मक प्रभाव :
इस योजना में भारत में जाति के आधार पर भुगतान में विलंब होने में महत्त्वपूर्ण भिन्नताएँ मौजूद रही थीं। अनुसूचित जाति के श्रमिकों को 46% और अनुसूचित जनजाति के श्रमिकों के लिये 37% भुगतान अनिवार्य सात दिनों की अवधि में पूरा किया गया था, जबकि यह गैर-ST/SC श्रमिकों के लिए निराशाजनक (26%) था।
जाति-आधारित अलगाव का नकारात्मक प्रभाव मध्य प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे निर्धन राज्यों में विशेष तौर पर महसूस किया गया है ।
पंचायती राज संस्थान (PRI) की अप्रभावी भूमिका:
भारत में पंचायती राज संस्था “ राज्य – सूची” का विषय है। भारत के अनेकों राज्यों में उस राज्य द्वारा व्यावहारिक रूप से पंचायती राज संस्था ( PRI ) को बहुत कम स्वायत्तता देने के कारण वह राज्य मनरेगा अधिनियम को प्रभावी और कुशल तरीके से लागू करने में सक्षम नहीं हैं।
कार्यों को पूर्ण करने में देरी और बड़ी संख्या में अपूर्ण कार्य :
- मनरेगा के तहत कार्यों को तय समय सीमा के अन्दर पूर्ण करने में देरी हुई है और साथ – ही साथ इस परियोजनाओं का निरीक्षण अनियमित रहा है। साथ ही, मनरेगा के तहत कार्य की गुणवत्ता और संपत्ति निर्माण का भी मुद्दा जुड़ा हुआ रहा है। फलतः बड़ी संख्या में कार्य अपूर्ण रह गया था का मामला भी सामने आता है ।
फर्ज़ी नामों को शामिल कर फर्ज़ी जॉब कार्ड का निर्माण करने जैसा मामला :
- मनरेगा के तहत फर्ज़ी नामों को शामिल कर फर्ज़ी जॉब कार्डों को बनाने जैसे मुद्दे, अनेकों नामों को गायब कर देने वाली प्रविष्टियाँ और जॉब कार्ड में प्रविष्टियाँ को शामिल करने में देरी से संबंधित कई मुद्दे हैं, जिससे इसके सुचारू रूप से कार्य करने में चुनौतियाँ पेश आती हैं।
मनरेगा के अंतर्गत चलने वाली योजनाएं / पहल :
- अमृत सरोवर योजना : मनरेगा के तहत चलने वाली इस योजना का प्रमुख उद्देश्य देश के प्रत्येक ज़िले में कम से कम 75 अमृत सरोवरों (तालाबों) का निर्माण / नवीनीकरण करना शामिल है जो सतही तथा भूमिगत दोनों जगह भूमिगत जल की उपलब्धता बढ़ाने में मदद करेंगे।
- ‘जलदूत’ ऐप: इस ऐप को मनरेगा के तहत होने वाले निर्माण – कार्यों में वर्ष में दो बार 2-3 चयनित खुले कुओं के माध्यम से किसी ग्राम पंचायत में जल स्तर का मापन करने के लिए सितंबर 2022 में लॉन्च किया गया था।
- मनरेगा के लिए लोकपाल : मनरेगा के तहत होने वाली सभी योजनाओं की ससमय कार्यांवयन से संबंधित विभिन्न स्रोतों से प्राप्त शिकायतों की सुचारू रिपोर्टिंग तथा वर्गीकरण के लिए फरवरी 2022 में लोकपाल ऐप लॉन्च किया गया था
समस्या के समाधान के लिए आगे की राह:
- भारत के संविधान ने भले ही भारत में महिलाओं को सन 1950 में ही तमाम मौलिक अधिकार प्रदान कर “समान काम के लिए समान वेतन” लागू कर दिया हो और स्त्री – पुरुषों के बीच लैंगिक आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव का निषेध कर दिया हो, किन्तु भारतीय समाज में आज भी स्त्रियों के कार्य करने की कुशलता और कौशल को कमतर करके आँका जाता है। अतः मनरेगा के तहत होने वाले निर्माण कार्यों में भी स्त्रियों को भी “समान काम के लिए समान वेतन” मिलने को व्यावहारिक रूप से एवं धरातल पर दिखने / उतारने की जरूरत है। स्त्री – पुरुष के कामों में किसी भी तरह का भेदभाव करना एक “समावेशी समाज के निर्माण” में तथा “समानतामूलक राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया” में बाधक तत्व होते हैं, जिसे तत्काल प्रभाव से दूर किए जाने की जरूरत है।
- ससमय एवं पारदर्शी तरीके से वेतन भुगतान के लिए डिजिटल उपकरणों का लाभ उठाते हुए राज्यों तथा कार्यान्वयन एजेंसियों को निरंतर निधि – प्रवाह सुनिश्चित करने की अत्यंत आवश्यकता है।
- हाशिये पर रहने वाले SC और ST समुदायों के परिवार के सदस्यों को मनरेगा के लाभों से वंचित किए जाने वाले तमाम बहिष्करण त्रुटियों पर ध्यान केंद्रित करके तथा उन क्षेत्रों की पहचान करके, जो उन्हें मनरेगा के लाभों से वंचित करता है की त्रुटियों की पहचान कर उसे तत्काल प्रभाव से दूर करने की अत्यंत जरूरत है ताकि मनरेगा योजना में निहित उद्देश्य को पूर्ण किया जा सके।
- श्रमिक – संघों, नागरिक समाजों और विधानसभाओं के माध्यम से सार्वजनिक भागीदारी को शामिल करते हुए मनरेगा योजना में निहित मूल उद्देश्य की पूर्ति के लिए राज्य एवं केंद्रीय रोज़गार गारंटी परिषदों को सशक्त बनाने की जरुरत है , साथ – ही – साथ डी. बी. टी. के माध्यम से सीधे हितग्राहियों/ हितधारकों के खाते में मनरेगा श्रमिकों के मजदूरी / वेतन भेजे जाने की जरूरत है ताकि किसी भी तरह से होने वाले भेदभाव और भ्रष्टाचार को रोका जा सके और मनरेगा योजना के मूल उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके।
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत – सरकार द्वारा वर्ष 2005 में शुरू किए गए भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के श्रम से जुड़े सबसे बड़े कार्य गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
- इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य किसी भी ग्रामीण परिवार के सार्वजनिक कार्य से संबंधित अकुशल वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 180 दिनों के रोज़गार की गारंटी देना है।
- मनरेगा योजना भारत में अमीर और गरीब के बीच के आय – अंतर और जीवन जीने के तरीकों में व्याप्त अंतर को बबढ़ाने का काम करता है।
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के आँकड़े बताते हैं कि ग्रामीण महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) सत्र 2022-23 में 30.5% हो गई है, वहीँ महिला बेरोज़गारी दर में 3.8% से 1.8% की गिरावट आई है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
(A ). केवल 1 और 4
(B). केवल 1 , 2 और 3
(C) . इनमें से कोई नहीं।
(D). इनमें से सभी।
उत्तर – ( A).
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1 . महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम क्या है ? बैंक खाते से अपना आधार लिंक कराने से मनरेगा श्रमिकों को किस प्रकार ससमय वेतन भुगतान और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता आएगी? सविस्तार चर्चा कीजिए।
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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