अनुच्छेद 19 व 21

अनुच्छेद 19 व 21

अनुच्छेद 19 व 21

संदर्भ- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों विशेषकर अभिव्यक्ति के अधिकारों के मांग के दायरे को बढ़ा दिया है। जिसमें नागरिक, राज्य के साथ साथ नागरिकों के खिलाफ भी अभिव्यक्ति के अधिकारों की मांग कर सकता है।

भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का मुख्यतः राज्य के खिलाफ प्रयोग किया जा सकता है जैसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 व 21 में नागरिकों को राज्य के खिलाफ मौलिक अधिकार दिए गए हैं जबकि कुछ मुद्दों (जैसे- अस्पृश्यता, तस्करी, बधुआ मजदूरी आदि मे रोक) में नागरिकों को राज्य व अन्य नागरिकों के खिलाफ मौलिक अधिकार दिए गए हैं। 

अनुच्छेद 19 सभी नागरिकों को इसके तहत राज्य व गैर राज्य तत्वों से नागरिकों की सुरक्षा की जाती है।

  • वाक स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य का अधिकार
  • शांतिपूर्ण निरायुध सम्मेलन का अधिकार
  • भारत के राज्य क्षेत्र में सर्वत्र अबाध संचरण का अधिकार
  • भारत के किसी राज्य क्षेत्र में निवास करने व बसने का अधिकार दिया गया है।
  • कोई वृत्ति आजीविका, कारोबार करने का अधिकार।

अनुच्छेद 19(2) में दिए गए प्रतिबंध 

यह अनुच्छेद 19 में दिए गए अधिकारों में कोई प्रतिबंध नहीं लगाता। लेकिन भारत की संप्रभुता व अखण्डता (जैसे राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, लोक व्यवस्था, सदाचार, शिष्टता के हितों में या न्यायिक अवमानना, मानहानि या अपराध उद्दीपन) जैसे मुद्दों को प्रभावित करने पर उचित प्रतिबंध लगाए जाते हैं।

जैसे संविधान में सम्मेलन करने का अधिकार है बशर्ते वह शांतिपूर्ण व निरायुद्ध हो।

अनुच्छेद 21 में प्राण व दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण किया गया है। इसमें किसी भी प्रकार का क्रूर व अमानवीय उत्पीड़न या अपमानजनक व्यवहार जो किसी जाँच में प्रश्नों को पूछने से संबंधित हो सकता है। अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। जो निजता के अधिकारों से संबंधित है। 

स्वतंत्रता के अधिकार का वर्तमान दायरा- लाइव लॉ के अनुसार स्वतंत्रता का दायरा स्वास्थ्य, पर्यावरण व कैदियों के अधिकारों से संबंधित क्षेत्र में बढ़ाया गया है।

निजी क्षेत्र में- नागरिकों का नागरिकों के खिलाफ अधिकारों की मांग करना भी मौलिक अधिकारों के दायरे में शामिल कर दिया गया है। जिससे निजी क्षेत्र में भी संविधान के नियमों का अनुपालन हो सके। 

  • इसके साथ ही हाल ही में पत्रकारों को निजी मीडिया में बोलने के अधिकारों से वंचित करने के मामले चर्चा में थे। अतः इस प्रकार के मामलों में निजी फर्म के खिलाफ मौलिक अधिकार का प्रयोग किया जा सकता है।
  • वर्तमान परिस्थितियों में निजता के अधिकार को सुरक्षित रख पाना चुनौतिपूर्ण है, अब व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए या गोपनीयता बनाए रकने के लिए राज्य के अतिरिक्त नागरिकों या निजी संगठन द्वारा उल्लंघन करने पर मौलिक अधिकार का प्रयोग किया जा सकता है।

लाभ

  • क्षैतिज रूप से आरक्षण को लागू करने से अब अधिकार को नागरिकों के खिलाफ भी प्रयोग किया जा सकता है।
  • निजी क्षेत्र में भी संविधानिक तंत्र की रक्षा हो पाएगी।
  • नागरिकों पर निजी क्षेत्र में होने वाले अत्याचार पर अंकुश लग सकेगा।

स्रोत

इण्डियन एक्सप्रैस

Lawrato

Yojna IAS daily current affairs Hindi med 11th Jan

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