अम्बेडकर सर्किट 

अम्बेडकर सर्किट 

अम्बेडकर सर्किट 

संदर्भ- हाल ही में केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने अम्बेडकर सर्किट को कवर करने के लिए एक विशेष ट्रेन की घोषणा की। 

अम्बेडकर सर्किट केंद्र सरकार ने 2016 में पहली बार अम्बेडकर सर्किट का प्रस्ताव दिया था। इसके अनुसार अम्बेडकर के जीवन के महत्वपूर्ण घटना स्थलों को ट्रेन द्वारा कनेक्टिविटी देकर जोड़ा जाएगा। इसे पंचतीर्थ भी कहा जाएगा, इसमें उनके जीवन के 5 तीर्थ अर्थात जन्म, शिक्षा, दीक्षा, महापरिनिर्वाण और चैत्य हैं।  भारत में स्थित 4 स्थलों को इस सर्किट में AC ट्रेन के माध्यम से जोड़ा जाएगा। 

पर्यटन सर्किट –

  • केंद्र सरकार ने 2014 – 15 में स्वदेश दर्शन योजना के तहत भारत के पर्यटन योजना के 15 स्थलों को रेल सेवा के द्वारा जोड़ने की पहचान की गई है।
  • रामायण और बौद्ध सर्किट के अलावा, अन्य में तटीय सर्किट, डेजर्ट सर्किट, इको सर्किट, विरासत, उत्तर पूर्व, हिमालय, सूफी, कृष्णा, ग्रामीण, आदिवासी और तीर्थंकर सर्किट शामिल हैं। ट्रेन सहयोग के मामले में, रामायण, बौद्ध और उत्तर पूर्व सर्किट पहले से ही सक्रिय हैं, और अब चौथे स्थान पर अम्बेडकर सर्किट की भी प्रारंभ होना है। 

रेलवे की भूमिका-

  • केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने इन पर्यटन सर्किट के विकास के लिए रेलवे को 3000 विशेष रेलवे कोच आरक्षित करने के निर्देश दिए हैं।
  • इस वर्ष आईआऱसीटीसी द्वारा रामायण सर्किट के लिए विशेष 14 कोच वाली ट्रेन चलाई गई थी, जिसमें पर्यटकों के लिए वातानुकूलन के साथ 3 टियर कोच, एक पैंट्री कार, एक रैस्तरां कार उपलब्ध थे, इसके साथ ही रेलवे कर्मचारियो के लिए एक अलग कोच था। 17 दिन के पूरे सर्किट भ्रमण के लिए प्रति व्यक्ति खर्च  62000 रुपये था। 
  • इसी प्रकार बौद्ध सर्किट में भी रेलवे द्वारा बुद्ध के जीवन की घटनाओं से संबंधित घटनाओं को लिया गया था। 

भीमराव अम्बेडकर- बाबा साहब नाम से लोकप्रिय अम्बेडकर विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे। उन्होंने अपना समस्त जीवन हिंदू धर्म में व्याप्त वर्ण व्यवस्था व जाति प्रथा को दूर करने का प्रयास किया तथा अछूतों के लिए सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध आंदोलन किया। श्रमिकों, किसानों व महिलाओं के अधिकारों के लिए अभियान चलाया। बाबासाहब को उनके किए गए सुधारों के लिए आधुनिक भारत का मनु कहा जाता है।

पंचतीर्थ से अम्बेडकर का संबंध-

जन्म- मध्य प्रदेश के महु में 14 अप्रैल 1891 को बाबासाहब का जन्म उस समय की महार नामक अछूत जाति में हुआ था। वे रामजी मालोजी सकपाल व भीमाबाई के 14वी संतान थे। अम्बेडकर के पूर्वज लम्बे समय तक ईस्ट इंडिया कंपनी में कार्यरत थे।उनके पिता भी ब्रिटिश फौज में सूबेदार थे और कुछ समय के लिए अध्यापक भी रहे। पिता ने अम्बेडकर की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया।

अंबेडकर को बचपन से ही भेदभाव का शिकार होना पड़ा, 1901 में बैलगाड़ी वाले ने उन्हें सिर्फ इसलिए ले जाने से इंकार कर दिया क्योंकि वे निम्न जाति के थे।

शिक्षा-  अम्बेडकर ने सतारा के रजवाड़ा चौक में स्थित हाइस्कूल में 7 नवम्बर 1900 को पहली कक्षा में प्रवेश लिया। चौथी कक्षा अंग्रेजी माध्यम से उत्तीर्ण करना उनके समुदाय में असामान्य बात थी अतः उनकी इस सफलता को उत्सव की तरह मनाया गया। 1907 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर उन्होंने एल्फिस्टन कॉलेज में स्नातक के लिए दाखिला लिया जो बॉम्बे विश्वविद्यालय से संबद्ध था। 1913 से 1915 तक कोलंबिया विश्वविद्यालय से एम ए का अध्ययन किया। इसके बाद कोलंबिया विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि ग्रहण की जिसमें उनका शोध विषय था- National Development of India : A Historical and Analytical Study.  इसी दौरान उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकनोमिक्स में दाखिला लिया और 1916 में ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त विकास परअर्थशास्त्र में पीएचडी डिग्री प्राप्त की। तथा एक सेमिनार में भारत में जातियाँ : उनकी प्रणाली उत्पत्ति और विकास पर एक शोध पत्र प्रकाशित किया। इस प्रकार विपरीत परिस्थितियों के होते हुए अम्बेडकर उस समय के सबसे अधिक शिक्षित व्यक्ति माने जाते हैं।

दीक्षा- अम्बेडकर ने 14 अक्टूबर 1956को नागपुर में हिंदू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म अपना लिया,इस दिन उन्होंने अपने अनुयायियों को 22 प्रतिज्ञाएं करवाई। ये प्रतिज्ञाएँ हिंदू धर्म में अविश्वास, श्राद्ध तर्पण, पिण्ड दान का परित्याग,अवतार वाद का खण्डन, ब्राह्मण व्यवस्था का खण्डन, बुद्ध के कथनों पर विश्वास तथा अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण,असमानता पर आधारित हिंदू धर्म का परित्याग करना से संबंधित थी। वे कहते थे कि बौद्ध धर्म प्रज्ञा करुणा व समता पर आधारित है। जो उस समय बहुत आवश्यक था।

 अम्बेडकर के बौद्ध धर्म अपनाने के कई कारण हो सकते हैं-

  • हिंदू धर्म से दलितों को मिली प्रताड़ना का स्वयं अनुभव होना।
  • हिंदू धर्म में सुधार करने के प्रयासों के बाद भी समाज में कोई परिवर्तन न दिखाई देना। जैसे-
  1. बाबासाहब ने निजी संपत्ति घोषित तालाब से दलितों के पानी लेने के अधिकार के लिए 1927 में एक सत्याग्रह किया और बम्बई उच्च न्यायालय में मुकदमा जीत भी लिया।
  2. मंदिरों में अछूतों के अधिकार को लेकर संघर्ष किया।
  3. गोलमेज सम्मेलन में पृथक निर्वाचन मंडल की बात की। जिसका गांधीजी ने विरोध किया।
  4. भारत के संविधान में अछूतों के साथ भेदभाव को प्रतिबंधित किया।
  • अंबेडकर के अनुसार भिक्षु संघ का संविधान लोकतांत्रिक संविधान था। उनके अनुसार बुद्ध धर्म में धम्म संघ का सर्वोच्च सेनापति होता है जिसमें तानाशाह बनने का कोई रास्ता नहीं होता।
  • वे जातिभेद का समूलनाश करना चाहते थे और कहते थे कि- मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ पर हिंदू धर्म में न मरना मेरे हाथ में है।
  • उनके अनुसार दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्रों में बढ़ते मार्क्सवाद का हल भी बुद्ध दर्शन ही है।

महापरिनिर्वाण- 1948 से अम्बेडकर मधुमेह से ग्रसित थे। जून 1954 तक वे बीमार रहे इस दौरान उनकी दृष्टि भी कमजोर हो गई थी। 1956 तक लगातार किए गए कार्यों और बिमारियों के कारण वे कमजोर हो गए थे, अपनी अंतिम पांडुलिपि पूर्ण कर कुछ दिनों के बाद ही दिल्ली में 64 वर्ष की आयु में उनका महापरिनिर्वाण हो गया। 1990 में मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

चैत्य- महापरिनिर्वाण के बाद उनका पार्थिव मुंबई लाया गया। 7 दिसंबर 1956 को भगवंत दास कौशल्यायन जो एक बौद्ध भिक्षु थे उनका बौद्ध परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार किया।अंतिम संस्कार से पूर्व 2 लाख भिक्षुओं ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। चैत्य भूमि मुंबई के दादर स्थित भीमराव की समाधि स्थली है।

स्रोत

https://indianexpress.com/article/explained/explained-culture/how-ambedkar-circuit-is-good-tourism-and-good-politics-for-the-bjp-8165181/

Yojna IAS Daily Current Affairs Hindi med 22 September

 

 

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