अर्ध- वार्षिक वायु गुणवत्ता मूल्यांकन रिपोर्ट जारी

अर्ध- वार्षिक वायु गुणवत्ता मूल्यांकन रिपोर्ट जारी

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ स्वास्थ्य , पर्यावरण प्रदूषण, सार्वजनिक स्वास्थ्य और लोक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और जागरूकता कार्यक्रम ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) , लोक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैंयह लेख ‘ दैनिक कर्रेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ अर्ध-वार्षिक वायु गुणवत्ता मूल्यांकन रिपोर्ट जारी ’ से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ? 

 

 

  • हाल ही में सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) ने भारत में जनवरी से जून 2024 तक की अवधि के लिए अर्ध-वार्षिक वायु गुणवत्ता मूल्यांकन रिपोर्ट जारी किया है, जो देश के विभिन्न शहरों में वायु प्रदूषण के व्यापक स्तर का अवलोकन प्रदान करता है। 
  • यह रिपोर्ट भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण की गंभीरता और वितरण पर प्रकाश डालती है और इस पर्यावरणीय संकट से निपटने के लिए कड़े उपायों के महत्त्व को रेखांकित करती है।

 

इस रिपोर्ट के मुख्य तथ्य : 

भारत में सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) द्वारा जारी वायु गुणवत्ता मूल्यांकन रिपोर्ट निम्नलिखित है – 

भारत का सबसे प्रदूषित शहर : भारत का सबसे प्रदूषित शहर असम-मेघालय सीमा पर स्थित बर्नीहाट है, जिसमें PM 2.5 की औसत सांद्रता 140 µg/m³ (माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) है।

भारत के विभिन्न राज्यों में शीर्ष स्तर पर 10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची :

 हरियाणा: 3 शहर

 राजस्थान: 2 शहर

 उत्तर प्रदेश: 2 शहर

 दिल्ली: 1 शहर

 असम: 1 शहर

 बिहार: 1 शहर

  • दिल्ली का प्रदूषण स्तर : इस रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली को तीसरे सबसे प्रदूषित शहर (जहाँ PM2.5 का स्तर 102 µg/m³ है) के रूप में शामिल किया गया है, जो राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशा-निर्देशों से भी बहुतअधिक है।
  • भारत के 256 शहरों का विश्लेषण : 163 शहरों में राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) के वार्षिक स्तर (40 µg/m³) से अधिक प्रदूषण पाया गया। सभी शहरों में प्रदूषण का स्तर WHO द्वारा निर्धारित वार्षिक सांद्रता मानक (5 µg/m³) से अधिक था।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) : इस रिपोर्ट में शामिल 97 शहरों में से 63 शहरों में प्रदूषण की सांद्रता NAAQS से अधिक थी। 163 प्रदूषित शहरों में से केवल 63 ही NCAP का हिस्सा हैं, जिससे 100 शहरों में वायु प्रदूषण कम करने की कोई कार्य – योजना नहीं है।
  • वायु प्रदूषण की व्यापकता और भयावहता : शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहर 16 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से हैं, जो भारत में वायु प्रदूषण की व्यापकता को दर्शाते हैं।
  • सतत् परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (CAAQMS) : छह नए सतत् परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन को शामिल करने से इनकी कुल संख्या बढ़कर 545 हो गई है।
  • श्रेणी के अनुसार शहरों का वितरण : कर्नाटक और महाराष्ट्र में “अच्छा” और “संतोषजनक” श्रेणियों के तहत सबसे अधिक शहर हैं, जबकि बिहार में “मध्यम” श्रेणी के तहत सबसे अधिक शहर हैं।

 

इस रिपोर्ट के निहितार्थ : 

इस रिपोर्ट के प्रमुख निहितार्थ निम्नलिखित हैं – 

  • बर्नीहाट और दिल्ली में PM 2.5 का उच्च स्तर : यह स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण उपायों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।
  • हरियाणा और राजस्थान में प्रदूषण की व्यापकता : यह वायु गुणवत्ता के मुद्दों से निपटने के लिए समन्वित क्षेत्रीय प्रयासों की आवश्यकता पर बल देती है।
  • NCAP के अंतर्गत नहीं आने वाले 100 शहर : राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक प्रदूषण वाले 100 शहरों का NCAP में शामिल न होना भारत के वायु गुणवत्ता प्रबंधन ढाँचे में एक महत्वपूर्ण कमी को उजागर करता है। इन शहरों को NCAP में शामिल करना वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • PM2.5 के उच्च स्तरों का स्वास्थ्य पर प्रभाव : लगातार PM2.5 के उच्च स्तरों के संपर्क में रहने से श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों सहित गंभीर स्वास्थ्य परिणाम होते हैं। इस रिपोर्ट के निष्कर्ष सार्वजनिक लोक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता पर जोर देते हैं।
  • CAAQMS में वृद्धि : यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन डेटा अंतराल और गैर-संचालन स्टेशनों की मौजूदगी बेहतर निगरानी बुनियादी ढाँचे और रखरखाव की आवश्यकता को दर्शाती है।

 

रिपोर्ट में सुझाए गए नीतिगत सिफारिशें : 

  • उत्सर्जन मानकों को मज़बूत करना : वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए कठोर मानकों का प्रवर्तन आवश्यक है। इससे वायु प्रदूषण के स्तर में कमी लाई जा सकती है।
  • हरित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना : स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों और पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों का उपयोग बढ़ाना चाहिए, जिससे प्रदूषण को कम किया जा सके।
  • सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को प्रोत्साहित करना : इसके तहत सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि निजी वाहनों की संख्या कम हो और वायु प्रदूषण में कमी आ सके।
  • सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करना : भारत के विभिन्न शहरों में स्थायी वायु गुणवत्ता सुधार के लिए नागरिकों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। जागरूकता अभियान और सामुदायिक प्रयासों के माध्यम से लोग प्रदूषण को कम करने में योगदान कर सकते हैं।
  • पर्यावरण कानूनों का कठोर प्रवर्तन : भारत में वायु प्रदूषण से संबंधित कानूनों और नियमों का कठोरता से पालन करवाना आवश्यक है। इसके लिए निगरानी और दंड प्रणाली को सुदृढ़ किया जाना चाहिए।

 

भारत में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु उठाए गए कदम : 

 

 

  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) : यह एक व्यापक कार्यक्रम है जो भारत के शहरों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और वायु गुणवत्ता में सुधार करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।
  • भारत स्टेज उत्सर्जन मानक : ये मानक वाहनों से निकलने वाले प्रदूषकों को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए हैं। वर्तमान में, भारत स्टेज VI मानक लागू किए गए हैं जो प्रदूषण को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 : भारत में यह नियम ठोस अपशिष्ट के प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन के लिए बनाए गए हैं, जो वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं।
  • वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली (सफर) पोर्टल : यह पोर्टल वायु गुणवत्ता और मौसम की जानकारी प्रदान करता है, जिससे नागरिकों को वायु प्रदूषण के स्तर के बारे में जानकारी मिलती है और वे आवश्यक एहतियात बरत सकते हैं।
  • वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) : यह सूचकांक वायु की गुणवत्ता के स्तर को सरल और समझने में आसान रूप में प्रस्तुत करता है, जिससे लोग अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठा सकते हैं।
  • ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) : यह योजना वायु प्रदूषण के स्तर के आधार पर तत्काल और प्रभावी कदम उठाने के लिए बनाई गई है, जो दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में लागू होती है।
  • राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (NAMP) : इस कार्यक्रम के तहत, देशभर में वायु गुणवत्ता की निगरानी की जाती है और डेटा एकत्र किया जाता है, जो नीतियों और योजनाओं को बनाने में सहायक होता है।
  • वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग : भारत में यह आयोग दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है और इसके तहत वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कठोर कदम उठाए जाते हैं।

 

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।  

Download yojna daily current affairs hindi med 24th July 2024

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत के विभिन्न शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक के मान की गणना किस वायुमंडलीय गैसों के आधार पर  किया जाता है? ( UPSC 2018 )

  1. कार्बन मोनोऑक्साइड ।
  2. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड ।
  3. सल्फर डाइऑक्साइड । 
  4. कार्बन डाइऑक्साइड ।
  5. मीथेन ।

निम्नलिखित में से कौन सा विकल्प सही है ? 

A. केवल 1 2 और 3

B. केवल 2, 3 और 4

C. केवल 1, 4 और 5

D. 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर – A

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के लिए संशोधित मानक क्या हैं ? क्या आपको लगता है कि इससे भारत के शहरों में दीर्घकालिक वायु प्रदूषण की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी? ( UPSC 2021 शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

No Comments

Post A Comment