अशांत क्षेत्र विशेष अधिकार अधिनियम

अशांत क्षेत्र विशेष अधिकार अधिनियम

अशांत क्षेत्र विशेष अधिकार अधिनियम

संदर्भ- केंद्र सरकार, जम्मू कश्मीर के भीतरी इलाकों से सैनिकों को वापस लेने पर चर्चा कर रही है। जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था। और राज्य के विशेष दर्जे की वापसी के परिणामस्वरूप सैनिकों को वापस लेने की चर्चा हो रही है। मंजूरी मिलने पर सेना की तैनाती केवल लाइन ऑफ कंट्रोल में की जाएगी।

सैनिकों को घाटी से हटाने का कारण

  • घाटी से सेना हटाने पर घाटी के नागरिकों को सामान्य जीवन जीने का अवसर प्राप्त होगा तथा सेना व सैनिकों का डर कम होगा।
  • घाटी के सैनिकों को आतंकवादरोधी गतिविधियों में संलग्न किया जा सकता है। जो देश में शांति स्थापना करनें में मदद करेगा।
  • जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में 50% तक की कमी आई है।

जम्मू और कश्मीर में भारतीय सेना की भूमिका- 

साधारण तौर पर घाटी क्षेत्र जैसे जम्मू शहर में स्थानीय पुलिस के पास सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। भारतीय सेना इसमें कुछ महत्वपूर्ण रक्षा संबंधी मामलों में हस्तक्षेप कर सकती है जैसे धार्मिक, नस्लीय, भाषा, क्षेत्र समूह, जातीय आधार पर उपजे विवादों के कारण राज्य या केंद्र सरकार ने क्षेत्र को अशांत घोषित किया हो। यह घोषणा सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम 1958 के अंतर्गत की जाती है।

अशांत क्षेत्र- AFSPA की धारा 3 के तहत किसी क्षेत्र को अशांत क्षेत्र घोषित किया जा सकता है। क्षेत्र, अशांत तब ही घोषित किया जाता है जब देश के सामान्य कानून आपराधिक या आतंकवादी गतिविधियों के कारण निष्फल होने लगें। ऐसी परिस्थिति में अधिक कठोर कानून के साथ सशस्त्र बलों की तैनानी आवश्यक हो जाती है। अशांत क्षेत्र घोषित होने पर उस क्षेत्र में कम से कम 3 महीने के लिए सशस्त्र बल की तैनाती रहती है।

सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम 1958

यह अधिनियम, संसद द्वारा 11 सितंबर 1958 को पारित किया गया था। इसके तहत अशांत क्षेत्रों,  जिनमें असम, अरुणांचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड और जम्मू कश्मीर शामिल हैं, में सुरक्षा बलों को विशेष शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। जम्मू कश्मीर को इस अधिनियम के तहत सशस्त्र बल(जम्मू कश्मीर) विशेष अधिकार अधिनियम के तहत 1990 में लाया गया था।

इसके तहत अशांत क्षेत्रों के भीतर सशस्त्र बल के एक अधिकारी को ऐसे किसी व्यक्ति पर गोली चलाने का अथवा बल प्रयोग करने या जान लेने का अधिकार है जो-

  • अशांत क्षेत्र घोषित किसी क्षेत्र में 5 या उससे अधिक व्यक्तियों की सभा को निषिद्ध करता है और तत्समय प्रवृत्त किसी कानून का उल्लंघन करता है।
  • अशांत क्षेत्र में हथियार या हथियार के रूप में प्रयुक्त वस्तुओं या आग्नेयास्त्रों गोला बारुद अथवा विस्फोटक पदार्थ को ले जाता है।

सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम(AFSPA) के प्रयोग के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश 1997

सर्वोच्च न्यायालय ने 1998 में नागा पीपुल्स मुवमेंट ऑफ ह्यूमन राइट्स बनाम भारत संघ मामले में AFSPA को संवैधानिकता दी गई लेकिन AFSPA के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए गए-

  • केंद्र सरकार को किसी क्षेत्र को अशांत घोषित करने से पहले राज्य सरकार से इस विषय में चर्चा करनी होगी।
  • AFSPA की घोषणा 6 महीने के लिए की जा सकती है इस अवधि के बाद इसकी समीक्षा करना आवश्यक है।
  • अधिकारी को बल का प्रयोग करने की शक्ति प्रदान की गई है। लेकिन जब अत्यधिक आवश्यक हो। 
  • प्राधिकारी को सेना द्वारा जारी दियानिर्देशों का पालन करना चाहिए जिसमें Do’s and Don’t का ध्यान रखना चाहिए।

 2005 में न्यायमूर्ति बीपी जीवन रेड्डी समिति ने तत्कालीन अशांत क्षेत्रों में हुए दमन व हिंसात्मक गतिविधियों के कारण 147 पन्नो की रिपोर्ट में कहा सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम(AFSPA) 1958 को निरस्त कर देना चाहिए।

संतोष हेगड़े समिति की सिफारिश 2013 के अनुसार AFSPAअसंगत बल का पर्योग कर रही है, तत्कालीन 6 मुठभेड़ों में से 5, AFSPA के दुरुपयोग के कारण हुई। समिति की सिफारिश में कहा गया कि AFSPA ने नागरिकों को सैनिकों की असीमित शक्ति के दुरुपयोग से बचने के लिए कोई भी सुविधा नहीं दी है।

संशोधन विधेयक 2011- इस अधिनियम में किसी भी अधिकारी के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही का कोई प्रावधान नहीं था इसलिए संशोधन विधेयक 2011 में इसके लिए प्रावधान रखा गया कि केंद्र सरकार अधिकारी द्वारा बल प्रयोग का कारण बताए और न्यायालय द्वारा इन कारणों की विधिक रूप से व्याख्या करने पर ही अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी। 

निष्कर्ष- आवश्यक होने पर ही अशांत क्षेत्र अधिनियम को लागू किया जाता है किंतु इस AFSPA की आड़ में कई बार मानवाधिकारों का हनन हुआ है। जम्मू कश्मीर के साथ अन्य क्षेत्रों में भी जनता के मन में असंतोष की भावना रहती है। जिसके कारण AFSPA में संशोधन 2011 कारगर हो सकता है इसके साथ ही जम्मू कश्मीर की घाटी क्षेत्र से सेना हटाने का निर्णय भी क्षेत्र को सामान्य स्थिति में लाने के लिए एक सफल प्रयोग साबित हो सकता है।

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