असम परिसीमन

असम परिसीमन

असम परिसीमन

संदर्भ- हाल ही में चुनाव आयोग द्वारा असम के चुनावी क्षेत्रों में 1 जनवरी से परिसीमन करने की घोषणा की गई है। चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को किसी भी प्रशासनिक इकाई में परिवर्तन न करने के निर्देश दिए हैं।

परिसीमन क्या है?

  • किसी देश या प्रांत में किसी विधायी निकाय वाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की प्रक्रिया को परिसीमन कहते हैं।
  •  परिसीमन का कार्य एक उच्चाधिकार के निकाय को सौंपा जाता है, ऐसे निकाय को परिसीमन आयोग या सीमा आयोग के रूप में जाना जाता है। 

परिसीमन आयोग-

  • परिसीमन आयोग भारत में एक उच्चाधिकार निकाय है। जिसका गठन परिसीमन आयोग अधिनियम 2002 के तहत किया जाता है। 
  • इसके आदेश कानूनी रूप से जारी किए जाते हैं, जिन्हें न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
  • इसके आदेशों की प्रतियां सदन में लोकसभा व राज्य सभा के सम्मुख रखी जा सकती है लेकिन उनके द्वारा आदेशों में कोई भी संशोधन नहीं किया जा सकता है।

परिसीमन आयोग के सदस्य

    • परिसीमन आयोग का अध्यक्ष ऐसा व्यक्ति होगा जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश का अनुभव प्राप्त कर चुका हो। 
    • इसके सदस्य मुख्य निर्वाचन आयुक्त या उसके द्वारा नामित कोई निर्वाचन आयुक्त तथा,
    • राज्यों के राज्य निर्वाचन आयुक्त होंगे।
  • सहयुक्त सदस्य- आयोग अपने कार्यों में सहायता के लिए 10 सहयुक्त सदस्यों को शामिल करेगा जिसमें 5 विधानसभा में निर्वाचित सदस्य व 5 लोकसभा में निर्वाचित सदस्य होंगे। यदि सदस्यों की संख्या 5 यया 5 से कम है तो सभी सदस्य परिसीमन आयोग के सहयुक्त सदस्य होंगे।

परिसीमन आयोग के कर्तव्य-

  • संसदीय क्षेत्रों का परिसीमन- हाल में हुई जनगणना के अनुरूप निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन।यदि लोकसभा में किसी राज्य के लिए केवल एक स्थान आबंटित किया जाता है, वहां उस राज्य से निर्वाचनों के प्रयोजन के लिए सम्पूर्ण राज्य एक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र होगा। 
  • विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन- राज्य के सभी चुनावी क्षेत्रों में क्षेत्र की जनसंख्या व विधानसभा सीटों की संख्या का अनुपात समान रहे। इसका प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 170 मेंभी किया गया है।
  • अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए उनकी जनसंख्या के आधार पर सीटों का आरक्षण किया जाता है।

परिसीमन समय सीमा की पूर्व संध्या पर असम सरकार ने हाल ही में घटित दो नवनिर्मित जिलों को फिर से विलय करने का फैसला लिया है। विलय से असम में जिलों की संख्या 35 से घटकर 31 हो जाएगी। 

आयोग की प्रक्रिया व शक्तियाँ- आयोग को सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के अधीन सिविल न्यायालय की सभी शक्तियाँ प्राप्त होंगी।

  • साक्षियों को समन करने या हाजिर कराने की शक्ति।
  • किसी दस्तावेज को अपेक्षित रूप से पेश कराए जाने और
  • किसी न्यायालय या कार्यालय से लोकअपेक्षित करने की शक्ति प्राप्त है।
  • दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973, 1974(2) की धारा 345 व 346 के प्रयोजन के लिए आयोग को एक सिविल न्यायालय समझा जाएगा।

परिसीमन आयोग का गठन-

देश की स्वतंत्रता के बाद सर्वप्रथम परिसीमन आयोग का गठन 1952 में किया गया। अब तक 4 परिसीमन आयोगों 1952, 1963, 1973 व 2002 का गठन हो चुका है। वर्तमान परिस्थितियों में अनुच्छेद 170 के अनुसार जनगणना 2001 के आधार पर परिसीमन किया जाएगा। 

मार्च 2020 में केंद्र ने जम्मू कश्मीर, असम, अरुणआंचल प्रदेश व नागालैण्ड के लिए परिसीमन आयोग को अधिसूचित किया था।

स्रोत

इण्डियन एक्सप्रैस

इलैक्शन कमीशन

Latestlaw

Yojna Daily Current Affairs Hindi med 6th Jan

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