17 Feb असम बाल विवाह कार्यवाही और विधान
असम बाल विवाह कार्यवाही और विधान
संदर्भ- हाल ही में नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे ने एक रिपोर्ट जारी की है। जिसके अनुसार असम में शिशु और बाल मृत्यु दर बहुत ज्यादा है। जिसका कारण असम में बाल विवाह को माना गया है। जिसके बाद असम सरकार, बाल विवाह के विरुद्ध कार्यवाही कर रही है।
कार्यवाही के तहत 3 फरवरी से अब तक 93 महिलाओं सहित 3041 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। दर्ज किए गए 4074 मामलों में 8000 से अधिक आरोपियों को FIR के लिए नामित किया गया है।
बाल विवाह- जब बालक, बालिका या दोनों विवाह के समय निर्धारित उम्न से कम के हों। तो उस स्थिति में विवाह को बाल विवाह माना जाता है। वर्तमान में विवाह हेतु आयु महिलाओं के लिए 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष निर्धारित की गई है। वर्तमान में महिलाओं की विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित करने के लिए जया जेटली समिति कार्य कर रही है।
बाल विवाह से संबंधित विधान-
(1)बाल विवाह निषेध अधिनियम-
हरबिलास शारदा ने 1929 में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में बाल विवाह के रोकथाम हेतु बिल प्रस्तावित किया। इस बिल को प्रस्तावित करने का मुख्य कारण विधवाओं की दुर्गति को कम करना था क्योंकि विधवाओं की कमजोर सामाजिक स्थिति बाल विवाह का ही परिणाम था। उस समय विधवा विवाह प्रचलन में नहीं था। बिल में वर व वधू की न्यूनतम आयु क्रमशः 14 व 18 वर्ष थी।
बाल विवाह निषेध अधिनियम 1929 को निरस्त कर, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 को पारित किया गया। बाल विवाह निषेध अधिनियम व हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत विवाह में वर व वधू की न्यूनतम आयु क्रमशः 21 व 18 वर्ष निर्धारित की गई है। इसके अधिनियम के तीन उद्देश्य हैं-
- बाल विवाह की रोकथाम
- बाल विवाह में शामिल बच्चों की सुरक्षा
- अपराधियों पर मुकदमा चलाना।
दण्ड- इसके तहत दो वर्ष तक की कैद व 1 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है। सबसे महत्वपूर्म तथ्य यह है कि यह गैर जमानती अपराधा माना गया है। विवाह को 18 वर्ष की आयु तक पहुँचने से पहले ही शून्य घोषित किया जा सकता है।
(2)पॉक्सो अधिनियम 2012
- पॉक्सो अधिनियम 2012 एक नाबालिग व एक वयस्क के मध्य यौन संबंध को आपराधिक मानता है।
- कानून के तहत नाबालिग की सहमति को वैध नहीं माना जाता है।
- अधिनियम में यह एक गैर जमानती व संज्ञेय अपराध माना गया है।
- इस अधिनियम की धारा 19 में एक रिपोर्टिंग दायित्व का उल्लेख किया गया है जिसके तहत किसी भी नाबालिग के साथ हुए उत्पीड़न की जानकारी होने पर तुरंत पुलिस को रिपोर्ट करना चाहिए। ऐसा न करने पर कारावास, जुर्माना व दोनों हो सकते हैं।
(3)मुस्लिम पर्सनल लॉ-
- मुस्लिम पर्सनल लॉ में लड़की के विवाह की आयु 15 वर्ष है।
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अपील दायर की है कि व्यक्तिगत कानून को भारतीय संविधान के कानून के समक्ष वरीयता नहीं दी ता सकती,
- किंतु उच्च न्यायालयों में इन मामलों में अधिकतर मुस्लिम कानूनों को वरीयता दी गई है।
संयुक्त राष्ट्र के बाल विवाह समाप्त करने हेतु प्रयास
- महिलाओं के खिलाफ भेदभाव उन्मूलन सम्मेलन 1979 – इस सम्मेलन को महिलाओं का बिल ऑफ राइट्स भी कहा जाता है। किसी नाबालिग की सगाई व विवाह अवैध होंगे।
- मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के तहत विवाह के लिए स्वतंत्र व पूर्ण सहमति को मान्यता दी गई है।
- संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के लक्ष्य 5 के आधार पर लैंगिक समानता को प्राथमिकता दी गई है।
जया जेटली समिति
- जया जेटली समिति का गठन जून 2020 में महिला पोषण, एनीमिया की अधिकता, शिशु मृत्यु दर व बाल मृत्यु दर की बढ़ोतरी जैसी समस्याओं के लिए जया जेटली समिति का गठन किया।
- समिति ने महिलाओं की विवाह की उम्र बढ़ाकर 21 वर्ष करने की मांग की।
Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 17th Feb
स्रोत
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