अहमदनगर या अहिल्याबाई होल्कर

अहमदनगर या अहिल्याबाई होल्कर

अहमदनगर या अहिल्याबाई होल्कर

संदर्भ- महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने राज्य विधान सभा में बताया कि उन्होंने पश्चिमी महाराष्ट्र यानि अहमदनगर का नाम बदलकर भारत की महान विभूति पुण्याशोक अहिल्याबाई के नाम पर नगर का नाम रखने के लिए जिला प्रशासन से प्रस्ताव मांगा है।

अहमदनगर-  

यह महाराष्ट्र के पश्चिमी क्षेत्र मे स्थित है। यह 240 ई. पू. के प्रमुख साम्राज्यों का महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा। यह मौर्य सम्राट अशोक, राष्ट्रकूट, चालुक्य और फिर मध्ययुग में दिल्ली सल्तनत ने इस क्षेत्र पर शासन किया। मुहम्मद तुगलक के समय विद्रोह कर दिल्ली सल्तनत के सूबेदार हसन गंगू ने दक्षिण में पहली बार इस्लामी साम्राज्य की नींव रखी। बहमन साम्राज्य में 5 प्रमुख राज्यों में निजामशाही(अहमदनगर) का प्रभुत्व बढ़ने लगा। मलिक अहमद निजामशाह के बहमनी साम्राज्य के प्रधानमंत्री बनने के बाद निजामशाही की शक्ति में वृद्धि हुई। मई 1490 में बहमनी की सेना को हराया और 1494 में सीना नदी के किनारे उसी स्थान पर एक शहर की नींव रखी जिसका नाम अहमदनगर रखा गया। निजामशाही ने बाद में दौलताबाद के किले पर भी अधिकार कर लिया।

मलिक अहमद मूल रूप से हिंदू थे जिन्होंने बाद में इस्लाम धर्म अपनाया था अतः हिंदू धर्म की संस्कृति व समाज से परिचित होने के कारण उसे हिंदुओं का विश्वास जीतने में कोई कठिनाई नहीं हुई। उसके मूल रूप से हिंदू होने की पुष्टि जवाहरलाल नेहरू ने भी अपनी डिस्कवरी ऑफ इण्डिया में की है।

1636 तक स्वतंत्र राज करने के बाद शाहजहां ने अहमदनगर के निजामशाही को अपने अधीन कर लिया।

अहिल्याबाई होल्कर-

31 मई 1725 को अहमदनगर के कोंडी ग्राम के ग्राम प्रधान मानकोजी शिंदे के घर जन्मी अहिल्याबाई मराठा साम्राज्य की प्रभावशाली महिलाओं में से एक थी। मध्यकाल के समय जब स्त्रियों की स्थिति अत्यंत खराब थी मानकोजी अपनी पुत्री के लिए शिक्षा का प्रबंध किया।

मात्र आठ वर्ष की आयु में उनका विवाह पेशवा बाजीराव के सेनापति मल्हार राव होल्कर के पुत्र खांडेराव के साथ कर दिया गया। 1754 में भरतपुर के राजा के खिलाफ कुंभेर की लड़ाई में खांडेराव की मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु के बाद ससुर मल्हार राव होल्कर के साथ मिलकर अहमदनगर का प्रशासन संभालने के साथ मालवा पर विजय भी प्राप्त की। ससुर और बेटे की मृत्यु के बाद अहिल्याबाई ने सेना के समर्थन से पेशवा को शासक बनने के लिए याचिका दायर की।

अहिल्याबाई होल्कर के कार्य

  • अहिल्याबाई ने माहेश्वर को राजधानी के रूप में स्थापित किया। माहेश्वर को साहित्यिक, संगीत, कला केंद्र के रूप में स्थापित हो गया। माहेश्वर में एक कपड़ा उद्योग की स्थापना की। वर्तमान में माहेश्वर साड़ियाँ विश्व प्रसिद्ध एक ब्रांड बन चुका है।
  • निर्माण कार्य- अहिल्याबाई ने अपने शासन काल में विभिन्न निर्माण कार्य़ों में विशेष योगदान दिया, मंदिर, कुओं, प्याऊ, बावड़ियों, विबिन्न मार्गों का निर्माण किया। इसके साथ मंदिरों के प्रशासन व प्रवचन के लिए विभिन्न विद्वानों की नियुक्ति की। इन सभी सामाजिक कार्यों के कारण अहिल्याबाई को देवी की तरह समझा जाने लगा।
  • इनके साथ ही उन्होंने काशी के विश्वनाथ मंदिर, बद्रीनाथ, द्वारका, ओंकारेश्वर, रामेश्वर मंदिरों का पुनर्निर्माण व जीर्णोद्धार करवाया।और मंदिरों में आने वाले यात्रियों के लिए आरामगाह व सार्वजनिक घाटों का निर्माण करवाया। 
  • ऐसे समय में जब शासन प्रशासन के नाम पर अत्याचार हो रहे थे। अहिल्याबाई ने हिंदू धर्म के सभी तत्वों का समर्थन कर प्रजा को संगठित व सशक्त करने का प्रयास किया, जिससे एक ओर धर्म की प्रगति हुई वहीं धर्म के साथ अंधविश्वास को भी बल मिला। 

नाम परिवर्तन की सार्थकता

  • शहरों व राज्यों की ऐतिहासिकता के आधार पर नाम परिवर्तित करने से क्षेत्र के लोगों में वहां के इतिहास को जानने के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न कर सकते हैं। जो किसी देश, राज्य या क्षेत्र विशेष के इतिहास व संस्कृति को समृद्ध करता है।
  • शहरों के नाम परिवर्तन की प्रथा ऐतिहासिक है किंतु वर्तमान में इस परिवर्तन में आम जन को ढाल पाना आसान नहीं है।
  • नाम परिवर्तन में 300- 1000 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है, नाम परिवर्तन कर ऐसे नाम रखने से बचना चाहिए जो वास्तविकता में अमल में न लाए जा सकें। जैसे- मुगलसराय का नया नाम पण्डित दीनदयाल उपाध्याय, नोयडा का गौतमबुद्धनगर आदि
  • नया नाम, वर्तमान नाम से कठिन हो तो उसके वास्तव में लागू होने की संभावना कम हो जाती है। 

स्रोत

Indian Express

Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 30 December

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