आदिवासी या वनवासी

आदिवासी या वनवासी

आदिवासी या वनवासी

संदर्भ- हाल ही में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के अनुसार आदिवासियों को वनवासी कहकर पुकारना अपमानजनक है। राहुल गांधी के अनुसार इन्हें भारत के मूल निवासी न पुकारकर जंगल के निवासी कहा जा रहा है।

आदिवासी- 

  • आदिवासी का शाब्दिक अर्थ होता है मूल निवासी।
  • भारत के प्राचीन लेखों में आदिवासियों के लिए अत्विका शब्द मिलता है।
  • आदिवासी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ठक्कर बाबा ने किया था।
  • महात्मा गांधी ने आदिवासियों को गिरिजन या जंगलों व पहाड़ों में रहने वाले भारत के मूल निवासी कहकर पुकारा था।

वनवासी-

  •  वनवासी का शाब्दिक अर्थ होता है वन अथवा जंगल के निवासी। 
  • ईसाई मिशनरियों से सामुदायिक संस्कृति को बचाने के लिए जंगलों का प्रयोग किया गया था।
  • मुख्य जाति संरचना से विलग एक इकाई के रूप में सीमांत समुदाय की पहचान वनवासी के रूप में की गई।
  • वनवासी कल्याण आश्रम- आदिवासी समुदाय व हिंदू समाज में बढ़ी दूरी के कारण रमाकांत देशपाण्डेय ने द्वितीय संघसंचालक एम एस गोलवलकर के परामर्श से जशपुर में 26 दिसंबर 1952 को आश्रम की स्थापना की, जिसका प्राथमिक उद्देश्य हिंदूकरण था। 
  • संघ के अनुसार आदिवासी का अर्थ वे मूलनिवासी हैं किंतु इसका अन्य अर्थ शेष भारतीय मूल निवासी नहीं है, जिस कारण वे उन्हें वनवासी कहते हैं।
  • रामायण जैसे पौराणिक ग्रंथ में भी वन में रहने वालों को वनवासी कहा गया है।

आदिवासी समुदाय की प्रकृति

  • आदिवासी अपनी संस्कृति को बनाए रखने के लिए जंगल, पहाड़, रेगिस्तान जैसी कठिन परिस्थिति में रहते हैं।
  • आदिवासियों का कोई प्राचीन लिखित धार्मिक या सांस्कृतिक पुस्तक नहीं हैं, इन्होंने अपनी संस्कृति को मौखिक परंपराओं द्वारा संरक्षित किया है।
  • इनका एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र होता है।
  • आर्थिक दृष्टि से ये आत्मनिर्भर होते हैं, ये संग्रहण की प्रवृत्ति के नहीं होते।
  • इनकी स्वयं की राजनीतिक व्यवस्था होती थी जिसमें वे अपने कानूनों को परिवार, नातेदारों के द्वारा लागू करते हैं।

आदिवासीय समुदाय का वर्गीकरण-

सामाजिक व सांस्कृतिक संबंधों के आधार पर-

  • उत्तर पूर्वी क्षेत्र- अहोम, नागा, मिस्मी, मिजो, गारो, खासी, जयंतिया, कुकी।
  • उत्तर व उत्तर पश्चिमी क्षेत्र- गुर्जर, बोध, किन्नोर, स्वांगलिया।
  • पश्चिम भारत- भील, मीना, कुम्बी, गोंड, कोली, सहरिया, धोड़ा, चौधरी।
  • मध्य व ईस्टर आदिवासी क्षेत्र – गोंड, संथाल, मुंडा, उरांव, चेंचू, कोलम, मुंडा, चेरो, बैगा, कोंड, भोटारो, मांझी, खरवार, अगरिया।
  • दक्षिण भारत व द्वीप समूह क्षेत्र- टोडा, इरुलु, कादर, कुरुम्बर, मालासार, चलनैक्कन, पनियास, कोलीधार।

 भारत में आदिवासियों नस्लीय आधार पर –

  • नीग्रीटो
  • ऑस्ट्रेलॉयड
  • मंगोलायड
  • द्रविड़
  • आर्यन

भाषायी आधार पर आदिवासी समुदाय-

  • ऑस्ट्रो एशियाटिक
  • ट्रिबितो चीनी
  • द्रविड़
  • इण्डो यूरोपियन

भारतीय संविधान में आदिवासी- 

भारतीय संविधान की पाँचवी अनुसूची में आदिवासियों के लिए अनुसूचित जनजाति शब्द का प्रयोग किया गया है। संविधान में इन्हें अनुसूचित जातियों के साथ ही ‘अनुसूचित जाति व जनजाति’ के रूप में रखा गया है।

चंदा समिति ने अनुसूचित जाति के साथ कोई भी जाति को जोड़ने के लिए निम्न मानक तय किए गए हैं-

  • भौगोलिक एकाकी
  • विशिष्ट संस्कृति 
  •  पिछड़ापन
  • संकुचित स्वभाव
  • आदिम जाति के लक्षण

अनुसूचित क्षेत्र- अनुसूचित क्षेत्र को पहली बार 1950 में अधिसूचित किया गया था। भारत के 809 खण्डों में आदिवासी जाति निवास करती है।

पाँचवी अनुसूची के धारा 244 (क) में ऐसे क्षेत्र को ‘अनुसूचित क्षेत्र’ के रूप में नामित किया गया है, जो राष्ट्रपति द्वारा अनुसूचित हो।

यह समुदाय का स्थानीय लघु वन उत्पाद, जल व खनिजों पर अधिकार सुनिश्चित करती है।

यह आदिवासी क्षेत्रों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करता है। 

यह अनुच्छेद स्थानीय विधायिका व मंत्री परिषद की स्थापना करता है।

यह अनुसूची 10 राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के लिए लागू की गई है। किसी भी क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने के लिए मापदण्ड- 

  • जनजाति की प्रधानता
  • क्षेत्र की सघनता व उचित आकार
  • एक व्यवहार्य प्रशासनिक इकाई जैसे जिला ब्लॉक या इकाई।
  • अन्य क्षेत्रों की तुलना में क्षेत्र आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ हो।

आदिवासी क्षेत्र की समस्याएं-

  • गरीबी- पारंपरिक आदिवासियों के पारंपरिक संसाधनों के रूप में जल जंगलव जमीन ही थे, लेकिन आधुनिक विकास के चलते चलते उनके संसाधन नष्ट हो रहे हैं, जिससे उनकी गरीबी का स्तर बढ़ता जा रहा है। और उनकी पारंपरिक कला, शिल्प का ज्ञान खत्म होता जा रहा है। वर्तमान में लगभग 45% ग्रामीण आदिवासी गरीबी रेखा के नीचे हैं।
  • अशिक्षा- पारंपरिक शिक्षा का घटता स्तर व वर्तमान शिक्षा तक पहुँच की कमी, अशिक्षा के ग्राफ को बढ़ा रही है। वर्तमान में आदिवासियों की साक्षरता दर 59% ही है, इसके साथ ही आदिवासियों का कॉलेज ड्रॉप आउट की दर भी बढ़ी है। 
  • कमजोर स्वास्थ्य सुविधाएं-  भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार आदिवासियों में कुपोषण, मातृ व बाल स्वास्थ्य समस्याएं व संचरित रोगों के मामले अधिक हैं।  

स्रोत

https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1530148

https://indianexpress.com/article/explained/explained-politics/adivasi-vanvasi-why-bjp-uses-latter-term-for-tribes-8283536/

Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 26th November

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