आरबीआई की मौद्रिक नीति रिपोर्ट और हरित अर्थव्यवस्था

आरबीआई की मौद्रिक नीति रिपोर्ट और हरित अर्थव्यवस्था

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र –  3 के भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास,  हरित अर्थव्यवस्था पर जलवायु आघात और चरम मौसम की घटनाओं का प्रभाव ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ आरबीआई की मौद्रिक नीति रिपोर्ट और हरित अर्थव्यवस्था ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘दैनिक करंट अफेयर्स’  के अंतर्गत ‘ आरबीआई की मौद्रिक नीति रिपोर्ट और हरित अर्थव्यवस्था ’ से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ?

 

 

  • हाल ही में 23 अप्रैल को भारतीय रिजर्व बैंक की नवीनतम और हालिया जारी अप्रैल बुलेटिन 2024 (अप्रैल बुलेटिन) में और भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के आर्थिक प्रभावों पर गहराई से चर्चा की गई है। 
  • इसमें खराब मौसम की घटनाओं और जलवायु झटकों को खाद्य मुद्रास्फीति और वित्तीय स्थिरता पर उनके प्रभाव के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। 
  • इस रिपोर्ट में एक नवीन-कीनेसियन मॉडल का उल्लेख किया गया है जो जलवायु संबंधी भौतिक जोखिमों को अपने रिपोर्ट में शामिल करता है और जो जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले व्यापक आर्थिक प्रभावों का अनुमान लगाने में सहायक है।
  • भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हाल ही में जारी इस रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु संबंधी शमन नीतियों के अभाव में, 2050 तक भारत का दीर्घकालिक आर्थिक उत्पादन लगभग 9% तक कम हो सकता है। 
  • इस रिपोर्ट के अनुसार मुद्रास्फीति हिस्टैरिसीस के मजबूत होने पर, मुद्रास्फीति से जुड़ी हुई उम्मीदें भी कमजोर पड़ सकती हैं, जिससे RBI की विश्वसनीयता पर प्रभाव पड़ेगा और उच्च ब्याज दरों की आवश्यकता होगी, जिससे उत्पादन में और अधिक नुकसान होगा।

 

खाद्य मुद्रास्फीति पर जलवायु आघात और चरम मौसम की घटनाओं के प्रभाव पर आरबीआई की मौद्रिक नीति रिपोर्ट के आकलनों का प्रमुख निष्कर्ष : 

 

 

  • आरबीआई की मौद्रिक नीति रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम की घटनाओं का खाद्य मुद्रास्फीति पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इन घटनाओं से खाद्य उत्पादन में बाधा आती है, जिससे खाद्य कीमतों में वृद्धि होती है और यह वृद्धि अन्य क्षेत्रों में भी मुद्रास्फीति का कारण बन सकती है। 
  • इस रिपोर्ट में न्यू-कीनेसियन मॉडल का उपयोग करके जलवायु जोखिमों के आर्थिक प्रभावों का अनुमान लगाया गया है, जिसमें भौतिक जलवायु जोखिम क्षति फ़ंक्शन को भी शामिल किया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि जलवायु में होने वाले परिवर्तनों या झटका खाद्य उत्पादन और खाद्य मुद्रास्फीति को किस प्रकार और किस हद तक प्रभावित करते हैं।
  • रिपोर्ट यह भी बताती है कि जलवायु शमन नीतियों के बिना, 2050 तक भारत का दीर्घकालिक आर्थिक उत्पादन लगभग 9% तक कम हो सकता है, जो खाद्य उत्पादन पर स्थायी प्रभाव डाल सकता है। 
  • इसके अलावा, मुद्रास्फीति हिस्टैरिसीस के मजबूत होने की संभावना है, जिससे मुद्रास्फीति की उम्मीदें कम हो सकती हैं और खाद्य मुद्रास्फीति में निरंतर वृद्धि हो सकती है। इस प्रकार, जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम की घटनाओं का वित्तीय स्थिरता और मुद्रास्फीति पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है, और इसके निवारण के लिए तत्काल और प्रभावी नीतियों की समीक्षा करने की और नई नीतियों को बनाने की आवश्यकता है।

 

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हरित अर्थव्यवस्था या हरित वित्त के प्रोत्साहन के लिए किए गए महत्वपूर्ण पहल या सुझाव : 

 

 

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हरित वित्त के प्रोत्साहन के लिए कुछ महत्वपूर्ण पहलों का सुझाव दिय  है। ये पहल निम्नलिखित हैं –

  1. ग्रीन डिपॉजिट्स की स्वीकृति के लिए ढांचा तैयार करना :  भारत में  हरित अर्थव्यवस्था के विकास के लिए आरक्षित इकाई (परिणाम) / रिजर्व एंटिटीज (REs) को ग्रीन डिपॉजिट्स प्रदान करने के लिए एक ढांचा तैयार करने की आवश्यकता है। इसमें ग्रीन डिपॉजिट्स के लिए नियम, उनके उपयोग की अवधि, ब्याज दर, और उनके उपयोग के लिए निर्दिष्ट उद्देश्य शामिल हो सकते हैं।
  2. हरित अर्थव्यवस्था या ग्रीन वित्त के लिए लक्ष्य तय करना : आरक्षित इकाई (परिणाम) / रिजर्व एंटिटीज (REs) को हरित अर्थव्यवस्था के लिए लक्ष्य तय करने की सलाह दी गई है। यह जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न जोखिमों को कम करने में मदद कर सकता है।
  3. ग्रीन वित्त के लिए नए वित्तीय उपकरण और नए वित्तीय संस्थानों की स्थापना करना  : ग्रीन वित्त के लिए नए वित्तीय उपकरण जैसे कि ग्रीन बॉन्ड्स, कार्बन मार्केट उपकरण (जैसे कार्बन कर), और नए वित्तीय संस्थान (जैसे कि ग्रीन बैंक और ग्रीन फंड) की स्थापना की जा रही है।

इस तरह के तमाम पहल भारत में हरित अर्थव्यवस्था या ग्रीन वित्त को बढ़ावा देने और वायुमंडलीय गैसों के शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।

 

 

निष्कर्ष / समाधान की राह :

 

 

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और हरित अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, जलवायु परिवर्तन के आर्थिक प्रभावों को समझना और उनसे निपटना आवश्यक है। चरम मौसम की घटनाओं के कारण खाद्य उत्पादन पर बढ़ते जोखिमों के मद्देनजर, जलवायु से संबंधित लचीले कृषि प्रथाओं या प्रणालियों और बुनियादी ढांचे में निवेश करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में  इससे न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था में आर्थिक स्थिरता भी बढ़ेगी।
  • खाद्य स्रोतों में विविधता लाने से एकल फसल पर निर्भरता कम होगी, और जलवायु संबंधी व्यवधानों के प्रति लचीलापन बढ़ेगा। 
  • भारत में स्थानीय खाद्य उत्पादन, छोटे किसानों का समर्थन, और ऊर्ध्वाधर खेती या हाइड्रोपोनिक्स जैसे नवीन खाद्य उत्पादन तरीकों में निवेश से खाद्य उत्पादन के क्षेत्र की स्थिरता में सुधार होगा।
  • हरित वर्गीकरण, जो आर्थिक गतिविधियों की स्थिरता की साख का आकलन करता है, आरबीआई और वित्त मंत्रालय के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण हो सकता है। आसियान क्षेत्र से प्रेरणा लेकर, भारत को एक स्तरित हरित वर्गीकरण विकसित करना चाहिए जो टिकाऊ प्रगति के क्षेत्रगत नजरिए के अनुरूप हो।
  • भारत द्वारा सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड्स का जारी करना और विदेशी निवेशकों को भविष्य की हरित प्रतिभूतियों में भागीदारी की अनुमति देना, ये दोनों ही कदम संसाधन पूल का विस्तार करने के लिए स्वागत योग्य हैं। 
  • आरबीआई को भारत की जलवायु परिवर्तन के आर्थिक और वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव का गहन आकलन करना चाहिए और एक ऐसे हरित वर्गीकरण को आबाद करना चाहिए जो भारत की विकासात्मक प्रगति को प्रतिबिंबित करे। 
  • भारत में हरित अर्थव्यवस्था के टिकाऊ भविष्य की ओर बढ़ते कदम के साथ, वित्तीय प्रणाली में संक्रमणकालीन जोखिमों को कम करने के प्रयास भी होने चाहिए।

 

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत की अर्थव्यवस्था के लिए निम्नलिखित में से कौन सी संस्था भारत की मौद्रिक नीति को बनाता या जारी करता है ?

  1. इसे भारत का सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय जारी करता है।
  2. यह भारत का वित्त मंत्रालय और वित्त आयोग द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया जाता है। 
  3. भारत का नीति आयोग भारत की मौद्रिक नीति को बनाता है।
  4. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भारत की मौद्रिक नीति को जारी किया जाता है।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A. केवल 1. 2 और 3 

B. केवल 2, 3 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं।

D. उपर्युक्त सभी।

उत्तर – D

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1.भारत में हरित वित्त के प्रोत्साहन के लिए किए गए महत्वपूर्ण पहलों को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि आरबीआई की वर्तमान मौद्रिक नीति रिपोर्ट के अनुसार भारत में हरित अर्थव्यवस्था के विकास में प्रमुख समस्या क्या है और इसका समाधान क्या हो सकता है ? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

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