आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी)

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी)

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

सामान्य अध्ययन –  भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास , बैंकिंग और अर्थव्यवस्था, आरबीआई,  मौद्रिक नीति समिति, मुद्रास्फीति, रेपो रेट , रिवर्स रेपो रेट, तरलता समायोजन सुविधा, बैंक दर, नकद आरक्षित अनुपात (CRR), सांविधिक चलनिधि अनुपात (SLR), बाज़ार स्थिरीकरण योजना (MSS)।

ख़बरों में क्यों ? 

  • फरवरी 2024 में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखकर और समायोजन वापस लेने ‘के अपने रुख पर कायम रहकर ‘यह सुनिश्चित कर दिया है कि मुद्रास्फीति उत्तरोत्तर लक्ष्य के अनुरूप हो के साथ – ही – साथ  यह आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति के उद्देश्य को जारी रखने वाला  विवेकपूर्ण विकल्प के रूप में चुना गया है।
  • आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्यों के बीच हुए मतदान में 5-1 बहुमत के साथ, इसने मौद्रिक नीति को स्पष्ट रूप से अवस्फीतिकारी रखने के लिए प्रतिबद्ध किया है ताकि मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सके। खासकर ऐसे समय में जब ‘बड़े और दोहराव वाले मूल्य झटके अवस्फीति की गति को बाधित कर रहे हैं’। 
  • लगातार आई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की छठी बैठक में  रेपो रेट को 6.5% पर अपरिवर्तित रहने के पीछे, गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि घरेलू आर्थिक गति मजबूत बनी हुई है खाद्य पदार्थों की कीमतों में अनिश्चितताएं हेडलाइन मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र पर प्रभाव डाल रही हैं।
  • मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई को प्राथमिकता देने के लिए एमपीसी का बहुमत एकजुट था।  इसे खुदरा मुद्रास्फीति के हालिया रुझानों की पृष्ठभूमि में देखा जाना चाहिए। हेडलाइन खुदरा मुद्रास्फीति, जो जुलाई 2023  के 15 महीने के उच्चतम 7.4% से कम होकर अक्टूबर 2023 में 4.87% हो गई थी। हालांकि,यह  दिसंबर 2023  में चार महीने के उच्चतम स्तर 5.69% पर पहुंच गई थी । 
  • उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक द्वारा खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी का अनुमान 9.53% तक लगाया गया। जो अक्टूबर 2023 के 6.61% से 292 आधार अंक अधिक है।
  • एमपीसी ने जनवरी-मार्च तिमाही में औसत खुदरा मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को घटाकर 5.0% कर दिया है, जो दिसंबर के पूर्वानुमान से 20 आधार अंक कम है, यह दर्शाता है कि नीति निर्माताओं ने रबी की बुआई में सुधार के साथ-साथ मौसमी सुधार से थोड़ी राहत ली है। 
  • उपभोक्ता मामलों के विभाग का दैनिक मूल्य निगरानी डैशबोर्ड दिखाता है कि दो-तिहाई से अधिक प्रमुख खाद्य पदार्थों की औसत खुदरा कीमत 8 फरवरी 2024 तक साल-दर-साल आधार पर अधिक रही। 
  • 4% लक्ष्य की ओर मूल्य वृद्धि को स्थायी रूप से धीमा करने या खपत को कम करने का जोखिम उठाने और इस प्रकार विकास की गति को कमजोर करने के अपने संकल्प में नीति निर्माताओं को दृढ़ रहने की जरूरत है ।

मौद्रिक नीति समिति : 

  • मौद्रिक नीति समिति, भारत सरकार द्वारा गठित एक समिति है जिसका गठन ब्याज दर निर्धारण को अधिक उपयोगी एवं पारदर्शी बनाने के लिये 27 जून, 2016 को किया गया था । भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में संशोधन करते हुए भारत में नीति निर्माण को एक नवगठित मौद्रिक नीति समिति को सौंप दिया गया है।
  • मई 2016 में लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढाँचा के कार्यों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अधिनियम, 1934 में संशोधन किया गया था। संशोधित RBI अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि भारत सरकार रिजर्व बैंक के परामर्श से हर 5 साल में एक बार मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारित करेगी। MPC की पहली बैठक 3 अक्टूबर 2016 को मुंबई में आयोजित की गई थी।
  • आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45ZB के तहत जिसे वर्ष 2016 में संशोधित किया गया है में केंद्र सरकार को छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) का गठन करने का अधिकार है।
  • धारा 45ZB में कहा गया है कि मौद्रिक नीति समिति मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए  आवश्यक नीति दर निर्धारित करेगी।
  • भारत में मौद्रिक नीति समिति का निर्णय बैंको के लिए बाध्यकारी होगा।

मौद्रिक नीति समिति की संरचना : 

  • मौद्रिक नीति समिति का अध्यक्ष भारतीय रिजर्व बैंक का गवर्नर होता है और इस समय मौद्रिक नीति समिति के अध्यक्ष रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास हैं। 
  • धारा 45 ZB के अनुसार आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति में  6 सदस्य होंगे।
  • RBI के गवर्नर इसके पदेन अध्यक्ष के रूप में होते हैं ।
  • मौद्रिक नीति का प्रभारी डिप्टी गवर्नर है  ।
  • केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित बैंक का एक अधिकारी इसके  सदस्य के रूप में होता है ।
  • मौद्रिक नीति समिति में केंद्र सरकार द्वारा तीन व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता है ।
  • इस प्रक्रिया के तहत अर्थशास्त्र या बैंकिंग या वित्त या मौद्रिक नीति के क्षेत्र में ज्ञान और अनुभव रखने वाले सक्षम व निष्पक्ष व्यक्तियों” की नियुक्ति की जाएगी।

मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों का कार्यकाल : 

  • मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों का कार्यकाल केवल चार साल तक के लिए ही होगा और वे पुनर्नियुक्ति के पात्र नहीं होंगे। 
  • मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों की नियुक्ति चार वर्षों के लिए ही की जाती है। 

वर्तमान में भारत के मौद्रिक नीति समिति के सदस्य : 

वर्तमान में भारत के मौद्रिक नीति समिति के 6 सदस्य निम्नलिखित है  – 

  • शक्तिकांत दास (आरबीआई के गवर्नर)
  • माइकल देबब्रत पात्रा (डिप्टी गवर्नर)
  • आशिमा गोयल
  • शशांक भिडे
  • राजीव रंजन
  • जयन्त आर. वर्मा।

मौद्रिक नीति :

  • मौद्रिक नीति अधिनियम में निर्दिष्ट लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये अपने नियंत्रण में मौद्रिक साधनों के उपयोग के संबंध में केंद्रीय बैंक की नीति को संदर्भित करती है।
  • आरबीआई की मौद्रिक नीति का प्राथमिक उद्देश्य विकास को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना है। सतत् विकास के लिये मूल्य स्थिरता एक आवश्यक पूर्व शर्त है।
  • संशोधित आरबीआई अधिनियम, 1934 में हर पाँच वर्ष में एक बार रिज़र्व बैंक के परामर्श से भारत सरकार द्वारा मुद्रास्फीति लक्ष्य (4% + -2%) निर्धारित करने का भी प्रावधान है।

मौद्रिक नीति समिति का उद्देश्य : 

मौद्रिक नीति समिति का  उद्देश्य निम्नलिखित  हैं – 

  • आरबीआई की मौद्रिक नीति का प्राथमिक उद्देश्य विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना है। 
  • सतत विकास के लिए मूल्य स्थिरता एक आवश्यक  शर्त है। 
  • मौद्रिक नीति समिति का कार्य तेजी से जटिल होती अर्थव्यवस्था की चुनौतियों का सामना  करने के लिए देश के नागरिकों को  तैयार करना भी है।
  • मौद्रिक नीति समिति का कार्य मुद्रास्फीति को एक निश्चित स्तर (4 % +/- 2%) तक बनाए रखना भी है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) मुद्रास्फीति लक्ष्य को 4% (2% के विचलन के साथ) पर रखने के लिए जिम्मेदार है।
  • रेपो रेट, रिवर्स रेपो दर में सुधार करना भी मौद्रिक नीति समिति का कार्य है ।
  • नीतिगत ब्याज दर निर्धारित करना करना भी मौद्रिक नीति समिति का कार्य है ।
  • मौद्रिक नीति समिति का कार्य उचित मूल्य स्थिरता (reasonable price stability) प्रदान करना भी है ।
  • व्यापर चक्र को स्थिर रखना भी मौद्रिक नीति समिति का कार्य है ।
  • मौद्रिक नीति समिति का कार्य एक्सचेंज रेट स्टैबिलिटी पर ध्यान देना भी है ।
  • अर्थव्यवस्था के विकास में तेजी प्रदान करना भी मौद्रिक नीति समिति का कार्य है। 
  • मौद्रिक नीति समिति का कार्य देश में रोजगार सृजन  पर ध्यान केन्द्रित  करना भी शामिल है।

भारतीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग शब्दावली : 

रेपो दर :

  • वह ब्याज दर जिस पर रिज़र्व बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा (LAF) के तहत सरकार और अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों के संपार्श्विक पर बैंकों को रातों-रात चलनिधि प्रदान करता है।

रिवर्स रेपो दर : 

  • वह ब्याज दर जिस पर रिज़र्व बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा (LAF) के तहत बैंकों से प्रतिदिन के आधार पर तरलता प्राप्त करता है।

तरलता समायोजन सुविधा :

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (LAF) में प्रतिदिन के साथ ही सावधि रेपो नीलामियाँ शामिल हैं।
  • सावधि रेपो का उद्देश्य इंटरबैंक सावधिक मनी मार्केट के विकास में मदद करना है, जो बदले में ऋण और जमा के मूल्य निर्धारण के लिये बाज़ार आधारित बेंचमार्क निर्धारित कर सकता है तथा इस प्रकार मौद्रिक नीति के हस्तांतरण में सुधार करता है।
  • RBI परिवर्तनीय ब्याज दर रिवर्स रेपो नीलामी भी आयोजित करता है, जैसा कि बाज़ार की स्थितियों के तहत आवश्यक है।

सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) : 

  • यह एक ऐसी सुविधा है जिसके तहत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक रिज़र्व बैंक से ओवरनाइट मुद्रा की अतिरिक्त राशि को एक सीमा तक अपने सांविधिक चलनिधि अनुपात (SLR) पोर्टफोलियो में गिरावट कर ब्याज की दंडात्मक दर ले सकते हैं। 
  • यह बैंकिंग प्रणाली को अप्रत्याशित चलनिधि झटकों के खिलाफ सुरक्षा वाल्व का कार्य करती है।

कॉरिडोर : 

  • MSF दर और रिवर्स रेपो दर भारित औसत कॉल मनी दर में दैनिक संचलन के लिये कॉरिडोर को निर्धारित करते हैं ।

बैंक दर : 

  • यह वह दर है, जिस पर रिज़र्व बैंक विनिमय बिल या अन्य वाणिज्यिक पत्रों को खरीदने या बदलने के लिये तैयार है। बैंक दर भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 49 के तहत प्रकाशित की गई है।
  • यह दर MSF दर से जुड़ी हुई है और इसलिये जब MSF दर पॉलिसी रेपो रेट के साथ बदलती है तो स्वचालित रूप से परिवर्तित होती है।

नकद आरक्षित अनुपात (CRR) : 

  • निवल मांग और समय देयताओं की हिस्सेदारी जो बैंकों को रिज़र्व बैंक में नकदी शेष के रूप में रखनी होती है और इसे रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया जाता है।

सांविधिक चलनिधि अनुपात (SLR) : 

  • निवल मांग और समय देयताओं की हिस्सेदारी जो बैंकों को अभारित सरकारी प्रतिभूतियों, नकदी एवं स्वर्ण जैसी सुरक्षित व चल आस्तियों में रखना होता है।
  • SLR में परिवर्तन अक्सर निजी क्षेत्र के लिये उधार देने की बैंकिंग प्रणाली में संसाधनों की उपलब्धता को प्रभावित करता है ।

खुला बाज़ार परिचालन (OMO) : 

  • इनमें सरकारी प्रतिभूतियों की एकमुश्त खरीद/बिक्री, टिकाऊ चलनिधि डालना/ अवशोषित करना क्रमशः दोनों शामिल हैं।

बाज़ार स्थिरीकरण योजना (MSS) : 

  • भारत में मौद्रिक प्रबंधन के लिए  इसको वर्ष 2004 में आरंभ किया गया था । 
  • इसमें बड़े पूंजी प्रवाह से उत्पन्न अधिक स्थायी प्रकृति की अधिशेष चलनिधि को अल्पकालिक सरकारी प्रतिभूतियों और राजस्व बिलों की बिक्री के जरिए अवशोषित किया जाता है। 
  • जुटाए जाने वाली नकदी को रिज़र्व बैंक के पास एक अलग सरकारी खाते में रखा जाता है।

निष्कर्ष / समाधान : 

  • बाहरी सदस्य सरकार के नामांकित व्यक्ति होते हैं जिनकी नियुक्ति एक खोज सह चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाती है जिसमें कैबिनेट सचिव (अध्यक्ष), आरबीआई गवर्नर और आर्थिक मामलों के विभाग (केंद्रीय वित्त मंत्रालय) के सचिव शामिल होते हैं। नामांकित सदस्यों को अर्थशास्त्र, बैंकिंग या मौद्रिक नीति के क्षेत्र में ज्ञान होना चाहिए।
  • एमपीसी के नामांकित व्यक्ति चार साल की अवधि के लिए पद पर बने रहेंगे और पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होंगे। आरबीआई सांसदों, विधायिकाओं, लोक सेवकों या आरबीआई के कर्मचारी/समिति सदस्यों या आरबीआई के साथ हितों के टकराव वाले किसी भी व्यक्ति या 70 वर्ष से अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति की नियुक्ति पर रोक लगाता है। 
  • केंद्र सरकार कुछ शर्तों के अधीन और यदि स्थिति की आवश्यकता हो तो एमपीसी से अपने नामांकित व्यक्तियों को हटाने की शक्तियां भी बरकरार रखती है।

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों की नियुक्ति छह  वर्षों के लिए ही की जाती है। 
  2. मौद्रिक नीति समिति का अध्यक्ष भारतीय रिजर्व बैंक का गवर्नर होता है।
  3. भारत में मौद्रिक नीति समिति का निर्णय बैंको के लिए बाध्यकारी होता है।
  4. मौद्रिक नीति समिति का सदस्य पुनर्नियुक्ति के पात्र होते हैं । 

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

(A) केवल 1, 2 और 3 

(B) केवल 2, 3 और 4 

(C) केवल 1 और 4 

(D) केवल 2 और 3 

उत्तर – D

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

Q. 1. रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट से आप क्या समझते हैं ? चर्चा कीजिए कि भारतीय अर्थव्यस्था के विकास में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति तरलता समायोजन सुविधा और सांविधिक चलनिधि अनुपात को किस तरह प्रभावित करती है ? तर्कसंगत मत प्रस्तुत करें ।

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