आरबीआई की CBDC  योजना

आरबीआई की CBDC  योजना

आरबीआई की CBDC  योजना

संदर्भ- हाल ही में RBI ने कहा कि जल्द ही विशिष्ट उपयोग के लिए ई रुपये या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी की आभासी मुद्रा प्रारंभ कर सकता है। जो आभासी मुद्रा के लेनदेन में वैध लाभ देगा।

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी- 

CBDC, मुद्रा का इलैक्ट्रॉनिक रूप है। CBDC डिजाइन, मौद्रिक नीति के साथ साथ वित्तीय प्रणाली की संरचना व स्थिरता के लिए निहितार्थ को निर्धारित करता है। CBDC जारी करने के लिए प्रमुख डिजाइन विकल्प निम्न हैं-

  • जारी किए जाने वाले CBDC का प्रकार जैसे- थोक व खुदरा।
  • CBDC जारी करने और प्रबंधन के लिए मॉडल। जैसे- प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष और हाइब्रिड।
  • CBDC के रूप- टोकन या खाता आधारित।
  • उपकरण डिजाइन- पारिश्रमिक या गैर पारिश्रमिक उपकरण।
  • नाम को गुप्त रखने की डिग्री।

जारी किए जाने वाले CBDC का प्रकार-

CBDC को मोटे तौर पर दो भागों में विभाजित किया जा सकता है- 

सामान्य प्रयोजन के लिए खुदरा CBCD सभी जैसे- निजी क्षेत्र, गैर वित्तीय उपभोक्ता और व्यवसायी के उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जाता है। यह खुदरा लेनदेन के लिए नकदी का इलैक्ट्रॉनिक हस्तानांतरण है। यह सेंट्रल बैंक की प्रत्यक्ष देयता के कारण, भुगतान व निपटान के लिए  सुरक्षित धन तक पहुँच प्रदान करता है।

थोक CBCD- चुनिंदा वित्तीय संस्थानों तक सीमित पहुँच के लिए डिजाइन किया जाता है। यह अंतरबैंक हस्तानांतरण और संबंदित थोक लेनदेन के निपटान के लिए अभिप्रेरित है। थोक सीबीडीसी में वित्तीय लेनदेन के लिए निपटान प्रणाली को बदलने और उन्हें अधिक कुशल और सुरक्षित बनाने की क्षमता है।

CBDC मॉडल- यह दो प्रकार का होता है, 

प्रत्यक्ष मॉडल इस मॉडल में केंद्रीय बैंक खाता रखना, लेनदेन सत्यापन जैसो सभी कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है।

अप्रत्यक्ष मॉडल में केंद्रीय बैंक व अन्य मध्यस्थ बैंक अपनी अपनी भूमिका निभाते हैं। इसमें केंद्रीय बैंक बिचौलियों के माध्यम से उपभोक्ताओं को CBCD जारी करता है। अप्रत्यक्ष मॉडल वर्तमान भौतिक मुद्रा प्रबंधन प्रणाली के समान है। जिसमें बैंक जनता को नोटों के वितरण, खाता रखने, अपने ग्राहक को जानने (केवाईसी) से संबंधित आवश्यकता का पालन करने और धन शोधन विरोधी और आतंकवाद का मुकाबला करने जैसी गतिविधियों का प्रबंधन करते हैं।

CBDC के रूप- केंद्रीय बैंक के अनुसार ई-रुपये या सीबीडीसी को टोकन-आधारित या खाता-आधारित के रूप में संरचित किया जा सकता है। 

टोकन आधारित CBCD बैंक नोट की तरह एक गतिशील माध्यम है। जिसका अर्थ है जिसके पास टोकन होगा उस समय टोकन पर उसका अधिकार होगा। केवल इसे टोकन धारी द्वारा सत्यापित करने की आवश्यकता है। टोकन आधारित CBCD के गतिशील व सरल होने के कारण इसे अधिक पसंद किया जाता है।

खाता आधारित CBCD में खाताधारकों को खाते के लेनदेन के विवरण की आवश्यकता होगी, और मौद्रिक शेष राशि के स्वामित्व को इंगित करना होगा। खाते को सत्यापित करने के लिए मध्यस्थ की आवश्यकता होगी।

ई- रुपये के लाभ

  • भौतिक नकदी प्रबंधन के परिचालन लागत में कमी
  • वित्तीय समावेश को बढ़ावा देना,
  • भुगतान प्रणाली में लचीलापन,
  • सीमा पार भुगतान स्थान में नवाचार को बढ़ावा देगा। 

ई लेनदेन  और ऑफलाइन मोड-

  • एक विकल्प के रूप में ऑफ़लाइन कार्यक्षमता सीबीडीसी को इंटरनेट के बिना लेन-देन करने की अनुमति देगी और इस प्रकार खराब या बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में पहुंच को सक्षम करेगी।
  • आरबीआई के अनुसार ऑफ़लाइन मोड में, ‘दोहरे खर्च’ का जोखिम मौजूद रहेगा क्योंकि सीबीडीसी के सामान्य खाता बही को अपडेट किए बिना सीबीडीसी इकाई का एक से अधिक बार उपयोग करना तकनीकी रूप से संभव होगा। लेकिन केंद्रीय बैंक के अनुसार तकनीकी समाधान और ऑफलाइन लेनदेन पर मौद्रिक सीमा सहित उपयुक्त व्यावसायिक नियमों द्वारा जोखिमों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

https://rbi.org.in/Scripts/PublicationReportDetails.aspx?UrlPage=&ID=1218

https://indianexpress.com/article/explained/explained-economics/pilot-launch-of-e-rupee-for-specific-use-cases-what-is-the-rbis-plan-8198117/

Yojna IAS daily current affairs Hindi med 12th Oct

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