आर्थिक संकट और राजनैतिक अस्थिरता में श्रीलंका

आर्थिक संकट और राजनैतिक अस्थिरता में श्रीलंका

संदर्भ क्या है ?

  • श्रीलंका में आर्थिक कुप्रबंधन और भुगतान संतुलन की समस्या ने यहाँ आर्थिक अस्थिरता को जन्म दिया है जिसके परिणामस्वरूप राजनैतिक संकट भी गंभीर हो गया है। श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार तेज़ी से गिरता जा रहा है और देश के लिये आवश्यक ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए भुगतान में समस्याएं आ रही हैं।
  • इसी कारण सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हुए हैं और स्थिति यहाँ तक पहुँच गयी है कि प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन तक को कब्जे में ले लिया, प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निजी आवास में आग लगा दी।

आर्थिक संकट के कारण

  • श्रीलंका दक्षिण एशिया में एक द्वीप देश है, जिसे पहले सीलोन के नाम से जाना जाता था और आधिकारिक तौर पर इसका नाम डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट रिपब्लिक ऑफ श्रीलंका है, यहां की आबादी लगभग सवा दो करोड़ है. लेकिन, देश में आतंकवादी हमले और कोरोना महामारी के साथ राजनीति भ्रष्टाचार ने देश को दिवालिया होने के कगार पर पहुंचा दिया।
  • श्रीलंका के आर्थिक संकट के लिए चीन भी प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। उसने श्रीलंका की अवसंरचना विकास के लिए भारी भरकम मात्रा में ऋण प्रदान किया, इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए चीनी कंपनियों ने ही ठेका लिया। हंबनटोटा पोर्ट को श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था का बोझ माना जा रहा है. इसके अलावा दूसरी महंगी परियोजनाओं के चलते भी श्रीलंका पर चीन का कर्ज़ बढ़ रहा है । यह परियोजनाएं अनुत्पादक और अलाभकारी रहीं जिससे श्रीलंका कर जाल में उलझता गया है ।
  • श्रीलंका में राजनीतिक भ्रष्टाचार भी एक बड़ी समस्या है, इसने न केवल देश के  धन को बर्बाद करने में भूमिका निभाई, बल्कि इसने  श्रीलंका के लिए किसी भी वित्तीय बचत को भी जटिल बना दिया।
  • इस देश में आम तौर पर खाधान्न की कमी नहीं है, लेकिन अब लोगों को भूख का सामना करना पड़ रहा है। यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के अनुसार 10 में से 9 परिवार अपने भोजन को बचाने के लिए भोजन छोड़ रहे हैं या कंजूसी कर रहे हैं, जबकि 30 लाख आपातकालीन मानवीय सहायता प्राप्त कर रहे हैं।
  • गृहयुद्ध के दौरान श्रीलंका का बजट घाटा बहुत अधिक था और वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट ने उसके विदेशी मुद्रा भंडार को समाप्त कर दिया था, जिसके कारण देश को वर्ष 2009 में अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक कोष से 2.6 बिलियन डॉलर का ऋण लेना पड़ा था।
  • जब श्रीलंका में वर्ष 2009 में गृहयुद्ध समाप्त हुआ तो युद्ध के बाद की उसकी जीडीपी वृद्धि वर्ष 2012 तक प्रति वर्ष 8-9% के उच्च स्तर पर बनी रही, परन्तु निर्यात में गिरावट, आयात में वृद्धि और वैश्विक कमोडिटी मूल्यों में गिरावट के साथ वर्ष 2013 के बाद उसकी औसत जीडीपी विकास दर घटकर लगभग आधी रह गई।
  • वर्ष 2016 में श्रीलंका ने अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक कोष से फिर से 1.5 अरब डॉलर का ऋण लिया, लेकिन ऋण  की शर्तों ने श्रीलंका की आर्थिक स्थिति को काफी कमजोर किया।
  • इसके बाद आर्थिक संकट की मजबूत पृष्ठभूमि तब और तैयार हो गयी जब कोलंबो में अप्रैल 2019 में  ईस्टर के दौरान बम विस्फोटों की घटना हुई ।
  • श्रीलंका में पर्यटन अर्थव्यवस्था और आर्थिक विकास का मुख्य आधार है।  आतंकवादी हमले, बम बिस्फोट और उसके बाद कोविड महामारी ने श्रीलंका की आर्थिक स्थिति को जर्जर कर दिया । इसके परिणामस्वरूप देश में पर्यटकों की संख्या में तेज़ी से गिरावट आई जिससे विदेशी मुद्रा भंडार पर भी नकारात्मक प्रभाव देखा गया, यहां तक कि श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में 80% तक की गिरावट देखी गई। इससे आयात अधिक महंगा हो गया और मुद्रास्फीति पहले से ही नियंत्रण से बाहर हो गई है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों की लागत 57% बढ़ गई है। यही नहीं  चाय, रबर, मसालों और कपड़ों के निर्यात को नुकसान पहुँचा।
  • वर्ष 2019 में सत्ता में आई गोटाबाया राजपक्षे की सरकार ने निम्न कर दरों और किसानों के लिये व्यापक रियायतों के द्वारा स्थिति को और भी बदतर बना दिया।
  • सरकारी व्यय में वृद्धि के कारण वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा 10% से भी अधिक हो गया और ‘ऋण-जीडीपी अनुपात’ वर्ष 2019 में 94% के स्तर से बढ़कर वर्ष 2021 में 119% हो गया।
  • वर्ष 2021 में सरकार ने सभी उर्वरक आयातों पर श्रीलंका में पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। अचानक श्रीलंका को 100% जैविक खेती वाला देश बनाने की घोषणा ने खाद्यान्न उत्पादन को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया।

इस प्रकार श्रीलंका के राष्ट्रपति ने बढ़ती खाद्य कीमतों, मुद्रा का लगातार मूल्यह्रास और तेज़ी से गिरते  विदेशी मुद्रा भंडार पर नियंत्रण हेतु आर्थिक आपातकाल की घोषणा कर दी। इसके बाद आर्थिक संकट के साथ राजनैतिक संकट भी प्रारंभ हो गया और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन प्रारम्भ हो गए । प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के आवास को जला दिया और राष्ट्रपति भवन पर कब्ज़ा कर लिया ।

भारत की भूमिका

  • भारत श्रीलंका में आर्थिक संकट शुरू होने के बाद से सहायता के लिए आगे आया है। भारत ने जरूरी चीजों के आयात के लिए मदद के तौर पर स्वैप पेमेंट के रूप में तुरंत एक बिलियन अमेरिकी डॉलर ऋण की सहायता की पेशकश की। अप्रैल में भारत ने पांच सौ मिलियन अमेरिकी डॉलर भी दिए। खाद्यान्न इत्यादि के माध्यम से भी भारत लगातार सहायता कर रहा है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने श्रीलंका का दौरा भी किया।
  • भारत श्रीलंका का निकटतम पड़ोसी है और दोनों देशों के बीच गहरे सभ्यतागत संबंध हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत उन कई चुनौतियों से अवगत हैं जिनका श्रीलंका और उसके लोग सामना कर रहे हैं और हम श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े हैं क्योंकि उन्होंने इस कठिन दौर से पार पाने की कोशिश की है। हमारी नेबरहुड फर्स्ट नीति के तहत भारत ने इस वर्ष श्रीलंका में गंभीर आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए 3.8 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक का अभूतपूर्व समर्थन दिया है। भारत का रुख श्रीलंका के लोगों के साथ है जो समृद्धि के लिए अपनी आकांक्षाओं को वास्‍तविक रूप देना चाहते हैं और लोकतांत्रिक तरीके और मूल्‍यों के जरिए प्रगति चाहते हैं।’
  • भारत केवल अल्पकालिक और अंशकालिक राहत प्रदान कर सकता है, क्योंकि श्रीलंका का विदेशी ऋण लगभग 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है और उसकी विदेशी मुद्रा भंडार समाप्तप्राय है. लगभग 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर इस बर्ष देय है, हालांकि श्रीलंका ने अपनी तरफ से ऋणों की अदायगी नहीं करने का फैसला किया है. ऋणों का पुनर्गठन और वस्तुओं और ईंधन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारी मात्रा में ऋण की आवश्यकता होगी और यह अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक कोष के ऋण से ही संभव है , परन्तु कठोर शर्तो का पालन करना काफी दुष्कर होगा।

Yojna IAS Daily Current Affairs Hindi med 13th July

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