11 Apr इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस IBCA और संरक्षण
इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस IBCA और संरक्षण
संदर्भ- हाल ही में प्रधानमंत्री ने प्रोजैक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने पर कर्नाटक के मैसूर टाइगर रिजर्व में इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस का शुभारंभ किया। एक अनुमान के अनुसार अभ्यारण्य में बाघों की संख्या में वर्ष 2018 के बाद से 200 की बढ़त हुई है।
इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस IBCA – भारत ने विश्व के सात प्रमुख बिल्ली प्रजातियों जिनमें बाघ, शेर , तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर व चीता के संरक्षण का प्रस्ताव दिया है। इस गठबंधन का लक्ष्य इन प्रजातियों के निवास वाले 97 देशों तक पहुँच को सुनिश्चित करना है। इसमें 7 सदस्य देशों की एक समिति बनाई जाएगी जो इस संगठन का नेतृत्व करेगी। इसके गठबंधन के उद्देश्य हो सकते हैं-
- संरक्षण के लिए वैश्विक सहयोग,
- अनुसंधान और क्षमता निर्माण,
- जागरुकता निर्माण
- पर्यावरण-पर्यटन,
- विशेषज्ञ समूहों के बीच साझेदारी और
- वित्त दोहन
भारत में बाघ जनगणना 2018-
- 2018 में बाघों की जनगणना के अनुसार भारत में बाघों की संख्या 2967 थी जो विश्व की कुल बाघ जनसंख्या का 75% है।
- भारत में सबसे अधिक बाघ मध्य प्रदेश राज्य में 526 हैं। जिसे टाइगर स्टेट भी कहा जाता है। इसके बाद कर्नाटक(524) व उत्तराखण्ड(442) हैं।
राज्य | बाघ संख्या |
मध्य प्रदेश | 526 |
कर्नाटक | 524 |
उत्तराखण्ड | 442 |
महाराष्ट्र | 312 |
तमिलनाडु | 264 |
असम | 190 |
केरल | 190 |
उत्तर प्रदेश | 173 |
राजस्थान | 91 |
पश्चिम बंगाल | 88 |
आंध्र प्रदेश | 48 |
बिहार | 31 |
अरुणाचल प्रदेश | 29 |
ओडिशा | 28 |
छत्तीसगढ़ | 19 |
झारखंड | 5 |
गोवा | 3 |
बाघ अभ्यारण्य
- देश भर में बाघ अभयारण्यों का आकलन करने के लिए प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन एमईई का उपयोग किया जाता है।
- देश में 53 बाघ अभ्यारण्य है। एमईई के द्वारा केवल 51 का ही मूल्यांकन किया गया था।
- वर्तमान में, देश में 998 संरक्षित क्षेत्र हैं जिनमें 106 राष्ट्रीय उद्यान, 567 वन्यजीव अभयारण्य, 105 संरक्षण रिजर्व और 220 सामुदायिक रिजर्व शामिल हैं, जो 1,73,629 वर्ग किमी को कवर करते हैं। जो भारत के भौगोलिक क्षेत्र का 5.28% है।
- एमईई के परिणामों ने बाघ अभयारण्यों की प्रबंधन प्रभावशीलता में समग्र सुधार का भी सुझाव दिया। रिपोर्ट में12 बाघ अभयारण्यों को “उत्कृष्ट” श्रेणी में स्थान दिया गया है, इसके बाद 20 को ‘बहुत अच्छा’ श्रेणी में, 14 को ‘अच्छी’ श्रेणी में और 5 को ‘मेला’ श्रेणी में स्थान दिया गया है। देश के किसी भी टाइगर रिजर्व को ‘खराब’ की श्रेणी में नहीं रखा गया है।
- बाघ स्थलों व रिजर्व के प्रबंधन का आंकलन करने के लिए सीएटीएस मापदण्ड टय किए गए हैं।
बाघ संरक्षण हेतु प्रयास
प्रोजैक्ट टाइगर-
- टाइगर के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए 1 अप्रैल, 1973 को केंद्र सरकार द्वारा प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया गया था। यह कार्यक्रम ऐसे समय में आया जब भारत में बाघों की आबादी तेजी से घट रही थी।
- स्वतंत्रता के समय देश में 40,000 बाघ थे, 1970 तक उनके व्यापक शिकार और अवैध शिकार के कारण जल्द ही उनकी संख्या 2,000 से कम हो गई थी।
- 1970 में इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने बाघ को एक लुप्तप्राय प्रजाति घोषित कर दिया।
- भारत सरकार ने बाघ जनगणना की और जनगणना के आंकलन से प्राप्त हुआ कि देश में केवल 1,800 ही बचे हैं।
- तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने 1972 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम को लागू किया। ताकि बाघ के साथ साथ अन्य जानवरों और पक्षियों के अवैध शिकार की समस्या से निपटा जा सके।
- 1973 में प्रोजैक्ट टाइगर, जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में शुरु किया गया। कार्यक्रम शुरू में असम, बिहार, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे विभिन्न राज्यों के नौ बाघ अभयारण्यों में शुरू किया गया था, जो 14,000 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है।
- वर्तमान वर्ष 2023 में इसके 50 वर्ष पूरे होने के समय भारत द्वारा इसमें एक अन्य पहल IBCA की कोशिस की जा रही है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण का गठन वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत किया गया था।
- यह प्राधिकरण देश में बाघ संरक्षण के प्रयोसों को मजबूत कने के लिए गठित किया गया था।
- प्राधिकरण में 8 वन्यजीव या आदिवासी विषय विशेषज्ञ होते हैं।
कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड्स (सीएटीएस) –
- कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड्स (सीएटीएस) योजना 13 टाइगर रेंज देशों में बाघ संरक्षण क्षेत्रों के लिए जिम्मेदार लोगों को प्रबंधन की प्रभावशीलता में सुधार के लिए प्रोत्साहित करती है।
- यह पर्यावरण प्रमाणन योजनाओं (उदाहरण के लिए फ़ॉरेस्ट स्टीवर्डशिप काउंसिल (FSC)) और संरक्षित क्षेत्र प्रबंधन प्रभावशीलता आकलन दोनों के दीर्घकालिक अनुभव पर आधारित है।
- इसे 2013 में प्रारंभ किया गया था। जिसका लक्ष्य 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करना था।
- सीएटीएस मापदण्ड का एक सेट है जो बाघ प्रजाति के निवास के प्रबंधन का आंकलन करती है।
- यह आंकलन इस आधार पर किया जाता है कि यह स्थल उनके रहने के अनुकूल है या नहीं।
चुनौतियाँ
- राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिम से पूर्व की ओर बनने वाली सड़क, बाघ प्रजातियों की आवाजाही के लिए संकट उत्पन्न कर सकती है।
- झारखण्ड, उड़ीसा छत्तीसगढ़ व तेलंगाना में इस प्रजाति में भारी कमी मिलती है। यहाँ के खनन तकनीकों का बाघों के प्राकृतिक पर्यावास में प्रतिकूल असर पड़ा है।
- रैखिक बुनियादी ढांचे व विद्युत परियोजनाएं भी प्रजातियों के आवासों के लिए प्रतिकूल है।
स्रोत
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