इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोजिव डिवाइस अटैक (IED Attack)

इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोजिव डिवाइस अटैक (IED Attack)

इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोजिव डिवाइस अटैक (IED Attack)

संदर्भ- हाल ही में 5 मई को जम्मू कश्मीर के पुंछ संभाग में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में पांच जवान शहीद हो गई। सेना के अनुसार, जब एक खोजी दल ने जंगलों में एक गुफा में छिपे आतंकवादियों के एक समूह के साथ संपर्क स्थापित किया, तो एक विस्फोटक उपकरण के ट्रिगर होने के बाद गोलाबारी शुरू हो गई। इससे पहले 26 अप्रैल को इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोजिव डिवाइसेज के कारण जिला रिजर्व गार्ड के 10 सुरक्षा कर्मियों को मार डाला।  

इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोजिव डिवाइस अटैक 

  • आईईडी स्थानांतरित की जा सकने योग्य उपकरण (मोबाइल फोन के समान) है।  जिसे IED शब्द 2003 में शुरू हुए इराक युद्ध के दौरान आम उपयोग में आया।
  •  IED एक छोटे बम से लेकर बड़े पैमाने पर क्षति और जीवन की हानि कर सकने वाले परिष्कृत बम तक विविध श्रेणियों में निहित है। 
  •  IED का उपयोग अधिकतर अपराधियों, उपद्रवियों, आतंकवादियों, आत्मघाती हमलावरों और विद्रोहियों द्वारा किया जाता है।
  • एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) का प्रयोग हमले को समाप्त करने, अप्रभावी करने, या ध्यान भटकाने के लिए “होममेड” बम /या विनाशकारी डिवाइस के रूप में किया जाता है। 

आईईडी के तत्व

IED में विभिन्न प्रकार के विस्फोटक घटक होते हैं, जिनमें-

  • एक इनिशिएटर, स्विच, मेन चार्ज, पावर स्रोत और एक कंटेनर शामिल होता है। 
  • ईईडी को अतिरिक्त सामग्री या “एन्हांसमेंट” जैसे कील, कांच, या धातु के टुकड़े से घिरा या पैक किया जा सकता है, जिसे विस्फोट के प्रभाव को बढ़ाने के लिए किया गया है।
  • संवर्द्धन में खतरनाक सामग्री के अन्य तत्व भी शामिल हो सकते हैं। लक्षित लक्ष्य के आधार पर विभिन्न तरीकों से एक आईईडी को स्विच किया जा सकता है।

इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोजिव डिवाइस से होने वाली क्षति निम्न कारकों पर निर्भर करती हैं-

  • आईईडी से होने वाली क्षति की सीमा इसके आकार, निर्माण और स्थान पर निर्भर करती है, 
  • उच्च विस्फोटक या प्रणोदक की उपस्थिति
  • विस्फोटक (टीएनटी समतुल्य) और बम की मात्रा या वजन।
  • वाहन बम, जिसे वाहन जनित आईईडी के रूप में भी जाना जाता है, काफी अधिक विस्फोटक सामग्री ले जा सकता है, और इसलिए अधिक नुकसान करता है।

इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोजिव डिवाइस के प्रभाव- 

आईईडी से संरचनाओं और बुनियादी ढांचे को नुकसान हो सकता है जैसे-

  • किसी भवन या सार्वजनिक परिवहन स्थल, सुरक्षा दीवारें, बिजली, वेंटिलेशन, आग दमन, पानी/सीवेज आदि
  • किसी संरचना के निकास मार्ग बाधित हो सकते हैं, जो एक बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है।
  • भवन के भीतर उपयोग की जाने वाली खतरनाक सामग्री, जैसे कि चिकित्सा उपकरणों से रेडियोधर्मी सामग्री, या भवन की संरचना के भीतर शामिल, जैसे एस्बेस्टस इन्सुलेशन बाहरी वातावरण में आ सकते हैं।
  • एक आईईडी हमले से बिजली, पानी, संचार और परिवहन जैसी नगरपालिका सेवाओं में बाधा उत्पन्न हो सकती है, जो हमले के बाद दिनों से हफ्तों तक जारी रह सकती है।

माध्यमिक नुकसान – यदि गैसोलीन, प्राकृतिक गैस, या अन्य ज्वलनशील सामग्री को प्रज्वलित किया जाता है तो बम के विस्फोट से द्वितीयक विस्फोट हो सकता है। 

  • द्वितीयक खतरों के परिणामस्वरूप संभावित रूप से जहरीले धुएं के साथ आग, बिजली की शक्ति में व्यवधान, प्राकृतिक गैस लाइनों और पानी के मुख्य भाग, और मलबे का टूटना शामिल हो सकता है।
  • विस्फोट के क्षेत्र में यातायात नियंत्रण का नुकसान हो सकता है, संभावित यातायात दुर्घटनाओं में भागते नागरिक भी प्रभावित हो सकते हैं, जिससे परिस्थिति अनियंत्रित हो सकती है। 

स्वास्थ्य संबंधी नुकसान-

  • अधिक दबाव से फेफड़े, कान, पेट और अन्य दबाव-संवेदनशील अंगों को नुकसान पहुंचता है।जो मृत्यु का कारण बन सकता है। 
  • विस्फोट प्रक्षेप्य के कारण चोटें बम में उपयोग होने वाली सामग्री के जैसे छर्रे, या उड़ने वाला मलबा जो शरीर में प्रवेश कर क्षति का कारण बनता है।
  • आघात लगने से फ्रैक्चर, या आंख व कान से संबंधित चोट लग सकती हैं, जो गंभीर विकलागंता का कारण बन सकती हैं।
  • उष्णता- त्वचा, मुंह, साइनस और फेफड़ों में जलन के कारण होने वाली।

चुनौतिय़ां

  • इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोजिव डिवाइस अटैक- फाइनेंसर, सप्लायर, ट्रांसपोर्टर, बिल्डर और ट्रिगरमैन का एक इकोसिस्टम है। जिसे समाप्त करना एक वैश्विक चुनौती है।
  •  किसी आईडी डिवाइस को डिटैक्ट करने के लिए एक्यूरेट परिणाम वाली डिवाइस को निर्मित करना एक चुनौती है। 
  • उग्रवादी अज्ञात व अदृश्य दुश्मन की तरह कहीं भी हो सकते हैं जो आईडी का प्रयोग कर सुरक्षा बलों के लिए समस्या बन जाते हैं। 
  • एक अध्ययन के अनुसार 60% से अधिक मौतें बारुदी सुरंग या आईडी वाहनों के कारण होती हैं, जो भारतीय सेना के लिए एक बड़ी चुनौती है। 
  • देश के कानून को बनाए रखने के लिए भारतीय सुरक्षा बलों को केवल हमले का जवाब देने पर ही गोली चलाने का अधिकार है। 

आगे की राह

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग- आईडी के इकोसिस्टम को समाप्त करने के लिए केद्र व राज्य सरकारों के साथ राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ गैर सरकारी संगठन के साथ सहयोग कर इस समस्या से निपटा जा सकता है।  आईडी विस्फोटकों और डेटोनेटरों के निर्माण, आपूर्ति और बिक्री पर कड़े नियंत्रण के लिए विधायी उपायों की आवश्यकता है। 

डिटैक्टर का प्रयोग अब तक विकसित प्रौद्योगिकी का प्रयोग आईडी डिवाइस को खोजने के लिए किया जा सकता है। बारूदी सुरंगों और आईईडी का पता लगाने और उन्हें साफ करने के लिए मेटल डिटेक्टर, ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार और प्रशिक्षित स्निफर डॉग जैसी विभिन्न पहचान विधियों का कठोर और नियमित कार्यान्वयन आवश्यक है। 

योजनाएं – बारूदी सुरंगों या आईईडी वाले ज्ञात या संदिग्ध क्षेत्रों की मैपिंग की जा सकती है और उनके लिए आकस्मिक योजना तैयार की जा सकती है। इसमें निवारक और शमन दोनों उपायों के हिस्से के रूप में सुरक्षित मार्ग स्थापित करना, चेकपॉइंट स्थापित करना और निकासी योजना बनाना शामिल है।

सावधानियाँ –

  • आवश्यकता होने पर ही माओवादी या उग्रवादी क्षेत्र के अंदर वाहन से यात्रा करनी चाहिए, आने व जाने के लिए अलग अलग मार्गों का प्रयोग किया जाना चाहिए। 
  • एक अध्ययन के अनुसार रात के मुकाबले दिन के समय यात्रा करना अधिक खतरनाक हो सकता है। अतः इन क्षेत्रों में सुरक्षा कर्मियों को यात्रा करने के लिए समय का चुनाव सावधानी से करना चाहिए। 
  • हमलों से बचने के लिए सेना को छद्म वेश बना सकते हैं। 
  • व्यक्तियों और व्यवसायों के पास आईडी हमलों से उत्पन्न रुकावटों को दूर करने के लिए एक योजना होनी चाहिए।

स्रोत

The Hindu

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