इजराइल – फिलिस्तीन संघर्ष और अमेरिका की भूमिका

इजराइल – फिलिस्तीन संघर्ष और अमेरिका की भूमिका

( यह लेख इंडियन एक्सप्रेस ’, ‘ द हिन्दू ’  ‘ जनसत्ता ’ और ‘पीआईबी ’ के सम्मिलित संपादकीय के संक्षिप्त सारांश से संबंधित है।  इसमें योजना IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के विशेषकर ‘ अंतर्राष्ट्रीय संबंध खंड से संबंधित है। यह लेख ‘दैनिक करंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत   इजराइल – फिलिस्तीन संघर्ष और अमेरिका की भूमिका ’  से संबंधित है।)

 

ख़बरों में क्यों ? 

 

 

  • हाल ही में 1 अप्रैल 2024 को दमिश्क में ईरानी दूतावास के एक उपभवन पर हमला हुआ है। 
  • यह हमला उस बहुआयामी संघर्ष, जो 7 अक्टूबर, 2023 से पूरे पश्चिम एशिया में फैल रहा है, का एक अग्रगामी कदम है। 
  • ईरान ने इस हमले के लिए इजराइल को दोषी बताया है। 
  • इस हमले में कुद्स फोर्स के सीरिया अभियान के प्रभारी शीर्ष कमांडर मोहम्मद रजा जाहेदी सहित 13 ईरानी मारे गए हैं। 
  • इजराइल ने न तो इन दावों की पुष्टि की है और न ही इस बात से इनकार किया है कि ऐसे हमलों के पीछे उसका हाथ था। लेकिन यह एक खुला रहस्य है कि वह इस पूरे इलाके में ईरानी सेना और परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाकर कार्रवाई कर रहा है। 
  • 25 दिसंबर 2023 को सीरिया में एक संदिग्ध इजरायली हमले में ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के वरिष्ठ सलाहकार रजी मौसवी की मौत हो गई थी। 
  • 1 अप्रैल  2024 का हमला इजरायल के पिछले हमलों से अलग इसलिए है क्योंकि इस हमले में एक दूतावास परिसर को निशाना बनाया गया है ।
  • अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत किसी भी दूतावास और अन्य राजनयिक परिसरों को संरक्षित दर्जा प्राप्त होता  है, जिसपर किसी भी परिस्थिति में हमला नहीं किया जा सकता है ।
  • दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी, राजनयिक परिसरों पर शत्रु शक्तियों द्वारा हमला नहीं किया गया था। 
  • मई 1999 में बेलग्रेड में स्थित चीनी दूतावास पर जब अमेरिका द्वारा बमबारी की गई थी, तो तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने इसे एक दुर्घटना बताते हुए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी। 
  • दमिश्क में, हुए हमले का मकसद आईआरजीसी के एक समूह को मारना था। ईरान में कई लोग इसे युद्ध की कार्रवाई के रूप में देखते हैं।

 

इजराइल-  फिलिस्तीन संघर्ष  का मुख्य कारण  : 

 

 

  • इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष  का मुख्य कारण येरुशलमनामक शहर है ।
  • येरुशलम एक ऐसा शहर है जो इज़राइल और वेस्ट बैंक के बीच की सीमा पर फैला हुआ है। 
  • यह यहूदी धर्म और इस्लाम दोनों के सबसे पवित्र स्थलों में से एक महत्वपूर्ण स्थल है।
  • अतः इज़राइल और फिलिस्तीन दोनों ही इस येरुशलम शहर पर अपना कब्ज़ा करना चाहता है।
  • इस येरुशलम शहर को ही इज़राइल – फिलिस्तीन संघर्ष का मुख्य कारण माना जाता है।
  • इसलिए  इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष का समाधान भी वह दोनों देश ही इसे ही बनाना चाहते हैं।

 

फ़िलिस्तीन क्या चाहता है ?

 

  • फ़िलिस्तीन चाहता है कि इजरायल सन 1967 से पहले  येरुशलम शहर की सीमाओं से हट जाए और वेस्ट बैंक और गाजा में एक स्वतंत्र फिलिस्तीन राज्य की स्थापना किया जाए।
  • इजराइल-  फिलिस्तीन संघर्ष में शांति वार्ता में आने से पहले इजराइल को येरुशलम शहर की बस्तियों में होने वाले सभी मानवीय विस्तार को रोक देना चाहिए और फिर इजराइल-  फिलिस्तीन संघर्ष से संबंधित  शांति वार्ता में  शामिल होना चाहिए।
  • फ़िलिस्तीन यह भी चाहता है कि सन 1948 में अपने घर खो चुके फ़िलिस्तीनी शरणार्थी को वापस अपने घर फ़िलिस्तीन आने की स्वतंत्रता मिल सके।
  • फ़िलिस्तीन पूर्वी येरुशलम को स्वतंत्र फ़िलिस्तीन राज्य की राजधानी बनाना चाहता है।

 

इजराइल क्या चाहता है ?

 

  • इजराइल येरुशलम पर संप्रभुता चाहता है। 
  • इजराइल को यहूदी राज्य के रूप में वैश्विक स्तर मान्यता चाहता है । 
  • इजराइल दुनिया का एकमात्र देश है जो धार्मिक समुदाय के लिए बनाया गया है।
  • फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों की वापसी का अधिकार केवल फ़िलिस्तीन को है, इसराइल को नहीं है।

 

इजराइल – फिलिस्तीन संघर्ष में अमेरिका को आने का मुख्य कारण : 

 

 

  • संयुक्त राज्य अमेरिका में इज़राइल से अधिक यहूदी हैं। यहूदियों का अमेरिकी मीडिया और अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण नियंत्रण है।
  • इज़राइल को हर साल लगभग 3 अरब डॉलर की प्रत्यक्ष विदेशी सहायता मिलती है, जो वर्तमान समय में अमेरिका के पूरे विदेशी सहायता बजट का लगभग पांचवां हिस्सा होता है।
  • इजराइल – फिलिस्तीन संघर्ष के संबंध में अमेरिका मध्यस्थ के तौर पर अहम भूमिका निभा रहा है,  लेकिन मध्यस्थ के रूप में इसकी विश्वसनीयता पर फ़िलिस्तीनियों द्वारा लंबे समय से सवाल उठाया  ज रहा है । 
  • इज़राइल की आलोचना करने वाले अधिकांश सुरक्षा परिषद निर्णयों को वीटो करने के लिए ओआईसी (इस्लामिक सहयोग संगठन) और अन्य अरब संगठनों द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका की आलोचना भी की गई है ।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका  फ़िलिस्तीन को राज्य का दर्जा प्राप्त होने के लिए किसी भी फ़िलिस्तीनी प्रयास को वीटो करने के अपने इरादे के बारे में मुखर रहा है। जिसके कारण फिलिस्तीन को वर्तमान समय में भी संयुक्त राष्ट्र में ‘ गैर – सदस्य पर्यवेक्षक ’ का दर्जा’ से ही संतुष्ट होना पड़ा है।
  • ओबामा प्रशासन के दूसरे कार्यकाल में अमेरिका-इज़राइल संबंधों में गिरावट देखी गई थी । 
  • वर्ष 2015 के ईरान परमाणु समझौते से इज़राइल चिढ़ गया था और उसने इस समझौते के लिए अमेरिका की आलोचना भी की थी ।
  • ओबामा प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र को एक प्रस्ताव पारित करने की अनुमति दी जिसने कब्जे वाले क्षेत्रों में इजरायल की बढ़ती बस्तियों को अवैध घोषित कर दिया। 
  • उस मतदान तक, ओबामा प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपनी वीटो शक्ति का उपयोग करके इज़राइल की आलोचना करने वाले प्रस्तावों को अवरुद्ध कर दिया था।
  • ट्रम्प के नेतृत्व में राष्ट्रपति शासन के साथ, जो इज़राइल के प्रति अधिक झुकाव रखते थे, वेस्ट बैंक और गाजा में इज़राइल द्वारा अवैध बस्तियों में वृद्धि देखी गई थी।

 

इजराइल – फिलिस्तीन संघर्ष का निष्कर्ष या समाधान की राह  :

 

 

 

 

 

  • वर्तमान समय में जारी इजराइल – फिलिस्तीन संघर्ष का सबसे सटीक समाधान ” दो – राज्य समाधान “ है जो गाजा और पश्चिमी तट के अधिकांश हिस्से में फ़िलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित करेगा, और बाकी ज़मीन इसराइल के लिए छोड़ देगा। 
  • इजराइल – फिलिस्तीन संघर्ष में दो-राज्य योजना सैद्धांतिक रूप से तो स्पष्ट है, लेकिन इसे व्यवहार में कैसे लाया जाए, इस पर अभी भी दोनों पक्षों में सहमती नहीं बन पाई हैं।
  • एक राज्य समाधान (केवल फ़िलिस्तीन या केवल इज़राइल) एक व्यवहार्य विकल्प नहीं हो सकता  है।
  • शांति के लिए रोड मैप: यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और रूस ने 2003 में एक रोड मैप जारी किया था, जिसमें फिलिस्तीनी राज्य के लिए एक स्पष्ट समय सारिणी की रूपरेखा दी गई थी।
  • फ़िलिस्तीनी समाज का लोकतंत्रीकरण आवश्यक है जिसके माध्यम से नया विश्वसनीय नेतृत्व उभर सके।
  • अब समय आ गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय जल्द ही दुनिया के सबसे कठिन संघर्ष का उचित और स्थायी शांतिपूर्ण समाधान ढूंढे।
  • 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल में हमास के हमले से पहले भी पश्चिम एशिया में इजराइल और ईरान के बीच छाया युद्ध चल रहा था। लेकिन 7 अक्टूबर 2023 के बाद, इजराइल ने दोतरफा हमला शुरू कर दिया है। 
  • वह एक तरफ जहाँ 2.3 मिलियन लोगों वाले छोटे से फिलिस्तीनी इलाके गाजा पर पूर्ण आक्रमण कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ ईरान व उसके मिलिशिया नेटवर्क के खिलाफ सीरिया एवं लेबनान में दर्जनों हवाई हमले किया है। 
  • इजराइल ईरान को इस इलाके के सभी गैर-राजकीय मिलिशिया, चाहे वह हमास हो, हिजबुल्लाह, हौथिस या फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद हो, की धुरी के रूप में देखता है और वह अपने निकट पड़ोस में उनके प्रभाव को मिटाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। 
  • गाजा में इजरायल का युद्ध योजना के मुताबिक नहीं चल रहा है। 
  • पिछले छह महीने से जारी  इस  इजराइल – फिलिस्तीन संघर्ष में गाजा को एक खुले कब्रिस्तान में बदल दिया है, जिसमें 33,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। इन मारे गए लोगों में से अधिकांश महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। 
  • इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू,के निर्देश पर 7 अक्टूबर 2023 को जो हमला हुआ था, अब इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर ही संघर्ष विराम करने तथा अपना इस्तीफा देने के लिए उनके ही देश के भीतर और विदेश में दबाव बढ़ रहा है। 
  • इजराइल और ईरान के बीच एक खुला युद्ध, जो अमेरिका को भी इसमें घसीट सकता है, इस पूरे इलाके के लिए एक सुरक्षा संबंधी आपदा और व्यापक पैमाने पर दुनिया के लिए एक आर्थिक दुःस्वप्न साबित होगा। 
  • अतः ईरान को इजरायल द्वारा बिछाए गए जाल में नहीं फंसना चाहिए। 
  • उसे रणनीतिक तौर पर धैर्य एवं संयम दिखाना चाहिए और इजराइल के सबसे महत्वपूर्ण राजनयिक एवं सैन्य समर्थक अमेरिका को अपने निकटतम सहयोगी को फिर से दुष्टता भरे कार्य करने से रोकना चाहिए।
  • वर्तमान समय में अमेरिका को इजराइल पर लगाम लगानी होगी और ईरान को भी इस युद्ध में संयम रखना होगा।

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q. 1. इजराइल – फिलिस्तीन संघर्ष  के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष का मुख्य कारण येरुशलम नामक शहर है।
  2. येरुशलम यहूदी धर्म और इस्लाम दोनों के सबसे पवित्र स्थलों में से एक महत्वपूर्ण स्थल है।
  3. येरुशलम इज़राइल और वेस्ट बैंक के बीच की सीमा पर स्थित है। 
  4. इजराइल – फिलिस्तीन संघर्ष का समाधान  दो – राज्य  सिद्धांत  हो सकता है।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A. केवल 1, 2 और 3

B. केवल 2, 3 और 4 

C. केवल 1, 3 और 4

D. इनमें से सभी। 

 

उत्तर – D 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के प्रमुख कारणों को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि इस संघर्ष में अमेरिका की क्या भूमिका है तथा वर्तमान में जारी  इस संघर्ष का स्थायी समाधान क्या हो सकता है ? 

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