इस्लामिक सहयोग संगठन ( OIC – ओआईसी)

इस्लामिक सहयोग संगठन ( OIC – ओआईसी)

( यह लेख ‘ संसद टी. वी.’, ‘बीबीसी न्यूज’, ‘द हिन्दू’, ‘ इंडियन एक्सप्रेस’, ‘पीआईबी’ और ‘ भारतीय विदेश मंत्रालय के आधिकारिक वेबसाईट ’,’ जनसत्ता ’  मासिक पत्रिका ‘ कुरुक्षेत्र ‘ के सम्मिलित संपादकीय के संक्षिप्त सारांश से संबंधित है। इसमें योजना IAS टीम के सुझाव भी हैं और यह लेख विशेषकर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के पेपर  – ‘ 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध ‘ खंड से संबंधित है। यह लेख ‘ दैनिक करंट अफेयर्स ’ “इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ’ से संबंधित है।)

सामान्य अध्ययन पेपर  2: भारतीय राजव्यवस्था और शासन एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध।

चर्चा में क्यों?

भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करने की पुष्टि करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संबंध में ओआईसी के एक बयान को खारिज कर दिया है।

इस्लामिक सहयोग संगठन ( OIC – ओआईसी) की पृष्ठभूमि:

भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 पर उच्चत्तम न्यायालय के फैसले पर चिंता व्यक्त करते हुए इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की टिप्पणियों को दृढ़ता से खारिज कर दिया है ।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ओआईसी के बयान को “गलत जानकारी वाला और गलत इरादे से दिया जाने वाला” करार दिया, जिसमें मानवाधिकार उल्लंघनकर्ता और सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले के साथ उसके संबंध या जुड़ाव पर सवाल उठाया गया है । भारत द्वारा इस बात पर जोर दिया गया है कि इस तरह के बयान ओआईसी की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं।

ओआईसी ने उच्चत्तम न्यायालय के फैसले पर चिंता व्यक्त की थी और जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ एकजुटता के साथ  खड़ा रहने की पुष्टि की थी। भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखने के उच्चत्तम न्यायालय के फैसले में 30 सितंबर, 2024 तक जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने का आदेश शामिल है।

इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी): एक सिंहावलोकन

स्थापना: कब्जे वाले यरूशलेम में अल-अक्सा मस्जिद की आपराधिक आगजनी से प्रेरित होकर इस्लामिक सहयोग संगठन को सितंबर 1969 में रबात, मोरक्को में एक शिखर सम्मेलन के बाद स्थापित किया गया था।

आकार और जनसंख्या: इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) पूरे विश्व में संयुक्त राष्ट्र के बाद विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा संगठन है। यह 1.8 बिलियन से अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।

इस्लामिक देशों/ समूहों की सामूहिक आवाज़: यह संगठन मुख्य रूप से इस्लामिक देशों या समूहों का आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में उनके आपसी हितों की वकालत करते हुए मुस्लिम दुनिया की सामूहिक आवाज़ के रूप में कार्य करता है।

इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) का मुख्य उद्देश्य:

  • इसका उद्देश्य इस्लामी मूल्यों को संरक्षित करना है।
  • सदस्य राज्यों की राष्ट्रीय संप्रभुता और स्वतंत्रता की सुरक्षा और बचाव करता है।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय जगत में शांति और सुरक्षा को बहाल करने में योगदान देता है।

सदस्यता:  इसमें चार महाद्वीपों में फैले 57 सदस्य देश शामिल हैं।

मुख्यालय: इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) का मुख्यालय जेद्दा, सऊदी अरब में स्थित है।

आधिकारिक भाषाएँ: यह अरबी, अंग्रेजी और फ्रेंच को अपनी आधिकारिक भाषाओं के रूप में मान्यता देता है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

1969 में, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मुस्लिम समुदाय/ धर्म  वाले देश भारत को ओआईसी के संस्थापक सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था, लेकिन पाकिस्तान के आग्रह पर उसे बाहर कर दिया गया।

धार्मिक रूप से स्थापित संगठन में शामिल होने की चिंताओं और द्विपक्षीय संबंधों पर संभावित तनाव को देखते हुए , और खासकर कश्मीर जैसे भारत के आंतरिक मुद्दों के कारण भारत इससे दूर ही रहा।

पर्यवेक्षक की स्थिति और आपसी  संबंध:

  • वर्ष 2018 में, ओआईसी के विदेश मंत्रियों के शिखर सम्मेलन के 45वें सत्र में बांग्लादेश ने भारत को इस संगठन के पर्यवेक्षक का दर्जा देने का प्रस्ताव रखा, लेकिन पाकिस्तान ने इसका विरोध किया।
  • भारत धार्मिक आधार पर बने इस संगठन में शामिल होने में अनिच्छा व्यक्त करते हुए ओआईसी के भीतर अधिक समावेशी दृष्टिकोण की वकालत करता है।
  • अनेक आपत्तियों के बावजूद, भारत, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे प्रभावशाली ओआईसी सदस्यों के साथ मजबूत संबंधों के साथ, समूह के बयानों के प्रबंधन में आश्वस्त रहता है।

कश्मीर मुद्दा पर ओआईसी के बयान के निहितार्थ और भारत का रूख  :

  • ओआईसी ने कश्मीर में रह रहे मुस्लिम समुदायों को लेकर कई बार चिंता व्यक्त की है और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के अनुरूप समाधान का आह्वान किया है।
  • 2018 में, ओआईसी जनरल सचिवालय ने भारतीय बलों द्वारा कश्मीरियों की हत्या की निंदा की, जिसे भारत सरकार ने लगातार खारिज कर दिया।
  • भारत का कहना है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इस मुद्दे पर ओआईसी के किसी भी बयान का कोई अर्थ नहीं है।

राजनयिक  दृष्टिकोण से मील का पत्थर:

  • वर्ष 2019 में, भारत ने ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक में “सम्मानित अतिथि” के रूप में अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की, जो एक राजनयिक जीत थी।
  • भारत में हुए पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव के दौरान यह भारत का एक महत्वपूर्ण कदम था।

हालिया विकास और आलोचनाएँ:

  • 2022 में ओआईसी ने कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से मुलाकात की।
  • ओआईसी ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 और बाबरी मस्जिद फैसले की आलोचना करते हुए भारत से मुस्लिम समुदाय की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

स्रोत: ‘गलत जानकारी, गलत इरादा’: भारत ने अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर इस्लामिक सहयोग संगठन के बयान को खारिज कर दिया (msn.com)

 

 प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. हाल ही में समाचारों में आए इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

(1). भारत ओआईसी के संस्थापक सदस्यों में से एक देश है।

(2). हाल ही में ओआईसी ने भारत की ओर से कश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप किया है।

(3). ओआईसी ने पाकिस्तान को इस्लामिक देश के रूप में मान्यता प्रदान नहीं की है। 

(4). वर्ष 2018 में, ओआईसी के विदेश मंत्रियों के शिखर सम्मेलन के 45वें सत्र में बांग्लादेश ने भारत को इस संगठन के पर्यवेक्षक का दर्जा देने का प्रस्ताव रखा, लेकिन पाकिस्तान ने भारत का समर्थन किया था।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा/से सही है/ हैं?

(a) केवल  1 , 3 और  4.

(b) केवल  2 और 3. 

(c) केवल 1 , 2 और  4.

(d). उपरोक्त में से कोई भी नहीं ।

उत्तर: (d)

 मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न

Q.1. भारत और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के बीच विकसित होते संबंधों का परीक्षण करें। हाल ही में ओआईसी के बयानों को भारत द्वारा अस्वीकार करने के प्रभाव का आकलन करें और प्रमुख राजनयिक चुनौतियों और उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए इस संगठन को आगे बढ़ाने के उसके प्रयासों का आकलन करें।

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