ई- एनएएम और एपीएमसी

ई- एनएएम और एपीएमसी

ई- एनएएम और एपीएमसी

संदर्भ- हाल ही में केंद्र सरकार ने मार्च के अंत तक 101 एपीएमसी मंडियों को इलैक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म ई-नाम से जोड़ने की घोषणा की है। वर्तमान में यह मंडियाँ 1260 हो गई हैं तथा 31 मार्च तक ऐसी मंडियों की कुल संख्या 1361 तक पहुँचने की उम्मीद है।

मंडियों की बढ़ोतरी का महत्व-

  • इससे ई- नाम मंच के कारोबार को बढ़ावा मिल सकता है।
  • यह एकीकृत बाजार में मूल्य निर्धारण करने में मददकरने के साथ कृषि आय को बढ़ावा दे सकता है।
  • मंच किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए विकल्प प्रदान करता है।  
  • ई- नाम के अंतर्गत प्लैटफॉर्म ऑफ प्लेटफॉर्म की व्यवस्था की गई है। डिजीटल पहुँच के कारण किसानो की पहुँच राज्य की सीमाओं से बाहर भी की जा सकती है। पीओपी को 14 जुलाई 2022 में लॉंच किया गया था। 

ई- राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना-

  • राष्ट्रीय कृषि बाजार एक अकिल भारतीय इलैक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है। जो कृषि उत्पादों के लिए एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाने हेतु वर्तमान एपीएमसी मंडियों को ऑनलाइन नेटवर्क से जोड़ता है। 
  • लघु कृषक कृषि व्यापार संघ, भारत सरकार के कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत ई-नाम को लागू करने के लिए प्रमुख एजेंसी है।
  • इसके द्वारा एकीकृत बाजारों में प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके, खरीदारों व विक्रेताओं के बीच सूचना की विषमता को दूर करना, एवं वास्तविक मांग व आपूर्ति के आधार पर उचित वास्तविक मूल्य कीमत को बढ़ावा देकर कृषि विपणन की एकरुपता को बढ़ाया जा सकता है। 
  • यह कृषि उत्पादों के अखिल व्यापार के सुविधा के लिए एक ऑनलाइन मार्केट प्लेटफॉर्म के माध्यम से देशभर में एपीएमसी का एकीकरण, समय पर ऑनलाइन भुगतान के उत्पादों के साथ उत्पादन की गुणवत्ता के आधार पर पारदर्शी नीलामी के माध्यम से बेहतर कीमत प्रदान करेगा। 

एपीएमसी मंडियाँ

  • एपीएमसी या कृषि उपज बाजार समिति भौतिक बाजार या यार्ड हैं जहाँ किसान अपनी कृषि उपज व्यापारियों और एजेंटों को भेजते हैं। 
  • इन मंडियों को राज्य एपीएमसी अधिनियमों द्वारा विनियमित किया जाता है। इसके द्वारा एजेंटों को राज्य द्वारा लाइसेंस प्राप्त एजेंटों को ही अपनी फसल बेचनी होती है। 
  • सम्पूर्ण भारत में लगभग 7000 एपीएमसी मंडियाँ हैं। जो किसी विशिष्ट क्षेत्र या गांवों के समूह की सेवा के लिए स्थापित किए गए हैं।

ईएनएएस के अंतर्गत एपीएमसी का महत्व

  • वे मानक गुणवत्ता के साथ समय पर भुगतान, लेनदेन में पारदर्शिता सुनिश्चित करके बाजार को विनियमित करने में मदद रते हैं।
  • व्यापारियों व कमीशन एजेंटों की बेहतर निगरानी करने में मदद कर सकती है।
  • यह स्थिर मूल्य वसूली में मदद करती है। 
  • कृषि बाजार पहउँच बढ़ाने में मदद मिलती है। 

एपीएमसी मंडियों को आगे बढ़ाने केलिए सरकार के प्रयास

एपीएमसी अधिनियम 2017- 

  • अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक 80 किमी की दूरी पर थोक कृषि बाजार स्थापित करने का सुझाव दिया गया है। जिसमें कृषि उपज व पशु धन का व्यापार किया जाएगा। 
  • थोक बाजार स्थापित करने वाले नए व्यापारियों को लाइसेंस उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • गोदाम, निजी मार्केट यार्ड या कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने की अनुमति भी दी जाएगी।
  • व्यापारी इस तरह का व्यापार, राज्य के भीतर कर सकेंगे।
  • बाजार शुल्क की सबसे बड़ी सीमा फलों व सब्जियों के लिए 1%व खाद्यान्न के लिए 2% से अधिक न हो।
  • इसके तहत कृषि बाजार प्लेटफॉर्म को बढ़ावा दिया जाएगा।

किसान उत्पादक संगठन(FPO)

  • किसान उत्पादक संगठन, कृषि उत्पादन क्षेत्र में लगा एक कृषकों का एक समूह होता है। जो कृषि को व्यापार से संलग्न करता है।
  • इसमें कृषकों को खेती करने के लिए सरकार द्वारा सहायता दी जाती है। इसके भीतर किसानों को एक साथ कृषि उपकरण, बीज आदि खरीदने के लिए सहायता दी जाती है। 
  • और एक साथ अधिक मात्रा में खरीदने के कारण इसकी लागत में कमी आती है। 

कृषि अवसंरचना कोष

  • इस योजना केतह कृषकों को वित्तीय सहयता दी जाती है।
  • इस योजना में किसान मात्र 3% ब्य़ाज पर 2 करोड़ रुपये तक का लोन प्राप्त कर सकते हैं। जिसकी समय सीमा 7 वर्ष होगी। 

स्रोत

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