02 Nov ई रुपया पायलट प्लान
ई रुपया पायलट प्लान
संदर्भ- हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत की पहली डिजिटल करंसी को लांच किया, वर्तमान में ई रुपया पायलट प्रोजैक्ट के द्वारा इसका प्रयोग केवल थोक लेन देन के लिए ही किया जाएगा।
डिजिटल रुपया- यह किसी देश की मुख्य मुद्रा का डिजिटल रूप है। इसे केंद्रीय बैंक द्वारा जारी व विनियमित किया जा सकता है। इसमें वित्तीय समावेशन के साथ भुगतान दक्षता बढ़ती है।
आरबीआई के अनुसार ई रुपया पयलट प्लान के लिए 9 बैंकों की पहचान की गई है।
- भारतीय स्टेट बैंक,
- बैंक ऑफ बड़ौदा,
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया,
- एचडीएफसी बैंक,
- आईसीआईसीआई बैंक,
- कोटक महिंद्रा बैंक,
- यस बैंक,
- आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और
- एचएसबीसी
डिजीटल रुपये की आवश्यकता- क्रिप्टोकरंसी के बढ़ते महत्व के कारण भारत में डिजिटल रुपये को आगे बढ़ाने के लिए डिजिटल रुपये की आवश्यकता होती है।
- ब्लॉकचेन की तकनीक के साथ डिजीटल रुपये का प्रयोग
- लेनदेन लागत को कम करने के लिए,
- रियलटाइम खाता निपटान
- विदेशों लेनदेन में तेजी लाने के लिए
- खुदरा व थोक विक्रेताओं के लिए भुगतान प्रणाली हर समय उपलब्ध हो।
- अस्थिरता के जोखिमों को कम करने के लिए,
- करेंसी नोटों की तुलना में डिजीटल रुपये की गतिशीलता अधिक होती है, अतः भारतीय मुद्रा की गतिशीलता बढ़ाने के लिए।
डिजीटल रुपया और क्रिप्टो करेंसी में अंतर
डिजीटल रुपया, केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एक कानूनी निविदा है। जो फिएट मुद्रा क समान विनिमय योग्य है। क्रिप्टोकरंसी के विपरीत यह किसी भी वस्तु या डिजीटल संपत्ति का दावा नहीं करती है। यह कागजी मुद्रा का डिजीटल रूप होगा, जिसे नकदी के साथ विनिमय किया जा सकेगा।
डिजीटल मुद्रा के विपरीत क्रिप्टोकरंसी का कोई जारीकर्ता नहीं है, इसलिए यह कोई मुद्रा नहीं है। क्रिप्टोकरंसी एक प्रकार की विकेंद्रित सम्पत्ति है जो डिजीटल सम्पत्ति का दावा करती है
डिजिटल रुपया | क्रिप्टोकरंसी |
डिजीटल रुपये को केंद्रीय बैंक जारी करता है, | क्रिप्टोकरंसी का कोई जारीकर्ता नहीं है। अतः यह निश्चित रूप से मुद्रा नहीं है। |
कागजी मुद्रा के समान कार्य। | डिजीटल संपत्ति का दावा करने योग्य। |
विनिमय योग्य। | यह विकेंद्रित संपत्ति है। |
डिजीटल रुपया और भारतीय अर्थव्यव्यवस्था
- खुदरा व थोक विक्रेताओं के लेनदेन में आसानी होने से विक्रेताओं के कार्यों में गतिशीलता आएगी।
- व्यापार में बिचौलियों की
- विदेशी लेनदेन के लिए सीमाओं पर धन हस्तानांतरण व विदेशी मुद्रा में बदलने में लगने वाले समय व में कमी आएगी।
- व्यापार में धन के प्रबंधन व संचालन को अधिक सहज बनाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
चुनौतियाँ-
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसका केवल बैंकों द्वारा ही इस्तेमाल होगा जिससे इसकी स्थिति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सीमित हो सकती है।
- चीन द्वारा डिजीटल युआन को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है युआन के अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बनने के बाद यह भारतीय अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर सकता है।
- डिजीटल रुपये का फोकस सभी को वित्तीय सेवाओं के दायरे में लाना है। यह प्रणाली वर्तमान में अधिकांश उन खुदरा सीबीसीडी पर फोकस करेगी जो वित्तीय सेवाओं से बाहर हैं।
स्रोत
https://bit.ly/3DNc2G7 (इण्डियन एक्सप्रैस)
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