उपाध्यक्ष की नियुक्ति

उपाध्यक्ष की नियुक्ति

उपाध्यक्ष की नियुक्ति

संदर्भ- हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने उपाध्यक्ष की नियुक्ति हेतु लोकसभा व 5 विधानसभाओंं को नोटिस जारी किया है। जिसमें उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश व झारखण्ड उपाध्यक्ष के चुनाव कराने में विफल रहे हैं। प्रस्तुत याचिका के अनुसार 5 विधानसभाओं में अंतिम बारउपाध्यक्ष के पद का गठन लगभग चार साल पहले गठित किया गया था।

उपाध्यक्ष पद की संवैधानिक स्थिति

  • अनुच्छेद 93 के अनुसार लोकसभा य़थाशीघ्र अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पदों का चुनाव करेगी और जब जब पद रिक्त होता है लोकसभा किसी अन्य सदस्य को अध्यक्ष या उपाध्यक्ष पद हेतु चुनेगी।
  • अनुच्छेद 178 राज्यों की प्रत्येक विधानसभा के किन्हीं दो सदस्यों को अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के लिए चयनित करेगी। 
  • अतः लोकसभा व विधानसभा में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का पद अनिवार्य है।

उपाध्यक्ष के चुनाव का समय

  • संविधान के अनुच्छेद 93 और 178 में निश्चित तिथि का उल्लेख नहीं है किंतु यह तुरंत पद का चुनाव तुरंत करन की ओर इंगित करता है।
  • व्यावहारिक तौर पर अध्यक्ष पद का चुनाव पहले सत्र व उपाध्यक्ष का चुनाव दूसरे सत्र में किया जाता है। वास्तविक व अपरिहार्य बाधाओं के अभाव में देरी नहीं होती है।
  • लोकसभा के कार्यसंचालन का कार्य लोकसभा के नियम 8 के आधार पर किया जा सकता है।  उपाध्यक्ष के चुनाव का समय नियम 8 के आधार पर अध्यक्ष द्वारा निर्धारित किया जाता है। एक बार सदन में नाम प्रस्तावित करने के बाद उपाध्यक्ष का चुनाव किया जा सकता है।

पद से त्याग

अनुच्छेद 94 के तहत अध्यक्ष या उपाध्यक्ष, सदन के सदस्य नहीं रहने पर अपना पद खाली कर देंगे। अध्यक्ष, अपने पद का त्याग उपाध्यक्ष को संबोधित लेख में हस्ताक्षरित कर किया जा सकेगा। उसी प्रकार उपाध्यक्ष अपना त्याग पत्र अध्यक्ष को ज्ञापित करेगा।

लोकसभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा। किंतु यह प्रस्तावित नहीं किया जाएगा यदि 14 दिन पहले इसकी सूचना अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को न दे दी जाए।

 लोकसभा के विघटन के समय लोकसभा के प्रथम अधिवेशन तक अध्यक्ष अपने पद से इस्तीफा नहीं देगा।

उपाध्यक्ष पद के कार्य- उपाध्यक्ष के कार्य, अध्यक्ष के कार्य के समान ही हैं।

  • सदन की कार्यवाही को संचालित करता है।
  • लोकसभा उपाध्यक्ष बजट समिति का सदस्य होता है। 
  • आवश्यकता पड़ने पर सदन के किसी सदस्य को निलंबित करने का अधिकार है।
  • लोकसभा उपाध्यक्ष सचिवालय के खर्चों का ब्यौरा वित्त मंत्रालय को भेजता है और वित्त प्राप्त करता है।
  • अध्यक्ष के अनुपस्थिति में अध्यक्ष के समस्त कार्यों को उपाध्यक्ष द्वारा संचालित किया जाता है।
  • किसी भी प्रस्ताव या संकल्प को अस्वीकार करने का अधिकार।
  • पद से हटाने के प्रस्ताव के समय उसको सदन में बोलने का अधिकार है।
  • अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष द्वारा लिए गए किसी फैसले के खिलाफ अध्यक्ष से कोई अपील नहीं की जा सकती है।

उपाध्यक्ष के चुनाव में देरी पर न्यायालय

  • सितंबर 2021 में उपाध्यक्ष के चुनाव में देरी के कारण अनुच्छेद 93 का उल्लंघन के मामले में याचिका दायर की गई थी किंतु न्यायालय ने विधायिका में उपाध्यक्ष चुनने के लिए कोई बाध्यकारी निर्णय़ नहीं दिया है। 
  • अदालतें आमतौर पर संसद के प्रक्रियात्मक संचालन में हस्तक्षेप नहीं करती हैं। अनुच्छेद 122 (1) कहता है कि संसद में किसी भी कार्यवाही की वैधता प्रक्रिया की किसी भी कथित अनियमितता के आधार पर प्रश्न में नहीं बुलाई जाएगी।
  • न्यायालयों के पास कम से कम इस बात का अधिकार है कि वे सदन से अध्यक्षों या उपाध्यक्षों के चुनाव में देरी के लिए प्रश्न कर सकें, क्योंकि संविधान जल्द से जल्द चुनाव कराने के लिए निर्देशित है।

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