एनसीईआरटी द्वारा इतिहास की पाठ्य सामग्री में परिवर्तन

 एनसीईआरटी द्वारा इतिहास की पाठ्य सामग्री में परिवर्तन

 एनसीईआरटी द्वारा इतिहास की पाठ्य सामग्री में परिवर्तन

संदर्भ- हाल ही में एनसीईआरटी द्वारा इतिहास की पाठ्य सामग्री में कई परिवर्तन किया है। यह परिवर्तन मध्य कालीन मुस्लिम शासकों, गांधी जी की हत्या के बाद आरएसएस का सूक्ष्म प्रतिबंध, 2002 के गुजराती दंगे से संबंधित पाठ्यक्रमों को हटा दिया गया है।

मुस्लिम शासक संबंधित अध्याय

  • पिछले वर्ष किए गए परिवर्तनों में, “किंग्स एंड क्रॉनिकल्स; मुगल कोर्ट्स (सी। सोलह-सत्रहवीं शताब्दी)” शीर्षक वाले अध्याय को कक्षा 12 की पाठ्यपुस्तक “भारतीय इतिहास में विषय-भाग II” से हटा दिया गया था।
  • कक्षा 6 व 7 की पुस्तकों में से मुस्लिम शासकों (माामुलक, खिलजी, तुगलक, लोदी )से संबंधित इतिहास के घटनाक्रमों को हटा दिया गया है।
  • मुगल शासक व उनकी उपलब्धियों से संबंधित दीर्घ पाठ्यक्रमों को भी हटा दिया गया है।

विश्व इतिहास 

  • कक्षा 12 की किताब “समकालीन विश्व राजनीति”से “शीत युद्ध काल” और “विश्व राजनीति में अमेरिकी आधिपत्य” अध्याय को हटा दिया गया था।
  • कक्षा 11 की किताब “थीम्स इन वर्ल्ड हिस्ट्री” में, “द सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स”, “द कंफर्टेशन ऑफ कल्चर्स” और “द इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन” पर अध्याय हटा दिए गए थे।

गांधी की हत्या और आरएसएस 

गांधी जी से संबंधित आलेख में कहा गया है कि- वह (गांधी) उन लोगों द्वारा विशेष रूप से नापसंद थे जो चाहते थे कि हिंदू बदला लें या जो चाहते थे कि भारत हिंदुओं के लिए एक देश बने, ठीक वैसे ही जैसे पाकिस्तान मुसलमानों के लिए था…हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए उनका दृढ़ प्रयास हिंदू चरमपंथियों को इतना भड़काया कि उन्होंने गांधीजी की हत्या के कई प्रयास किए… गांधीजी की मृत्यु का देश में सांप्रदायिक स्थिति पर लगभग जादुई प्रभाव पड़ा… भारत सरकार ने सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले संगठनों पर नकेल कस दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था।

इसके साथ ही गांधी की हत्या करने वाले नाथुराम गोड्से के लिए ब्राह्मण शब्द के प्रयोग को हटा दिया गया है।

गुजराती दंगे 2002

  • आजादी के बाद भारतीय में राजनीति से संबंधित कक्षा 12 की पाठ्य पुस्तक में से गुजराती दंगों के विवरण को हटा दिया गया है। इसमें लिखा गया था कि-  “गुजरात जैसे उदाहरण हमें राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धार्मिक भावनाओं का उपयोग करने में शामिल खतरों के प्रति सचेत करते हैं। यह लोकतांत्रिक राजनीति के लिए खतरा है।
  • अटल बिहारी वाजपेय जी का राजधर्म से संबंधित आलेख “मुख्यमंत्री (गुजरात के) के लिए मेरा एक संदेश है कि उन्हें ‘राज धर्म’ का पालन करना चाहिए। एक शासक को अपनी प्रजा के बीच जाति, पंथ और धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए। 

भारत में पाठ्य सामग्री का निर्धारण

भारत में शिक्षा, समवर्ती सूची का विषय है जो केंद्र व राज्य दोनों विषयों के अंतर्गत आता है, पाठ्यक्रम के निर्धारण के लिए निम्नलिखित संस्थान जिम्मेदार हो सकते है-

  • राज्य शिक्षा बोर्ड
  • केंद्रीय शिक्षा बोर्ड
  • सीबीएसई
  • सीआईएससीई

इसमें कई बोर्ड, एनसीईआरटीई की सलाह पर पाठ्यक्रम का निर्धारण करते हैं। 

राष्ट्रीय पाठ्य चर्चा की रूपरेखा NCF

  • वर्तमान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत राष्ट्रीय पाठ्य चर्चा की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
  • राष्ट्रीय संचालन समिति – 2021 में दिशानिर्देश तैयार करने के लिए समिति का गठन किया गया। इसमें 12 सदस्य शामिल हैं। समिति के अध्यक्ष इसरो के प्रमुख के कस्तुरी रंगन हैं। समिति के सदस्यों में सभी समुदायों के शिक्षाशास्त्रियों को शामिल किया गया है।
  • बॉटमअप प्रक्रिया- इस रूपरेखा के निर्माण में सभी जिला स्तरीय परामर्शों के प्राप्त किया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय व एनसीईआरटी के अध्यक्षों के निर्देशन में लगभग 25 क्षेत्रों के पाठ्य सामग्री को राज्यो व जिला स्तर पर निर्धारित किया जाएगा।

पाठ्य सामग्री परिवर्तन से संबंधित विवाद

  • गुजरात दंगों के प्रकीर्णन को पाठ्य सामग्री में रखने से राजनीतिक मामलों में धर्म का प्रयोग करने से संबंधित संदेश जा सकता है, जो स्कूली छात्रों की मनोभावना में गहरा प्रभाव डाल सकता है।
  • अटल बिहारी बाजपेयी जी द्वारा तत्कालीम मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को राजधर्म से संबंधित सलाह जिसमें धर्म या जाति के आधार पर कोई भेदभाव न किए जाने की बात कही गई थी। उस समय नरेंद्र मोदी के राज में भेदभाव होने की ओर संकेत करता है जो उनकी वर्तमान छवि को धूमिल कर सकता है। वरन राजधर्म का पालन करने से संबंधित सलाह का पाठ्य सामग्री में होना, किसी भी प्रकार व्यर्थ नहीं लगता है।
  • गांधी जी की मृत्यु के बाद उत्पन्न हुई साम्प्रदायिक स्थिति से संबंधित उद्धरण को हटाय़ा गय़ा है जिसमें साम्प्रदायिक घटकों में आरएसएस को भी शामिल किया गया है। इस वाक्यांश से आरएसएस की छवि साम्प्रदायिक व हिंसक प्रतीत होती है जिसे साफ करने का प्रयास किया जा रहा है।
  • इसके साथ मुगल व मुस्लिम शासकों से संबंधित पाठ्यचर्चा को हटाया गया है, सम्पूर्ण अध्यायों को हटाने के कारण साम्प्रदायिक भावना को बल मिलेगा, जो समाज को हिंदू समर्थक व हिंदू विरोधी दो गुटों में बांट सकता है।

इतिहास पाठ्यक्रम से संबंधित पक्ष

  • भारतीय़ इतिहास को वर्षों से एक ही रूप मं पेश किया जा रहा है, मध्यकालीन इतिहास में केलवल मुस्लिम शासकों के आगमन युद्धों को अधिक प्रस्तुत किया गया है। जिसमें भारत हर क्षेत्र में हारा हुआ दिखाई देता है। इस काल के अन्य पहलुओं को पढ़ाया जाना भी आवश्य़क है जिससे देश के प्रति कोई हीन भावना न रहे।
  • विद्यार्थियों को हिंसक गतिविधियों के अतिरिक्त इतिहास के सुधारात्मक पक्ष को जानना अधिक आवश्यक है जिससे उनमें समाधान संबंधी कौशल का विकास हो।
  • इतिहास एक ऐसा विषय है जिसे हटाया या छुपाया नहीं जा सकता। जैसे औरंगजैब ने संगीत से संबंधित प्रत्येक कार्य को अपने शासन से हटाने के लाख प्रयास किए किंतु मुगल काल की सर्वाधिक संगीत संबंधी पुस्तकें औरंगजेब के काल से ही प्राप्त होती है।

स्रोत

No Comments

Post A Comment