17 Dec एसिड अटैक
एसिड अटैक
स्रोत- हाल ही में दिल्ली के द्वारका में एक किशोरी पर एसिड अटैक हुआ है, कहा जा रहा है कि यह एसिड, फ्लिपकार्ट इण्टरनेट प्राइवेट लिमिटेड, फैशनियर टैक्नेलॉजी प्राइवेट लिमिटेड (मीशो डॉट कॉम) और अमेजन जैसी ऑनलाइन वेबसाइट से खरीदी गई है। आयोग ने फ्लिपकार्ड से एसिड बेचने वालों का ब्यौरा मांगा है। एसिड प्रतिबंधित होने के बावजूद आसानी से बिक्री होने के कारण यह मुद्दा जोर पकड़ रहा है।
सीसीपीए ने फ्लिपकार्ट व मीशो के तेजाब की बिक्री के घोर उल्लंघन पर नोटिस जारी किया है।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए)-
- सीसीपीए, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के प्रावधानों के आधार पर एक नियामक संस्था है।
- यह उपभोक्ता मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है।
सीसीपीए के उद्देश्य-
- यह उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करता है, उन्हें बढ़ावा देता है।
- उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन की जाँच करना, शिकायतों का निवारण करना।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा (9) के तहत असुरक्षित वस्तुओं व सेवाओं के विपणन पर रोक लगाना जो मानव जीवन व संपत्ति के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2020 की धारा 4(3) के तहत कोई भी ईकॉमर्स कंपनी अनुचित व्यापार को नहीं अपनाएगी, चाहे वह अपने प्लेटफॉर्म में व्यापार के दौरान हो या न हो।
- भ्रामक विज्ञापनों को बंद करने का आदेश देना, व ऐसे विज्ञापनों के निर्माता, निर्देशकों पर दण्डित करना।
2013 के आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम ने भारतीय दण्ड संहिता 1860 में एसिड या अम्ल की परिभाषा को जोड़ा है।
अम्ल- धारा 326 (A) के अनुसार अम्ल में कोई ऐसा पदार्थ सम्मिलित है जो अम्लीय या संक्षारक स्वरूप या ज्वलनशील प्रकृति का है, जो ऐसी शारीरिक क्षति करने योग्य है जिससे क्षतचिह्न बन जाते हैं, विद्रुपता या अस्थायी या स्थायी निःशक्तता आ जाती है।
एसिड अटैक पर कानून– 2013 तक एसिड अटैक को अलग हमलें या अपराध की तरह नहीं माना जाता है। लक्ष्मी बनाम भारत संघ में सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद एसिड अटैक को एक विशिष्ट अपराध बना दिया तथा पीड़ितों के लिए मुआवजा योजना तैयार की।
सरकारी सहायता
- तेजाब हमले से पीड़ित व्यक्ति को घटना की जानकारी होने के 15 दिन के भीतर इलाज हेतु 1लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा।
- उक्त भुगतान होने के 2 माह के भीतर पीड़ित को 2 लाख रुपये का भुगतान किय जाएगा।
IPC की धारा 326(A)
- अटैक करने वाले को 10 वर्ष के न्यूनतम कारावास या आजीवन कारावास के साथ जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- पुलिस अधिकारियों द्वारा प्राथमिकी दर्ज न करने पर दो साल की सजा का प्रावधान किया गया है
- चिकित्सकों द्वारा निःशुल्क इलाज से इंकार करने पर धारा 166 (B) के तहत एक साल की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है।
- चिकित्सा का सम्पूर्ण खर्च राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष द्वारा वहन करने का प्रावधान है।
भारत में एसिड अटैक
- भारत में एसिड अटैक के हमले 2019 में 150, 2020 मे 105 और 2021 में 102 मामले दर्ज किए गए हैं।
- पश्चिम बंगाल व उत्तर प्रदेश में लगातार तेजाब फेंकने के मामले दर्ज किए गए हैं।
- 2019 में तेजाब हमलों की चार्जशीट दर 83% व ,सजा की दर 54% थी। 2020 में चार्जशीट दर 86% व सजा की दर 72% और 2021 में यह आँकड़ा क्रमशः 89% व 20% था।
एसिड बिक्री के नियमन पर कानून
- 2013 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसिड जैसे संक्षारक पदार्थों की बिक्री पर रोक लगाई गई। इस आदेश के आधार MHA ने राज्य सरकारों के लिए एक सलाह जारी की जिसमें एसिड को विनियमित करने के तरीकों पर जोर दिया गया। और जहर अधिनियम 2013 व मॉडल जहर कब्जा और बिक्री नियम 2013 जारी किया गया। इस आदेश में राज्य सरकारों को एसिड को विनियमित करने के लिए स्वयं नियम बनाने की स्वतंत्रता दी गई।
- गृह मंत्रालय के नियमों के अनुसार एसिड की बॉटल की ओवर द काउंटर बिक्री के लिए लॉगबुक रखना आवश्यक था जिसमें खरीदनेवाले की सारी जानकारी नोट की जानी थी।
- एक वैध कारण होने पर तथा फोटो पहचान पत्र दिखाने पर ही एसिड खरीदा जा सकेगा।
एसिड अटैक के दुष्परिणाम
- शारीरिक व मानसिक अक्षमता
- पीड़ित के आत्मबल व आत्म विश्वास में कमी
- सामाजिक बहिष्कार
स्रोत
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1642512
https://ncwapps.nic.in/acts/The_Criminal_Law_Amendment_Act_2013_HINDI.pdf
No Comments