कन्नड़ पाठ्यवस्तु के अनुसार “बुलबुल के पंखों में बैठकर वीर सावरकर पूरा भारत घूमते थे।”

कन्नड़ पाठ्यवस्तु के अनुसार “बुलबुल के पंखों में बैठकर वीर सावरकर पूरा भारत घूमते थे।”

संदर्भ- कर्नाटक राज्य सरकार ने  कक्षा 8 के पाठ्यवस्तु में बदलाव कर वीर सावरकर से संबंधित नया अध्याय जोड़ा है। अध्याय का एक अंश विवाद का विषय बना हुआ है कि “बुलबुल के पंखों में बैठकर वीर सावरकर पूरा भारत घूमते थे।”

विनायक दामोदर सावरकर-

  • भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, इतिहासकार, राष्ट्रवादी नेता थे।

जन्म- 28 मई1883

मृत्यु- 26 फरवरी 1966

  • भारत में शिक्षा प्राप्त करने के बाद लंदन में प्रवास किया।
  • 1903 में भाई गणेश सावरकर के साथ मिलकर मित्र मेला की स्थापना की।
  • 1904 में अभिनव भारत से जुड़े, पूणे में विदेशी वस्त्रों की होली जलाकर स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा दिया। 
  • 10 मई 1907 को प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम  की स्वर्ण जयंती मनाई।
  • 1908 में The Indian war of Independent 1857 पुस्तक लिखी। इसके प्रकाशन में आई कई समस्याओं के बाद अंत में हॉलैण्ड से प्रकाशित हुई।
  • सावरकर ने अपने लेख हिंदूत्व:हिंदू कौन है में हिंदू को धार्मिक पहचान से परे एक भारतीय देशभक्त के रूप में वर्णित किया।
  • 1909 में क्रांतिकारी आंदोलन के समय मदनलाल ढिंगरा द्वारा कर्जन वायली को गोली मार दी। इस पर उन्होंने लेख में मदन लाल ढिंगरा को देशभक्त कहा और मई 1910 में उन्हें लंदन पहुँचने पर गिरफ्तार कर लिया। 
  • उन्हें दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
  • नासिक षड्यंत्र केस के तहत सैलुलर जेल में काला पानी की सजा मिली थी। 
  • वे प्रथम ऐसे साहित्यकार थे जिन्होंने दीवारों पर कीलों, कांटो व नाखूनों से विपुल साहित्य व आँखों देखा इतिहास सृजित किया था।

सैलुलर जेल(cellular jail)-

  • अण्डमान निकोबार में ब्रिटिश कालीन जेल थी जिसे कालापानी भी कहा जाता था।
  • 200 राजनीतिक बंदियों का पहला जत्था 10 मार्च 1858 को यहाँ पहुँचा था। 
  • इसमें अपराधियों और राजनीतिक कैदियों को स्वतंत्रता आंदोलन से निर्वासित करने के लिए रखा जाता था। क्योंकि 
  • संरचना के अनुसार इसमें 698 सैल हैं जो 1906 में बनकर पूरी हुई थी, जिस कारण इसे सैलुलर जेल कहा जाता है। प्रत्येक सैल(4.5*2.7 वर्गमीटर) दूसरे से इस प्रकार विलग है कि प्रत्येक सैल का प्रवेश द्वार दूसरी सैल के पिछली दीवार पर खुलता है। ताकि कैदी आपस में संवाद स्थापित न कर पाएं। 
  •  यातनाएँ- 
  • विनायक दामोदर सावरकर ने अपनी पुस्तक मेरा आजीवन कारावासकाला पानी में जेल में राजनीतिक बंदियों के सश्रम यातनाओं व दुर्दशा का वर्णन किया है।
  • The Indian journal of political science में प्रकाशित लेख  Cellular Jail : A century of Sacrifices के अनुसार सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता की सुबह देखने की अंतिम इच्छा के साथ यहाँ प्राण त्याग दिए।
  • जेल में सीमित समय में असीमित कार्य दिया जाता था जिसे पूरा करना लगभग असम्भव था, कार्य पूरा न होने पर अमानवीय यातनाओं के साथ अस्वच्छ भोजन दिया जाता था।
  • जेल में कोई शौचालय नहीं था।

वर्तमान में सैलुलर जेल- 

  • वर्तमान में यह राष्ट्रीय स्मारक है।
  • हाल ही में असम राज्य सरकार ने 1000 विद्यार्थियों को सैलुलर जेल का अध्ययन करने के लिए अण्डमान निकोबार भेजने की घोषणा की है।

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