कार्बन बाजार

कार्बन बाजार

कार्बन बाजार

संदर्भ- हाल ही में संसद में ऊर्जा संरक्षण विधेयक 2022 पारित किया गया, इसमें विपक्ष की मांगों को विपक्ष में जांच के लिए भेजने व कार्बनबाजारों पर सदस्यों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को खारिज कर दिया।

भारत में कार्बन बाजार स्थापित करने और कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना को निर्दिष्ट करने के लिए सरकार ने ऊर्जा संरक्षण बिल 2001 मं संशोधन किया है।

कार्बन बाजार-

  • कार्बन बाजार, कार्बन उत्सर्जन पर कीमत लगाने की एक उपकरण है। 
  • यह एक व्यापार प्रणाली के समान है जहां कार्बन क्रेडिट या भत्ते खरीदे जा सकते है। 
  • कार्बन क्रेडिट एक प्रकार का व्यापार योग्य परमिट है। जो संयुक्त राष्ट्र के मानकों के अनुसार एक टन कार्बन डाई ऑक्साइड को वायुमण्डल से हटाने, कम करने या अलग करने के बराबर होता है।
  •  यह कार्बन क्रेडिट या भत्ते देश में की जाने वाले कार्बन में कमी के लक्ष्यों के अनुसर निर्धारित किए जाते हैं।

कार्बन बाजार के प्रकार- मुख्य रूप से कार्बन बाजार दो प्रकार के होते हैं-

स्वैच्छिक बाजार- 

  • वे बाजार जिन्हें उत्सर्जक निगम या व्यक्ति 1 टन co2 या समतुल्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए कार्बन क्रेडिट खरीदते हैं। 
  • इस तरह के कार्बन क्रेडिट उन गतिविधियों द्वारा बनाए जा सकते हैंजिनके द्वारा कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है जैसे वनीकरण।  
  • स्वैच्छिक बाजारों में, लोकप्रिय मानकों के अनुसार निजी फर्मों द्वारा क्रेडिट सत्यापित किए जाते हैं। ऐसे व्यापारी और ऑनलाइन रजिस्ट्रियां भी हैं जहां जलवायु परियोजनाएं सूचीबद्ध हैं और प्रमाणित क्रेडिट खरीदे जा कते हैं। 

अनुपालन बाजार- 

  • राष्ट्रीय, क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नीतियों द्वारा आधिकारिक तौर पर विनियमित व स्थापित होते हैं।
  • वर्तमान में यह कैप एंड ट्रेड सिद्धांत यूरोपीय संघ में सबसे अधिक प्रचलित है।
  • यूरोपीय संघ ने 2005 में उत्सर्जन व्यापार प्रणाली के अंतर्गत बिजली, तेल, विनिर्माण कृषि, अपशिष्ट प्रबंधन जैसे विभिन्न उत्सर्जन क्षेत्रों से कार्बन के उत्सर्जन की एक सीमा तय की। यह सीमा देशों के जलवायु लक्ष्यों के आधार पर निर्धारित की जाती है।

कार्बन उत्सर्जन परमिट व भत्ता

  • कार्बन उत्सर्जन की एक सीमित सीमा तक परमिट प्रदान करती है।
  • यदि कम्पनियाँ सीमित मात्रा से अधिक कार्बन का उत्सर्जन करती है, तो उन्हें या तो आधिकारिक नीलामी के माध्यम से या कम उत्सर्जन करने वाली कम्पनियों से अतिरिक्त परमिट खरीदना पड़ता है। यह कैप एंड ट्रेड में व्यापार बनाता है।
  •  जब खरीदार और विक्रेता उत्सर्जन भत्ते पर व्यापार करते हैं। कार्बन का बाजार मूल्य, तत्कालीन बाजार की शक्ति के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
  • कम्पनियाँ बाद में प्रयोग करने के लिए परमिट बचा भी सकती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय कार्बन बाजार

  • पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 में उललेखित अंतर्राष्ट्रीय कार्बन बाजार का प्रारंभ अब तक नहीं हुआ है।
  • प्रस्तावित बाजार के तहत, देश अन्य देशों में ग्रीनहाउस गैस कम करने वाली परियोजनाओं द्वारा उत्पन्न क्रेडिट खरीदकर अपने उत्सर्जन को ऑफसेट करने में सक्षम होंगे।
  •  विकासशील देशों, विशेष रूप से भारत, चीन और ब्राजील को क्योटो प्रोटोकॉल, 1997 के स्वच्छ विकास तंत्र (सीडीएम) के तहत एक समान कार्बन बाजार से काफी लाभ हुआ। क्योंकि इस समय केवल विकसित देशों को ही कार्बन उत्सर्जन की दर मे कटौती करनी थी।
  • 2015 के पेरिस समझौते के साथ, वैश्विक परिदृश्य बदल गया क्योंकि विकासशील देशों को भी उत्सर्जन में कमी का लक्ष्य निर्धारित करना पड़ा।

कार्बन बाजार के लिए चुनौतियाँ

  • जलवायु परिवर्तन प्रोटोकॉल से अलग हुए देशों को अब कार्बन उत्सर्जन परमिट की आवश्यकता नहीं है जिससे कार्बन उत्सर्जन में बढ़ोतरी हो सकती है ।
  • कम्पनियाँ क्रेडिट खरीद कर अपने समग्र उत्सर्जन को कम करने या स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में निवेश करने के बजाय कार्बन फुटप्रिंट्स को ऑफसेट कर सकती हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष बताता है कि व्यापारिक योजनाओं के तहत उच्च उत्सर्जन पैदा करने वाले क्षेत्रों सहित उनके उत्सर्जन को भत्ते खरीदकर ऑफसेट करने से नेट पर उत्सर्जन में वृद्धि हो सकती है।
  • पहले से चले आ रहे प्रमाणपत्र व कार्बन क्रेडिट प्रमाण पत्रों के ओवरलैपिंग की भी संभावनाएं चुनौतिपूर्ण हैं।

ऊर्जा संरक्षण संशोधन विधेयक 2022 और कार्बन बाजार

  • बिल केंद्र को कार्बनक्रेडिट ट्रेडिंग योजना निर्दिष्ट करने का अधिकार देता है।
  • केंद्र सरकार या कोई अधिकृत एजेंसी, किसी कंपनी या व्यक्ति को कार्बन क्रेडिट प्रमाण पत्र जारी करेगी, जो योजना के साथ पंजीकृत हैं। यह प्रमाणपत्र व्यापार करने योग्य होंगे। बिल में योजना के कार्बन बाजारों के व्यापार विनियमन की कोई व्यवस्था नहीं है।
  • विधेयक यह निर्दिष्ट नहीं करता है कि क्या पहले से मौजूद योजनाओं के तहत प्रमाणपत्र भी कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्रों के साथ विनिमेय होंगे और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए व्यापार योग्य होंगे।

स्रोत

https://www.thehindu.com/news/national/explained-what-are-carbon-markets-and-how-do-they-operate/article66260084.ece

Yojna IAS daily current affairs hindi med 19th december

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