कार्बन सीमा कर

कार्बन सीमा कर

कार्बन सीमा कर

संदर्भ- मिस्र के शर्म अल शेख में चल रहे COP 27 सम्मेलन में भारत सहित कई देशों ने कार्बन सीमा कर नीति का विरोध किया उनके अनुसार इसका परिणाम बाजार विरुपण हो सकता है।

BASIC समूह के अनुसार कार्बन सीमा कर, एकतरफा उपाय व भेदभावपूर्ण व्यवहार है, जिससे बाजार में विकृति के साथ पार्टियों के बीच विश्वास में भी कमी हो सकती है।

कार्बन सीमा समायोजन कर- उत्पाद के उत्पादन के समय कार्बन उत्सर्जन की मात्रा के आधार पर आयात शुल्क ही कार्बन सीमा समायोजन कर है। यह कार्बन उत्सर्जन के स्थान पर शुल्क भार पड़ने पर यह कार्बन उत्सर्जन को हतोत्साहित करेगा।

यूरोपीय संघ और कार्बन सीमा कर-

  • कार्बन रिसाव के जोखिम के लिए यह कार्यवाही एकतरफा है।
  • यूरोपीय संघ कम महत्वाकांक्षी जलवायु नीतियों वाले देशों में उत्पादन के स्थानांतरण से संबंधित होने का दावा करता है। जो यूरोपीय संघ व वैश्विक जलवायु को कम करता है। जो यूरोपीय संघ व वैश्विक जलवायु के उद्देश्यों को कम करता है।
  • यूरोपीय संग के लिए सीबीएएम न तो कोई कर होगा और न कोई शुल्क, यह केवल एक उपाय होगा जो कार्बन उत्सर्जन को हतोत्साहित करेगा।
  • इस कर के प्रस्ताव के माध्यम से यूरोपीय संघ निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढावा देने का प्रयास करता है।

कार्बन लीकेज टैक्स की आवश्यकता –

  • कार्बन कर या टैक्स प्रदूषण पर लगाया जाने वाला कर है, 
  • कुछ विकसित राष्ट्र, उत्सर्जन में कटौती के प्रयासों में, अपने ही देशों में कार्बन-गहन व्यवसायों पर उच्च लागत लगाते हैं। 
  • कार्बन उत्सर्जन वाले व्यवसाय को उदार जलवायु नियमों वाले देश में स्थानांतरित करके कम किया जा सकता है, विश्व बैंक के अनुसार यह कार्बन उत्सर्जन के बोझ को उन लोगों पर वापस स्थानांतरित करने में मदद करेगा जो इसके लिए जिम्मेदार थे। इस प्रकार के अभ्यास को कार्बन रिसाव कहा जाता है।
  • कार्बन उत्सर्जन पर कर लगाकर जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को हतोत्साहित कर ऊर्जा की आपूर्ति के लिए अक्षय ऊर्जा में बढ़ोतरी संभव हो पाएगी।

पर्यावरणीय उद्देश्य-

  • एक ऐसी कीमत तय करना जो इसके उत्सर्जन की लागत को बताती है।
  • कार्बन उत्सर्जन का भुगतान जनता को करना पड़ रहा है जैसे फसल का नुकसान,  जलवायु परिवर्तन से बड़े वैश्विक तापमान के कारण संक्रमित बिमारियों का खतरा, सम्पत्ति का नुकसान, समुद्र का स्तर बढ़ जाना आदि के नुकसान की भरपाई के लिए उत्सर्जनकर्ताओं पर एक मूल्य निर्धारित करना।

यूरोप का कार्बन सीमा समायोजन तंत्र

  • विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों और यूरोपीय संघ के अन्य अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुपालन में डिजाइन किया गया।
  • यूरोपीय संघ आयातक उस कार्बन मूल्य के अनुरूप कार्बन प्रमाण पत्र खरीदेंगे, 
  • यूरोपीय संघ के कार्बन क्रेडिट बाजार में नीलामी की कीमतों के अनुसार प्रमाणपत्रों की कीमत तय की जाएगी।
  • आवश्यक  प्रमाणपत्रों की मात्रा, वार्षिक रूप से उत्पादन की कुल मात्रा और ईयू में आयातित उन सामानों के एम्बेडेड उत्सर्जन द्वारा परिभाषित की जाएगी।
  • सीबीएएम शुरू में सीमेंट, लोहा, इस्पात, एल्यूमीनियम, उर्वरक और बिजली के आयात पर लागू होगा। 

भारत की स्थिति

  • विकसित देशों द्वारा अधिकतर कोयले को लक्षित किया जा रहा है जबकि भारत कोयले पर बहुत अधिक निर्भर है।
  • कोयला उत्पादन में भारत विश्व में दूसरा स्थान रखता है, भारत को विकासशील देशों व विकसित देशों के साथ मजबूत प्रतिस्पर्धी बनाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • भारत और अन्य विकासशील देश अपनी एक समय सीमा तक कार्बन उत्सर्जन के लिए प्रतिबद्ध रह सकते हैं, त्वरित रूप से इस प्रकार की योजना देशों पर अतिरिक्त बोझ दाल सकती है।

यूरोपीय संघ के व्यापारिक भागीदार देश निम्न प्रतिक्रिया दे सकते हैं-

  • यूरोपीय संघ से आने वाले आयातों का प्रतिकार,
  • देश स्वयं के सीबीएएम को बनी सकते हैं।
  • यूरोपीय संघ के खिलाफ डब्ल्यूटीओ विवाद हो सकता है।
  • ईयू के साथ कर में छूट के लिए बतचीत का मार्ग अपना सकते हैं।

स्रोत

https://indianexpress.com/article/explained/explained-climate/carbon-border-tax-which-india-opposed-cop27-8274506/

https://www.weforum.org/agenda/2021/10/what-is-a-carbon-border-tax-what-does-it-mean-for-trade/

Yojna IAS daily current affairs Hindi med 19th November

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