कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का युग : बनाम योग्यता को पुनः व्यवस्थित करना

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का युग : बनाम योग्यता को पुनः व्यवस्थित करना

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

सामान्य अध्ययन –  विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी , कृत्रिम बुद्धिमत्ता, योग्यतातंत्र, देश की अर्थव्यवस्था में सुधार, नीति आयोग,  सतत विकास लक्ष्य ।

खबरों में क्यों ? 

  • हाल के दिनों में पूरे वैश्विक स्तर के नीति निर्माताओं के बीच योग्यतातंत्र की अवधारणा पर , जिसमें व्यक्तियों को उनकी सामाजिक स्थिति या उनकी पारिवारिक, जातीय , लैंगिक, नस्लीय या सामाजिक पृष्ठभूमि के बजाय उनकी क्षमताओं, उपलब्धियों और कड़ी मेहनत के आधार पर पुरस्कृत और आगे बढ़ाया जाता है, पर बहुत बड़ी और विस्तृत बहस हुई है। योग्यतातंत्र के समर्थक और आलोचक इसके गुणों और कमियों को उजागर करते हुए, समाज पर इसके प्रभावों के बारे में  तर्क पेश करते रहे हैं। ब्रिटिश समाजशास्त्री माइकल यंग, माइकल सैंडल और एड्रियन वूल्ड्रिज जैसे विचारकों की आलोचनाओं और विश्लेषणों से प्रभावित होकर पूरी दुनिया में योग्यतातंत्र के विकास में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखे जा रहे हैं।
  • ब्रिटिश समाजशास्त्री माइकल यंग ने अपनी व्यंग्यात्मक पुस्तक ‘द राइज़ ऑफ़ द मेरिटोक्रेसी’  (1958) में एक डिस्टोपियन मेरिटोक्रेटिक दुनिया की भविष्यवाणी की थी। 
  • उन्होंने 2034, तक एक ऐसे समाज के रूप में जहां सामाजिक वर्ग और गतिशीलता पूरी तरह से बुद्धि और प्रयास द्वारा निर्धारित की जाती थी, जैसा कि मानकीकृत परीक्षण और शैक्षिक उपलब्धि के माध्यम से मापा जाता था की भविष्य की कल्पना की थी। यह योग्यता – आधारित प्रणाली के प्रति तत्कालीन उभरती प्रवृत्ति की आलोचना थी, जिससे उन्हें डर था कि इससे सामाजिक स्तरीकरण का एक नया रूप सामने आएगा।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी एक विशेष शाखा है जो मशीनों को बुद्धिमत्ता के साथ काम करने की क्षमता प्रदान करने का अध्ययन करती है। 
  • इस शाखा के अंतर्गत, मशीनों को स्वयं से सीखने और समस्याएं हल करने की क्षमता विकसित करने के लिए प्रयोग की जाने वाल विभिन्न तकनीकों का अध्ययन होता है। 
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का मुख्य उद्देश्य मशीनों को मानव की तरह ही बुद्धिमत्ता के साथ कार्रवाई करने की क्षमता प्रदान करना है।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी में अनेक उप शाखाएं शामिल हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में अपनाई जाती हैं। 
  • मशीन लर्निंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें मशीनें स्वयं ही उसमे फीड की गई डेटा से ही सीखती हैं और निर्णय लेती हैं। 
  • डीप लर्निंग मशीनों को बहुतंत्रीय विधि की अपेक्षा खुद से सीधे सीखने की क्षमता प्रदान करता है। रोबोटिक्स प्रौद्योगिकी में, मशीनों को भौतिक कार्रवाई करने की क्षमता दी जाती है। परिधेय प्रौद्योगिकी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स मानव शरीर में लगे उपकरणों और उन्हें इंटरनेट से जोड़ने की तकनीकों का अध्ययन करती हैं।
  • इन तकनीकों का संयोजन करके, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी कई क्षेत्रों में उपयोग हो रही है। ये तकनीकें मानवीय जीवन को सरल और सुरक्षित बनाने के लिए उपयोग हो रही हैं। उदाहरण के लिए –  स्वच्छता के लिए रोबोट, ऑटोमेटेड वाहन, और स्वास्थ्य सेवाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग हो रहा है।
  • इस प्रकार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी एक नई युग की शुरुआत कर रही है, जिसमें मशीनें मानवों के साथ मिलकर काम करके मानव जीवन को और भी सुविधाजनक बना रही हैं।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का परिचय : 

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) एक ऐसा क्षेत्र है जो तकनीकी और विज्ञानात्मक उन्नति के क्षेत्रों में अद्वितीय बदलाव ला रहा है। इसमें मशीनों को बुद्धिमत्ता का अहसास कराया जाता है, जिससे वे निर्धारित कार्यों को स्वतंत्रता से निष्पादित कर सकती हैं। यह नई तकनीक के साथ साथ नए चुनौती भरे संदर्भों को भी उत्पन्न कर रहा है, जिनमें योग्यता की नई परिभाषाएँ और मानकों की आवश्यकता है।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के लिए राष्ट्रीय रणनीति के उद्देश्यों को सुनिश्चित करने वाली नीति आयोग द्वारा जारी की गई इस कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित राष्ट्रीय रणनीति का मुख्य उद्देश्य है कि सभी लोगों तक एआई की प्रभावी पहुंच सुनिश्चित की जाए और उन्हें तकनीकी सामर्थ्य विकसित करने के लिए समर्थ बनाया जाए।

नीति आयोग के द्वारा घोषित की गई कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित राष्ट्रीय रणनीति का उद्देश्य : 

  • इस राष्ट्रीय रणनीति का उद्देश्य है कि भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में कुशल विशेषज्ञता की कमी को दूर किया जाए और इसे बढ़ावा दिया जाए। नीति आयोग यह भी मानती है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में असंगत चुनौतियों का समाधान किया जाना चाहिए, ताकि मानव की क्षमताओं को बढ़ावा मिले और उसे सशक्त बनाया जा सके।
  • नीति आयोग की इस राष्ट्रीय रणनीति का मुख्य लक्ष्य है कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में विभिन्न पहलों को प्रभावी रूप से कार्यान्वित करना, उनके प्रभावी क्रियान्वयन से उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए समाधान विकसित करना, अनुसंधान को बढ़ावा देना और इसके माध्यम से आर्थिक विकास की गतिविधियों को गति देना है।
  • नीति आयोग के द्वारा घोषित की गई इस राष्ट्रीय रणनीति का उद्देश्य है कि एआई के माध्यम से न केवल राष्ट्रीय स्तर की चुनौतियों से निपटा जाए, बल्कि विश्व स्तर की चुनौतियों से भी निपटा जाए।
  • इस राष्ट्रीय रणनीति के तहत, भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित उद्देश्यों में यह शामिल है कि इस क्षेत्र में आपसी सहयोग और साझेदारी के माध्यम से तकनीकी लाभ को सभी तक पहुंचाया जाए, ताकि सभी को समृद्धि का सर्वांगीण लाभ हो सके।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए नीति आयोग द्वारा घोषित गई राष्ट्रीय रणनीति के उद्देश्यों में #Al for All (#एआई फॉर ऑल) यानी सभी लोगों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के द्वार खोलना और उन्हें उसके उपयोग के लिए प्रोत्साहित करना भी शामिल है।

भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग ने तीन मुख्य घटकों को निर्धारित किया है जो ‘ग्रेटर गुड’ की दिशा में काम करेंगे। ये तीन घटक निम्नलिखित  हैं –  

सामाजिक और समावेशी विकास के लिए ग्रेटर गुड के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता :

  1. इस घटक के माध्यम से, सामाजिक विकास और समावेशी विकास की प्रक्रिया को तेजी से बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें जीवन की गुणवत्ता में सुधार, लोगों की पहुंच में समानता, और समृद्धि में सामाजिक समावेश शामिल हैं।

भारत के लिए आर्थिक क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उपयोगिता और अवसर :

  • इस घटक के तहत, भारतीय आर्थिक क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उपयोगिता को बढ़ावा देने के लिए उच्च विकासशील तकनीकी और बुद्धिमत्ता के अवसरों का पुनर्निर्माण किया जा रहा है।

विश्व के 40% लोगों के लिए ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता गैराज : 

  • इस घटक के माध्यम से, भारत ने अपनी कृत्रिम बुद्धिमत्ता को विश्व के लोगों के साथ साझा करने और विश्व स्तर पर एक ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता गैराज’ बनाने का उद्देश्य रखकर उसे विकसित करने का कार्य कर रहा है।
  • इन तीनों घटकों के माध्यम से, नीति आयोग ने सामाजिक, आर्थिक, और विश्व स्तर पर देश की कृत्रिम बुद्धिमत्ता को बढ़ाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काम करने का प्रयास किया है। इससे न केवल भारत में विकास होगा, बल्कि यह विश्व समृद्धि में भी योगदान करेगा।

भारत के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग आर्थिक क्षेत्र में कई तरीकों से करने के लिए एक अवसर प्रदान कर सकता है। नीति आयोग ने इसे राष्ट्रीय रणनीति का हिस्सा माना है और इसे आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण औजार के रूप में स्वीकृत किया है।

  1. उत्पादन में वृद्धि : कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारत में उत्पादन के क्षेत्र में वृद्धि होने से आर्थिक क्षेत्र में वृद्धि होगी। यह नए और तीव्र गति से उत्पादन करने का अवसर प्रदान कर सकता है, जिससे भारत के बाजार में नए उत्पादों और सेवाओं का प्रवेश होगा।
  2. औद्योगिक विकास : कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी से औद्योगिक क्षेत्र में नवाचारों को प्रोत्साहित किया जा सकता है। इससे न केवल उत्पादकता में वृद्धि होगी, बल्कि यह आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा।
  3. सेवा क्षेत्र में सुधार : कृत्रिम बुद्धिमत्ता से सेवा क्षेत्र में भी सुधार हो सकता है। इससे सेवाओं की आपूर्ति में तेजी और गुणवत्ता में सुधार होगा।
  4. आर्थिक विकास में तेजी :  कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग से आर्थिक विकास में तेजी हो सकती है। नीति आयोग के अनुसार यह प्रौद्योगिकी भारत की विकास दर को बढ़ा सकती है।
  5. विश्व के अर्थव्यवस्था की समस्याओं का समाधान : भारत के इस उपयोग से विभिन्न समस्याओं के लिए मापनीय समाधान खोजने में विश्व के उद्यमों और संस्थानों के लिए एक आदर्श कार्यक्षेत्र उपस्थित हो सकता है। इससे विश्व की अर्थव्यवस्था को सुधारने में मदद मिल सकती है।
  6. जलवायु परिवर्तन के कारकों के प्रति अनुसंधान :  कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी की मदद से जलवायु परिवर्तन के कारकों की अनुसंधान की जा सकती है, जो कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं। इससे भारत के साथ – ही – साथ विश्व के अन्य विकासशील देशों के लिए भी उपयोगी तकनीकी समाधान मिल सकता है।
  • भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए राष्ट्रीय रणनीति के अंतर्गत नीति आयोग द्वारा चयनित क्षेत्रों की चर्चा में, नीति आयोग ने शिक्षा और कौशल क्षेत्र, कृषि क्षेत्र, स्वास्थ्य क्षेत्र, स्मार्ट मोबिलिटी और परिवहन, स्मार्ट सिटी और बुनियादी ढाँचा जैसे पाँच क्षेत्रों को चुना है। इन क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के माध्यम से विकास को बढ़ावा देने का उद्देश्य है।

 

  • नीति आयोग ने इस दिशा में कई पहलें भी की हैं। उदाहरास्वरूप –  ‘ सामाजिक – सशक्तीकरण के लिए ज़िम्मेदार कृत्रिम बुद्धिमत्ता 2020 ‘ (RAISE 2020) समिट का आयोजन, ‘ युवाओं के लिए  जिम्मेदार कृत्रिम बुद्धिमत्ता कार्यक्रम ‘ की शुरुआत, और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ ‘ यूएस इंडिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पहल ‘ (USIAI) की शुरुआत। इसके अलावा, भारत ने ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी’ (GPAI) समूह में शामिल होकर विश्व स्तर पर भी कई योजनाएं बनाई हैं।
  • इसके साथ – ही- साथ भारत में ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में भारतीय संस्थानों ने विभिन्न तकनीकी प्रगतियों की खोज और विकास में भी योगदान किया है। इसमें भारतीय रेलवे की एक शाखा द्वारा विकसित किए गए चैटबॉट ‘आस्कदिशा’, भारतीय विज्ञान संस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किए गए ‘कृत्रिम पत्ती’ और भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा तैयार किए गए सर्प रोबोट जैसे उदाहरण शामिल हैं। इन पहलों के माध्यम से भारत स्वतंत्रता और सामाजिक विकास की दिशा में अग्रसर हो रहा है और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग द्वारा चयनित पाँच क्षेत्रों की राष्ट्रीय रणनीति के तहत निर्देशित किया जा रहा है। इन पाँच क्षेत्रों में विकास की संभावनाएँ सबसे अधिक मानी जा रही हैं, और इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण स्थान है। इन पाँच क्षेत्रों का चयन निम्नलिखित है – 

  1. शिक्षा और कौशल क्षेत्र : शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों के माध्यम से भारत की शिक्षा व्यवस्था  को आधुनिकीकरण  करना और छात्रों को नई तकनीकों से अवगत कराना शामिल है ।
  2. कृषि क्षेत्र : भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के अग्रणी तकनीकी उपायों का उपयोग करके कृषि क्षेत्र में उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार करना शामिल है ।
  3. स्वास्थ्य क्षेत्र : भारत में चिकित्सा या सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी की  नई तकनीकों का उपयोग करके रोगों के निदान और उपचार में सुधार करना शामिल है।
  4. स्मार्ट मोबिलिटी और परिवहन :  भारत के परिवहन तंत्र के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करके परिवहन तंत्र के क्षेत्र को एकीकृत और स्मार्ट बनाया जा सकता है।
  5. स्मार्ट सिटी और बुनियादी ढाँचा :  भारत में शहरी विकास में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के  अधिकतम उपयोग करके स्मार्ट सिटी की बनावट में सुधार करना और बुनियादी ढाँचा में नए और सुरक्षित तकनीकों का अनुसरण करना शामिल है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी और भारत : 

  • भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है। अतः भारत में अनेक प्रकार की समस्याओं होने के साथ – ही – साथ उनकी बढ़ती मात्रा और उससे जुडी जटिलतायें भी  है। ऐसी परिस्थिति में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण समाधान प्रदान कर सकती है। नीति -निर्माताओं और विशेषज्ञों का मानना है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास से भारत को एक आदर्श क्षेत्र में बदला जा सकता है। इसलिए, भारत सरकार को इस क्षेत्र में अधिक से अधिक अनुसंधान को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए।
  • नीति आयोग ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के आधार पर भारत की संभावनाओं का विश्लेषण किया है और इसका अध्ययन किया है कि यदि इसे ठीक से उपयोग किया जाता है, तो इससे 2035 तक भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर का वृद्धि हो सकता है। इस सर्वे के अनुसार, भारत में अभी भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के विकास के लिए बड़ी संभावनाएं हैं, लेकिन इसके विकास में वर्तमान समय में कुछ खामियां भी मौजूद है।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का उपयोग अगर सही तरीके से किया जाता है तो वर्ष 2035 तक इससे देश की आर्थिक संवृद्धि में लगभग 3 प्रतिशत का योगदान हो सकता है। अतः नीति आयोग ने इस क्षेत्र में और अधिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी भारत के लिए एक सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक हो सकती है, और सरकार को इस दिशा में और भी कदम उठाने की जरूरत है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के विकास में भारत के समक्ष चुनौतियाँ और समाधान :

 

  1. जनसंख्या और शिक्षा : भारत में बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद भी शिक्षा क्षेत्र में विकास हो रहा है, लेकिन इसे तकनीकी शिक्षा में और बेहतरीन तरीके से समाहित करने की आवश्यकता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी को शिक्षा में एक प्रमुख साधन के रूप में शामिल करना चाहिए ताकि छात्रों को इसमें रुचि और समझ बढ़े।
  2. निवेश और अनुसंधान: कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के विकास के लिए अधिक निवेश और अनुसंधान की आवश्यकता है। सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर इसमें निवेश करने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि नई तकनीकों का अध्ययन और विकास हो सके।
  3. सामाजिक और नैतिक मुद्दे :  भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के उपयोग में नैतिकता और सामाजिक मुद्दों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। सामाजिक परिवर्तन के साथ इस तकनीकी विकास को समर्थन करने और सुनिश्चित करने के लिए उच्च नैतिक मानकों का पालन करना चाहिए।
  4. विदेशी निवेश : भारत को कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी में विदेशी निवेश की आवश्यकता है। भारत को  विदेशी कंपनियों को भी इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है ताकि भारत के तकनीकी विकास की गति में वृद्धि हो।
  5. बेरोजगारी का समाधान :  कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के विकास से भारत में नए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हो सकते हैं। इसे सरकार और निजी क्षेत्र के साथ मिलकर बेरोजगारी को कम करने में मदद करना चाहिए।
  6. पर्यावरणीय प्रभाव :  कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का विकास करते समय पर्यावरणीय प्रभावों का ध्यान रखना चाहिए। इसे पर्यावरण के साथ संगत बनाने के लिए उत्पादों और प्रक्रियाओं के प्रभाव को न्यूनीकरण करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

 

भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी से होने वाली हानियाँ :

  1. डेटा की बड़ी मात्रा में आवश्यकता : कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए अधिक मात्रा में डेटा की आवश्यकता होती है, और यदि डेटा की कमी होती है, तो इसका प्रभाव तकनीकी प्रदर्शन को असर कर सकता है।
  2. ऊर्जा उपभोग में वृद्धि : कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी पर आधारित उपकरण अधिक ऊर्जा उपभोग कर सकते हैं, जिससे विशेषकर उन्हें ठंडा करने के लिए ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  3. पर्यावरणीय प्रभाव : कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के उपयोग से उत्पन्न होने वाले रसायनिक अपशिष्ट और कार्बन फुटप्रिंट की वृद्धि पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकती है।
  4. निजता का हनन की संभावना  : कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी से उत्पन्न होने वाले बड़े डेटा संग्रहण के कारण व्यक्ति की निजता का खतरा बढ़ सकता है। जिसे व्यक्ति के निजता के हनन के रूप में भी देखा जा सकता है। 
  5. साइबर हमले और धोखाधड़ी की संभावना : कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के माध्यम से साइबर हमलों और धोखाधड़ी की संभावना बढ़ सकती है, जिससे साइबर सुरक्षा में नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
  6. आर्थिक असमानता में वृद्धि :  कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के प्रयोग से विकसित देश अधिक सक्षम हो रहे हैं, जबकि विकासशील और गरीब देश इसमें पिछड़ा होता जा रहा है, जिससे आर्थिक असमानता बढ़ सकती है।
  7. डेटा स्थानीयकरण का मुद्दा : डेटा स्थानीयकरण के प्रयास भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए एक चुनौती हो सकती है, जिससे उन्हें अधिक लागत और उसके नियंत्रण में अधिक कठिनाई हो सकती है।

इन हानियों के बावजूद, यह महत्वपूर्ण है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का विवेचना करते समय नैतिकता, सुरक्षा और प्रशासनिक प्रणालियों को मजबूत किया जाए ताकि इसका उपयोग सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए हो सके।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता और योग्यता का संबंध :

कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का विकास तेजी से हो रहा है और इसने कई क्षेत्रों में अद्वितीय योग्यता की मांग को तीव्र गति से बढाया है। मशीन लर्निंग, न्यूरल नेटवर्क्स, डीप लर्निंग, और नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग जैसी तकनीकें योग्यता में वृद्धि करने में मदद कर रही हैं। इन तकनीकों के माध्यम से, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी सिस्टम अपने आप सीख सकते हैं और अपनी को त्रुटियों की सुधार भी सकते हैं। इसके साथ – ही – साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी नई सूचना को स्वीकार कर सकते हैं, जिससे योग्यता में सुधार होता है।

  • रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO): भारतीय सेना के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में DRDO ने कई महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। इसमें उनके द्वारा विकसित किए गए सुपरकंप्यूटिंग सिस्टम, रोबोटिक्स, उच्च सुरक्षा उपकरण, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित सुरक्षा तंत्रों की शामिल है।
  • नीति आयोग की राष्ट्रीय रणनीति: नीति आयोग ने 2018 में ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित एक राष्ट्रीय रणनीति’ की घोषणा की है, जिसमें वह भारतीय सामर्थ्य को बढ़ावा देने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल करने की राहें बता रही है।
  • अन्य संस्थाएँ: भारत में विभिन्न संस्थाएँ जैसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs), और अन्य अनुसंधान संस्थाएँ भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में नवीनतम प्रौद्योगिकी का अध्ययन और अनुसंधान कर रही हैं।
  • उदारीकरण: नीति आयोग ने अपनी रणनीति में वैश्विक सहयोग और उदारीकरण को बढ़ावा देने का भी मुद्दा उठाया है। इससे भारत विश्व स्तर पर उन्नति करने की क्षमता प्राप्त कर सकता है।

इन प्रयासों के माध्यम से, भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है और विश्व स्तर पर भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

 कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में योग्यता को पुनः व्यवस्थित करने के उपाय :

  1. शिक्षा में नई प्रणालियों का अनुसरण :  कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में, शिक्षा में नई प्रणालियों का अनुसरण करना महत्वपूर्ण है। इसमें विद्यार्थियों को व्यक्तिगत रूप से ध्यान देने और उनकी योग्यता को विकसित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया जा सकता है।
  2. मानव – मशीन साथी का विकास :  कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में योग्यता को व्यवस्थित करने के लिए मानव-मशीन साथी का विकास करना आवश्यक है। इससे कर्मचारियों को उनके क्षमताओं का सही रूप से उपयोग करने में मदद मिल सकती है और उनकी योग्यता में सुधार हो सकता है।
  • योग्यता आधारित अधिगम :  कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग योग्यता आधारित अधिगम के लिए किया जा सकता है। यह सुनिश्चित कर सकता है कि प्रशिक्षण कार्यक्रम और सीखने का प्रक्रियाएं योग्यता को मजबूती से बनाए रखती हैं।
  • स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान : कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में योग्यता को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। यह स्वास्थ्य और तंत्रिका नेटवर्कों के माध्यम से व्यक्तिगत स्वास्थ्य सुझाव देने में मदद कर सकता है, जिससे लोगों को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है।
  • योग्यता के मानकों की  स्थापना : कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में, विभिन्न क्षेत्रों में योग्यता के मानकों का स्थापना करना महत्वपूर्ण है। ये मानक निर्धारित करेंगे कि व्यक्तियों और संगठनों की योग्यता में सुधार का प्रमाण हो रहा है और योग्यता को मापने का एक स्थायी तरीका प्रदान करेंगे।
  • नैतिक और सुरक्षित उपयोग : कृत्रिम बुद्धिमत्ता को नैतिक और सुरक्षित तरीके से उपयोग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि योग्यता को बढ़ाने के लिए इसका उपयोग सावधानीपूर्वक हो रहा है और इससे कोई सामाजिक या नैतिक समस्याएं उत्पन्न नहीं हो रही हैं।

निष्कर्ष / समाधान की राह : 

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में योग्यता को पुनः व्यवस्थित करना एक सामाजिक, आर्थिक, और तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण मुद्दा है। सही दिशा में और सही तरीके से इसका उपयोग करके हम एक उन्नत  सामर्थ्यशाली, उत्कृष्ट और समृद्धिशील समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी में छिपी संभावनाएं चुनौतियों की तुलना में सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए, विश्व के सभी समुदायों को मिलकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए और इसे वैश्विक भलाई और मानव कल्याण की दिशा में उपयोग करना चाहिए। 
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए उदार मनोभाव और समर्पण की आवश्यकता है, ताकि इस प्रौद्योगिकी से आने वाली चुनौतियों को समाप्त किया जा सके और मानव समाज को इससे लाभ प्राप्त  करने में सहायता मिल सके।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में भारत की प्रगति को देखते हुए, यह दिखता है कि देश ने इस क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और इसे आगे बढ़ाने के लिए अग्रसर है। भारत को अधिक से अधिक अनुसंधान और विकास में निवेश करना चाहिए, ताकि इस प्रौद्योगिकी के वास्तविक लाभ प्राप्त किए जा सकें।
  • भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी से वास्तविक लाभ हासिल कर और इसका अधिक से अधिक उपयोग करके अपने सतत विकास लक्ष्यों को भी प्राप्त कर सकेगा, जिससे भारत की  समृद्धि और उन्नति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

Download yojna daily current affairs hindi med 19th feb 2024

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में योग्यता को पुनः व्यवस्थित करने के उपाय के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। 

  1. कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में, शिक्षा में नई प्रणालियों का अनुसरण करना महत्वपूर्ण है।
  2.  कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में योग्यता को व्यवस्थित करने के लिए मानव-मशीन साथी का विकास करना आवश्यक है। 
  3. कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में योग्यता को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। 
  4. कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के उपयोग को व्यक्ति के निजता के हनन के रूप में भी देखा जा सकता है। 

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

(A)केवल 1 और 3 

(B) केवल 2 और 4 

(C ) इनमें से कोई नहीं ।

(D) इनमें से सभी।

उत्तर – (D)

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी से आप क्या समझते हैं ? भारत जैसे विकासशील देश के समक्ष कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के विकास में उत्पन्न चुनौतयों और उसके समाधान पर विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।   

 

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