केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023

केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023

( यह लेख ‘ संसद टी. वी.’, ‘बीबीसी न्यूज’, ‘द हिन्दू’, ‘ इंडियन एक्सप्रेस’, ‘पीआईबी’ और ‘ भारतीय पर्यटन मंत्रालय के आधिकारिक वेबसाईट ’, ‘ तेलंगाना पर्यटन मंत्रालय के आधिकारिक वेबसाईट ’ के सम्मिलित संपादकीय के संक्षिप्त सारांश से संबंधित है। इसमें योजना IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैंयह लेख  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के विशेषकर ‘ भारतीय इतिहास और कला एवं संस्कृति ‘  खंड से संबंधित है। यह लेख ‘ दैनिक करंट अफेयर्स ’  ‘केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023 ’ से संबंधित और प्रासंगिक है।)

सामान्य अध्ययन पेपर – 1: भारतीय इतिहास और कला एवं संस्कृति

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023 को विचार-विमर्श और अनुमोदन के लिए लोकसभा के समक्ष लाया गया था। विधेयक का प्राथमिक उद्देश्य तेलंगाना में एक केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित करना है, जिसे ‘सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय’ के रूप में नामित किया जाएगा।

पृष्ठभूमि:

  • यह विधेयक आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 में उल्लिखित प्रतिबद्धताओं/ नियमों  से उपजा है।
  • 2014 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम के परिणामस्वरूप आंध्र प्रदेश राज्य का विभाजन दो अलग – अलग स्वतंत्र राज्यों  तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्य के रूप में हुआ है ।
  • आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों को एक-एक जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए समर्थन का वादा किया गया था।

प्रमुख संशोधन:

  • केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023 के द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में संशोधन किए गए हैं।
  • केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 मूल रूप से विभिन्न राज्यों में शिक्षण और अनुसंधान के लिए विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए अधिनियमित किया गया था।
  • केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय का नाम:  इस केन्द्रीय विश्वविद्यालय का नाम रानी सम्मक्का और राजकुमारी सारक्का नामक प्रसिद्ध माँ-बेटी की जोड़ी के नाम पर रखा गया है।

क्षेत्रीय आकांक्षाएँ और सांस्कृतिक पहचान :

  • सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना सांस्कृतिक पहचान और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा करती है।
  • यह एक दीर्घकालिक समाधान के रूप में कार्य करता है, जो मुख्य रूप से भारत की जनजातीय आबादी के लिए उच्च शिक्षा और अनुसंधान के लिए अवसर प्रदान करता है।

रानी सम्मक्का और राजकुमारी सारक्का की कथा:

  • दक्षिण भारत के काकतीय राजवंश (एक दक्कन राजवंश) के सामंती प्रमुख पागिदिद्दा राजू से विवाहित सम्मक्का ने वारंगल क्षेत्र पर शासन किया था ।
  • उनके तीन संतान थे: – सारक्का/सरलम्मा, नागुलम्मा और जम्पन्ना
  • 13वीं शताब्दी में, कर लगाने का विरोध करने वाले स्थानीय शासकों के खिलाफ लड़ाई में सरलम्मा की मृत्यु हो गई, जबकि रानी सम्मक्का लड़ाई करती हुई पहाड़ियों में गायब हो गई।
  • स्थानीय (कोया वनवासी समुदाय ) आदिवासियों का यह मानना था कि सम्मक्का लड़ाई करती हुई एक सिन्दूर की ताबूत में बदल गई थी।

सम्मक्का सरलम्मा जतारा:

  • तेलंगाना के मुलुगु जिले में द्विवार्षिक रूप से आयोजित होने वाले इस मेले को ‘आदिवासियों के कुंभ मेले‘  के रूप में जाना जाता है।
  • यह महोत्सव कोया जनजाति लोगों पर कर लगाने के खिलाफ मां-बेटी की लड़ाई की याद दिलाता है।
  • सम्मक्का सरलम्मा जतारा को एशिया का सबसे बड़ा आदिवासी मेला माना जाता है, जो मेदाराम गांव में चार दिनों तक मनाया जाता है।
  • इस मेले को दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना में कुम्भ मेले के बराबर महत्व प्राप्त है ।

राजनीतिक और सांस्कृतिक महत्व:

  • वर्ष 1996 में इसे तेलंगाना का ‘ राज्य महोत्सव ’ घोषित किया गया है ।
  • इस महोत्सव में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय और तेलंगाना राज्य सरकार की नियमित भागीदारी होती है ।
  • ‘स्वदेश दर्शन योजना’ के तहत आदिवासी सर्किट विकास के लिए 75.88 करोड़ रुपए भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा आवंटित किया गया है ।
  • इस सर्किट में मुलुगु – लक्नवरम – मेदवरम – तडवई – दमारावी – मल्लुर – बोगाथा झरने शामिल हैं, जहां सम्मक्का-सारक्का मंदिर स्थित है।
  • मुलुगु, एक आरक्षित अनुसूचित जनजाति (एसटी) विधानसभा सीट है, जिसकी आबादी लगभग 2.6 लाख है, जिसमें 75% एसटी आबादी है।
  • यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल रामप्पा मंदिर,  मुलुगु से लगभग 15 किमी. की दूरी पर स्थित है।

स्रोत: https://prsindia.org/billtrack/the-central-universities-amendment-bill-2023

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1 सम्मक्का सरलम्मा जतारा निम्नलिखित में से किस राज्य से संबंधित है ? 

(a). तेलंगाना।

(b). ओडिशा।

(c). झारखंड।

(d). छत्तीसगढ़।

उत्तर: (a).

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न

Q.1. ‘ क्षेत्रीय आकांक्षाएँ और सांस्कृतिक पहचान ‘ के साथ ही नीति निर्माण में सामुदायिक भागीदारी पर विचार करते हुए आदिवासी समुदायों / समूहों के लिए शिक्षा, सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय के बीच के आपसी संबंधों का विश्लेषण करें।

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