केंद्र सरकार हैदराबाद राज्य की मुक्ति वर्ष स्मरणोत्सव आयोजित करेगी।

केंद्र सरकार हैदराबाद राज्य की मुक्ति वर्ष स्मरणोत्सव आयोजित करेगी।

केंद्र सरकार हैदराबाद राज्य की मुक्ति वर्ष स्मरणोत्सव आयोजित करेगी।

संदर्भकेंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी नेे तेलंगाना, महाराष्ट्र और कर्नाटक के मुख्य मंत्री को पत्र लिखा कि 17 सितंबर से हैदराबाद की तत्कालीन रियासत से मुक्ति के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक वर्ष तक स्मरणोत्सव मनाया जाएगा। 

हैदराबाद- वर्तमान में भारत के राज्य तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में है। जिसे इतिहास में गोलकुंडा के कुतुब शाही राजवंश के सुल्तानों ने बसाया था। गोलकुंडा का पुराना किला राज्य की राजधानी के रूप में अपर्याप्त साबित हुआ था। 

  • 1591 में कुली कुतुब शाह ने मुसी नदी के तट पर हैदराबाद नामक एक नया नगर बसाया था। 
  • 1685 में मुगलों(ओरंगजेब) ने हैदराबाद पर विजय प्राप्त की। यह समय हैदराबाद में अशांति का काल था।
  • मुगल वायसराय आसफजाह प्रथम ने 1724 में अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी और अब हैदराबाद के निजाम के रूप में स्वतंत्र राजशाही स्थापित की।
  • हैदराबाद की निजामशाही रियासत 17 सितम्बर 1948 तक बरकरार रही।
  • इस वर्ष 17 सितम्बर 2022 को हैदराबाद रियासत की समाप्ति की 75 वी वर्षगांठ है। जिसे वर्षभर मनाने की योजना है।

हैदराबाद की निजामशाही रियासत(1724-1948)

  • सन 1724 से निजामशाही रियासत के स्थापित होने के बाद से ही हैदराबाद सामरिक रूप से विशिष्ट स्थान था। यह भौगोलिक रूप से मद्रास, मध्य प्रांत और बॉमबे जैसे प्रमुख राज्यों के मध्य स्थित था। भौगोलिक व आर्थिक रूप से विशिष्ट होने के बाद भी हैदराबाद रियासत को अंग्रेजों द्वारा विशिष्ट स्थान नहीं मिल पाया।(1937 में टाइम पत्रिका के अनुसार हैदराबाद सबसे धनी राज्य था) 
  • प्रशासनिक रूप से निजामशाही 1798 में ब्रिटिश रियासतों में शामिल हो गई  किंतु आंतरिक प्रशासन पर निजाम ने अपना प्रभुत्व बनाए रखा। हैदराबाद रियासत हिंदू बहुल राज्य था फिर भी प्रशासन के सभी क्षेत्रों पर मुस्लिमों का एकाधिकार था।
  • हैदराबाद के अंतिम निजाम मीर उस्मान अली खां(1911-1948) थे।
  • भारत की स्वतंत्रता के समय 1947 में इन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के सम्मुख विशिष्ट गठबंधन करने की मांग रखी जिसमें 
  1. बरार को हैदराबाद रियासत को सौंपना तथा
  2. हैदराबाद को ब्रिटिश साम्राज्य का स्वतंत्र डोमेनियन बनाने की मांग रखी।

इन दोनों मांगों को माउंटबेटन ने अस्वीकार कर दिया।

  • माउंटबेटन के अनुसार बरार का राज्य लम्बे समय से केंद्र में शामिल है इसलिए क्षेत्रीय लोगों की सहमति से ही कोई परिवर्तन किया जा सकता है। तथा
  • हैदराबाद डोमिनियन की मांग इस तर्क के साथ अस्वीकार कर दी गई कि ब्रिटेन सरकार के अनुसार प्रस्तावित भारत व पाकिस्तान देशों के अधीन ही रियासतों के अस्तित्व को बचाया जा सकता है। दोनों मांगों के अस्वीकृत होने पर छेत्री के राजा के नेतृत्व में भेजा गया प्रतिनिधि मण्डल वापस हैदराबाद लौट आया।
  • इस बीच निजाम पाकिस्तान में विलय की बात करके भारत व पाकिस्तान के समर्थकों में फूट डालकर अपनी शक्ति पढ़ाने का प्रयास किया। साथ ही रियासत की प्रजा बारंबार अपने प्रशासनिक अधिकारों के लिए आंदोलन कर रही थी।
  • 08 अगस्त को निज़ाम ने फिर से माउंटबेटन को भारत के साथ विलय न करने की मांग दोहराते हुए लिखा-
  1. हैदराबाद अपनी स्वतंत्र संप्रभु राज्य की स्थिति को नहीं त्यागेगा, 
  2. स्वायत्तता के साथ ही भारत में शामिल होगा। जिसमें विदेशी शक्तियों के साथ रियासत स्वतंत्र होगी।

इन मांगों के अति जटिल होने के कारण यह अस्वीकृत कर दी गई क्योंकि यह अप्रत्यक्ष रूप से स्वतंत्र राष्ट्र की मांग को फिर से दोहरा रही थी। सरदार बल्लभ भाई पटेल ने स्वयं निजाम से भारत में सम्मिलित होने का आग्रह किया किंतु-

  • निजाम ने पाकिस्तान के समर्थन से 15 अगस्त 1947 को हैदराबाद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया।

एकीकरण से पूर्व हैदराबाद की स्थिति-

  • हिंदू बहुल राष्ट्र में राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए कई आंदोलन हुए, जिनमें आर्य समाज एक महत्वपूर्ण आंदोलन के रूप में दिखाई देता है।
  • निजाम के सामंतवादी नीतियों के खिलाफ आंदोलन।
  • इसके साथ ही हिंदू सामंतों का निजाम को समर्थन।
  • सशस्त्र कट्टरपंथियों के हिंदू प्रजा पर आक्रमण से स्थिति अनियंत्रित हो गई।

देशी रियासतों का एकीकरण- देश आजाद होने से पहले राष्ट्र कई प्रकार के प्रातों से मिलकर बना था जिसमें अंग्रेज, फ्रांस और पुर्तगाली राज्यों के साथ रजवाड़े, रियासतें भी शामिल थी। स्वतंत्रता से पूर्व भारत में 500 से अधिक रियासतें थी। इनमें से कुछ रियासतें भारत में, कुछ पाकिस्तान में और कुछ स्वतंत्र रहना चाहती थी। इन्हीं में से एक हैदराबाद रियासत थी जिसने स्वयं को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया था।

तत्कालीन भारत के गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने वी पी मेनन के साथ मिलकर रियासतों के विलयीकरण का कार्य प्रारंभ कर दिया। हैदराबाद, जम्मू कश्मीर, जूनागढ़ के अतिरिक्त लगभग सभी रियासतों को भारत में शामिल कर दिया गया। 

हैदराबाद में निजाम के स्वतंत्रता की घोषणा, हैदराबाद में भीषण कत्लेआम और भारतीय मुद्रा को हैदराबाद में चलाने से इंकार करने के बाद पटेल ने ऑपरेशन पोलो(13 सितंबर 1948 से 17 सितंबर 1948) की योजना बनाई।ऑपरेशन पोलो में-

  • इसमें 35000 भारतीय सैनिकों के सम्मुख निजाम के 22000 रजाकार थे।
  • सुंदरलाल समिति के अनुसार 40000 लोगों ने इस मिशन में अपनी जान गवाई।
  • निजाम की तरफ से कोई मदद नहीं मिली और निजाम की मात्र 5 दिन में पराजय हुई।
  • और 17 सितंबर को हैदराबाद रियासत को निजामशाही से मुक्ति मिली।

 

Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 3rd September

 

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