17 May खाद्य मुद्रास्फीति
खाद्य मुद्रास्फीति
स्रोत – वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के अनुसार खाद्य मुद्रा स्फीति में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। मार्च 2023 में खाद्य मुद्रा स्फीति की दर 2.32%से घटकर अप्रैल में 0.17% हो गई।
मुद्रा स्फीति
- मुद्रा स्फीति को महंगाई के तौर पर भी जाना जाता है।
- जिसमें वस्तुओं व सेवाओं की कीमतें बढ़ती हैं, अर्थात क्रय शक्ति गिरती हैं।
- मुद्रा स्फीति को मांपने के लिए थोक मूल्य सूचकांक WPI और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक CPI का प्रयोग किया जाता है।
खाद्य मुद्रा स्फीति, विशेष रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि को प्रदर्शित करता है। जैसे अनाज, फल, सब्जियां, दुग्ध उत्पाद आदि। खाद्य मुद्रा स्फीति का देश के जीवन यापन पर सीधा असर पड़ता है, यह देश के घरेलू बजट का एक बड़ा हिस्सा भी है।
आंकड़े
- खरीफ सीजन की सबसे बड़ी फसल चावल है। और अप्रैल के लिए चावल की मुद्रास्फीति (गैर-पीडीएस) 11.4 प्रतिशत थी।
- रबी की सबसे महत्वपूर्ण फसल गेहूं की मुद्रास्फीति अभी भी 15.5 प्रतिशत के उच्च स्तर पर है। कुल अनाज और उत्पाद मुद्रास्फीति अभी भी बहुत असुविधाजनक स्तर 13.7 प्रतिशत पर है।
- भारत की खाद्य मुद्रा स्फीति में सर्वाधिक योगदान दूध या दुग्ध उत्पादों का रहता है।
घरेलू मूल्य सूचकांक (सीपीआई)
- घरेलू मूल्य सूचकांक, घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा खरीदे गए सामानों के औसत मूल्य का एक सूचकांक है।
- औसत सामानों के मूल्य का आंकलन एक औसत जीवन जीने वाले शहरी परिवार के औसत घरेलू खर्च के रूप में किया जाया है।
- सीपीआई के अंतर्गत चार वर्ग आते हैं- औद्योगिक श्रमिक, खेतीहर मजदूर, ग्रामीण मजदूर, ग्रामीण/शहरी/संयुक्त।
- सीपीआई के लिए आधार वर्ष 2012 को माना जाता है।
भारतीय खाद्य मुद्रास्फीति की चुनौतियां
- खाद्य मुद्रास्फीति का नियंत्रण
- भारतीय सीपीआई में खाद्य और पेय पदार्थों का भारांक 45.86 प्रतिशत है,
- भारतीय खाद्य मूल्यों का सीपीआई जी20 देशों में सबसे अधिक है।
- समग्र मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए इस घटक को लगभग 4 प्रतिशत पर प्रबंधित करना महत्वपूर्ण है।
- खाद्य मुद्रा स्फीति को किसी भी माध्यम जैसे मौद्रिकनीति व राजकोषीय नीति से प्रतिबंधित या नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव
- भारतीय कृषि के एक बड़े क्षेत्र को सूखा व बाढ़ का सामना करना पड़ता है, 2023 में भारत में अल नीनो की घटना के आसार हैं। जो खाद्य पदार्थों(गेहूँ) की उपज को अत्यधिक प्रभावित करता है।
- बफर स्टॉकिंग
- गरीब कल्याण योजना के तहत इस योजना से प्रभावित लोगों को खाद्य मुद्रास्फीति के दुष्प्रभावों का सामना नहीं करना पड़ रहा है किंतु इसके कारण अनाज का उचित मात्रा में संग्रह कर पाना मुश्किल हो रहा है। जो खाद्य मूल्यों में बढ़ोतरी में सहायक सिद्ध हो रहा है।
- खाद्य पदार्थों के अनियंत्रित मूल्य को नियंत्रित करने के लिए बफर स्टॉकिंग को अधिक प्रभावी व बड़ी मात्रा में करना होगा।
- पेय पदार्थ
- भारत में सर्वाधिक प्रयोग होने वाला पेय पदार्य़ दूध व दूध से बनी सामग्री है जिसका भारतीय CPI में सर्वाधिक योगदान लगभग 12%रहा है। जो कि अन्य खाद्य पदार्थों के वजन की तुलना में भी सर्वाधिक है।
- पेय पदार्थों की बढ़ती मुद्रा स्फीति का एक कारण गायो में पिछले वर्ष से हो रही लंपी ढेलेदार रोग है।
जनवरी से मार्च के दौरान लगभग 3.4 मीट्रिक टन गेहूं की अनलोडिंग के मामले में गेहूं की थोक कीमतों में कमी आई, जिससे 26 मीट्रिक टन से अधिक की खरीद हुई। लेकिन गेहूं की खुदरा कीमत मुद्रास्फीति स्थिर है और अभी भी दो अंकों में है। दूध के मामले में नीति निर्माताओं ने पहले ही देर कर दी है।लेकिन उचित उपाय कर अब भी इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
आगे की राह–
- अनाज और दुग्ध मुद्रास्फीति पर ध्यान देने की जरूरत है, दोनों का सीपीआई में उच्च भार है।
- अनाज और दुग्ध मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत के आसपास रखने के लिए नीतिगत साधन बफर स्टॉकिंग नीति (खुले बाजार संचालन में अतिरिक्त स्टॉक को उतारना) और आयात नीति (आयात शुल्क को कम करना) हैं।
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