खूनी दरवाजे की घटना

खूनी दरवाजे की घटना

खूनी दरवाजे की घटना

संदर्भ- भारतीय इतिहास में दिल्ली स्थित खूनी दरवाजे की महत्वपूर्ण भूमिका है। मध्य काल में निर्मित यह इमारत आधुनिक काल में 1857 के विद्रोह व मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के इतिहास को निर्देशित करता है। 

दिल्ली गेट के पास स्थित लाल दरवाजा, दिल्ली में बचे हुए 13 दरवाजों में से एक है। जिसे 16वी शताब्दी में शेरशाह सूरी के कार्यकाल के दौरान बनाया गया था। शेरशाह के समय इस दरवाजे का प्रयोग अधिकतर काबुल से आने वाल लोगों द्वारा किया जाता था इसलिए इस दरवाजे को काबुली दरवाजा या काबुली बाजार का दरवाजा कहा जाता था। ब्रिटिश काल में लॉर्ड कर्जन ने अपने कार्यकाल के दौरान इस दरवाजे की मरम्मत की थी। इस गेट को 1857 की क्रांति की उग्रता के कारण खूनी दरवाजे की संज्ञा दी गई थी। 

वास्तुकला- 

  • खूनी दरवाजा की वास्तुकला मुगल और अफगान शैलियों का मिश्रण है। 
  • दरवाजे में क्वार्टजाइट पत्थर का प्रयोग हुआ है।
  • दरवाजे में तीन धनुषाकार प्रवेश द्वार हैं, जिनमें से मध्य द्वार सबसे विशाल है। गेट की ऊपरी मंजिलों में झरोखों वाली बालकनियाँ हैं जिनसे आसपास के क्षेत्र का दर्शन किया जा सकता है।
  • तीन मंजिल की इस संरचना की कुल ऊंचाई लगभग 50 फीट है और इसके अलग-अलग स्तर हैं, जिन तक तीन अलग-अलग सीढ़ियों से पहुंचा जा सकता है। 
  • गेट के सामने एक बड़ा प्रांगण है, जिसके बारे में इतिहासकारों का मानना ​​है कि अतीत में इसका उपयोग सार्वजनिक सभा स्थल के रूप में किया जाता था। आंगन एक ऊंची दीवार से घिरा हुआ है, और गेट के अंदर कई कक्ष और कमरे हैं।

खूनी दरवाजे की घटनाएं

(1) अब्दुर्रहीम खानेखाना(नवरत्न) के पुत्रों की हत्या-

अकबर के लम्बे शासन काल के कारण जहांगीर को शासक बनने के लिए लम्बे समय तक इंतजार करना पड़ा था। अकबर की मृत्यु के समय तक जहांगीर के पुत्र शाहजहां, जिनका अकबर ने भी समर्थन किया था, को अकबर के नवरत्नों का समर्थन प्राप्त था। जहांगीर के शासक बनने पर अकबर के नवरत्नों ने जहागीर का विरोध किया। विरोध के दमन के लिए जहांगीर ने अब्दुर्रहीम खानेखाना(नवरत्न) के पुत्रों को इसी दरवाजे पर मरवा दिया था।

(2) दारा शिकोह की हत्या

मुगल बादशाह शाहजहां को उसके पुत्रों ने कैद कर उत्तराधिकार का युद्ध शुरु किया जिसमें उसके चारों पुत्रों ने भाग लिया। उन्हीं में से एक औरंगजेब ने सभी भाइयों को पराजित करने के बाद दाराशिकोह(भाई) को मरवाकर उसके सिर को इसी खूनी दरवाजे पर लटका दिया था।  

(3) 1857 की क्रांति

भारत में 18-19 वी शताब्दी को परिवर्तन का काल माना जाता है। जो एक तरफ मुगल साम्राज्य के पतन और दूसरी तरफ ब्रिटिश शासन के उत्थान को निर्देशित करता है। जिसका परिणाम भारत में घृणित व खून खराबे की घटनाएं थी। इन्हीं घटनाओं में से एक खूनी दरवाजे की घटना भी थी।

  • मुगल साम्राज्य में सबसे अंतिम शासक बहादुर शाह जफर था, जिन्हें 1857 की क्रांति में अंग्रेजों के खिलाफ किए गए प्रयासों के कारण भी जाना जाता है, उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सैनिकों का नेतृत्व किया था। 1857 की क्रांति व अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध में विफलता के बाद बहादुरशाह व उसके परिवार ने आत्मसमर्पण कर दिया। 
  • लेखक सोहेल हाशमी के अनुसार बहादुरशाह जफर के परिवार को लॉर्ड हडसन ने गिरफ्तार कर लिया, और हुमायूं के मकबरे से लाल किले में ले जाते हुए उसके पुत्रों व पौत्र (मिर्जा मुगल व मिर्जा सुल्तान) के वस्त्र उतरवा कर इसी लाल दरवाजे के पास गोली मार दी।

स्वतंत्रता के समय भी इस क्षेत्र में कई आंदोलनकारियों को मौत के घाट उतार दिया गया था। अतः इस दरवाजे को उस समय देशद्रोहियों को दण्डित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। किंतु वास्तव में यह दरवाजे से संबंधित इतिहास विजित द्वारा पराजित व्यक्ति की नृशंस हत्या के उदाहरण पेश करता है।

स्रोत

Indianexpress.com

No Comments

Post A Comment