23 Dec गुजरात का वड़नगर
गुजरात का वड़नगर
संदर्भ- गुजरात के दो स्थलों को यूनेस्को की अस्थाय़ी सूची में रखा गया है- वड़नगर व मोढेरा का सूर्य मंदिर। ये दोनों ऐतिहासिक व पुरातात्विक रूप से भारत की धरोहर है। 2700 वर्ष पूर्व से यह नगर अबाध रूप से आबाद है। वर्ष 2006 से पुरातात्विक विशेषज्ञ इस स्थल की जाँच कर रहे हैं।
विश्व धरोहर स्थल – ऐसे स्थल जो यूनेस्को द्वारा विशेष मानदण्डों के आधार पर विश्व विरासत सूची में सम्मिलित किए जाते हैं,विश्व विरासत स्थल होते हैं।
ये मानदण्ड हैं-
- ऐतिहासिक
- प्राकृतिक
- सांस्कृतिक
यह मानवता की ऐतिहासिक, वर्तमान व भविष्य की पीढियों के लिए समान महत्व की होती हैं।
यूनेस्को की अस्थायी सूची- वर्ल्ड हेरिटेज कन्वेंशन के परिचालन दिशानिर्देशों के अनुसार, एक अस्थायी सूची उन संपत्तियों की एक “इन्वेंट्री” है, जिनके बारे में कोई देश विश्व धरोहर स्थल होने के योग्य मानता है।
यूनेस्को के विश्व विरासत सूची में शामिल होने की प्रक्रिया – यूनेस्को द्वारा अस्थायी सूची में एक संपत्ति शामिल करने के बाद, उस देश को एक नामांकन दस्तावेज तैयार करना होगा, जिस पर यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति द्वारा विचार किया जाएगा। इसके बाद यूनेस्को का मूल्यांकन और उनके प्रतिनिधि द्वारा निरीक्षण किया जाएगा।
वड़नगर- इसे वृद्धनगर, आनंदपुर, अनंतपुर के नाम से भी जाना जाता है। यह गुजरात के महेसाणा जिले में स्थित एक नगर है।
ऐतिहासिकता-
- वड़नगर का उल्लेख ऐतिहासिक पुराणों के साथ साथ चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी एक समृद्ध शहर के रूप मे किया है।
- बलुआ पत्थर से निर्मित बुद्ध की खण्डित मूर्ति तथा बुद्ध को एक बंदर द्वारा शहद की पेशकश करने वाले बुद्ध की मूर्ति पुरात्तवविदों द्वारा दूसरी शताब्दी की बताई जाती है।
- काले पालिश वाले मृदभाण्डों में देवश्री, शकस्य व धम्म उत्कीर्ण मिलता है।
- अर्जुन बाड़ी लेख से ज्ञात होता है कि कुमारपाल ने 1151ई. में वड़नगर की किलेबंदी की थी।
- यहां की स्थापत्य कला से 12वी सदी के सोलंकी शासकों के शासन के प्रमाण मिलते हैं।
- कहा जाता है ऐतिहासिक रूप से यह वड़ रियासत थी, जहां सूर्यवंशी क्षत्रिय कनकसेन का शासन था। कनकसेन ने वलभी को वड़नगर की राजधानी के रूप में स्थापित किया।
- अकबर के काल में मेघ मल्हार की गायिका ताना व रीरी की समाधि भी ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है।
स्थापत्य़ कला- धनुषाकार प्रवेश द्वार, शहर की किलेबंदी, आवासीय संरचनाएं, बौद्ध मठ और सबसे महत्वपूर्ण शहर की जल प्रबंधन प्रणाली शहर की निरंतरता के लिए महत्वपूर्ण रही है।
- बौद्ध मठ- यहां के किले के पास एक बौद्ध मठ मिला है, जिसमें दो स्तूप व खुला प्रांगण हैं। जिसके चारों ओर नौ कक्षों का निर्माण किया गया था। केंद्रीय प्रांगण के चारों ओर कक्षों के समूह को स्वास्तिक की संरचना दी गई है।
- कीर्ति तोरण- वड़नगर में कीर्ति तोरण किसी विजय का प्रतीक माना जाता है, इसका निर्माण लाल पीले बलुआ पत्थर से किया गया है। इसकी नक्काशी सिद्धपुर के रुद्र महल के समान प्रतीत होती है।
- अर्जुनबाड़ी गेट- सोलंकी शासक कुमारपाल के दरबारी श्रीपाल के द्वारा लिखित एक अभिलेख है। इसमें लाल बलुआ पत्थरों का प्रयोग किया गया है। गेट को मेहराबयुक्त बनाया गया है।
व्यापारिक केंद्र- वड़नगर भौगोलिक दृष्टि से दो मार्गों का केंद्र बिंदु था जो मध्य भारत को सिंध व उत्तर पश्चिम से जोड़ता था वहीं दूसरी ओर भारत के तटीय क्षेत्रों को उत्तर भारत के साथ सम्बद्ध करता है।
पुरातात्विक-
- वडनगर में सर्वप्रथम पुरातात्विक खुदायी 1953-54 में हुई थी। विशाल रूप में 2006 में खुदायी की गई। 2014 में बड़नगर के घसखोल, दरबारगढ़ व बड़ी गरबानो शेरी में खुदायी की गई।
- पुरातात्विक आधार पर इसकी प्राचीनता 750 ई. पू. तक है, वड़नगर में सतत व क्रमिक रूप से सात संस्कृतियों का उत्थान हुआ था।
- भारतीय पुरातात्विक विभाग के अनुसार वड़नगर के रोम के साथ संबंध के साक्ष्य मिले हैं, विभाग के अनुसार ग्रीको-भारतीय राजा अपोलोडोटस II (80-65 ईसा पूर्व) के एक सिक्के के सांचे में और एक रोमन सिक्के की मुहर में एक इंटैग्लियो (एक छपाई तकनीक) की खोज हुई है। इसमें कहा गया है कि इसका संबंध पश्चिम एशिया या रोम से भी हो सकता है।
स्रोत
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