गोंड समुदाय

गोंड समुदाय

गोंड समुदाय 

संदर्भ- हाल ही में उत्तर प्रदेश के चार जिलों में गोंड समुदाय को एसटी का दर्जा देने के लिए राज्यसभा ने विधेयक पारित किया है।

गोंड समुदाय 

  • भारत के आदिवासी समुदायों में गोंड, वृहत्तम आदिवासी समुदाय हैं।
  • गोंड शब्द की उत्पत्ति कोंड से मानी जाती है, द्रविड़ में जिसका अर्थ हरे भरे पहाड़ों में रहने वाले माना जाता है। इन्हें कोईतुरे भी कहा जाता है। 
  • गोंड दक्षिण के गोदावरी नदी घाटियों से उत्तर में विध्य पर्वत के विस्तृत क्षेत्र में फैले हैं। वर्तमान में यह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश, गुजरात, झारखण्ड, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल व उड़ीसा में निवास करते हैं।
  • भारत के संविधान में इन्हें अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित किया गया है।

उत्तर प्रदेश में गोंड जनजाति

  • उत्तर प्रदेश में गोंड की 5 उपजातियाँ भी हैं- धूरिया, नायक, ओझा, पठारी, राजगोंड आदि।
  • गोंड सहित अन्य उपशाखाओं को अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त था। 
  • उत्तर प्रदेश के चार जिलों चंदौली, भदोही, संतकबीरनगर, और कुशीनगर में इन समुदायों को एसटी का दर्जा देने को लिए मांग की जा रही है।

अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति में अंतर

अनुसूचित जाति

  • अनुसूचित जाति उन जातियों को कहा जाता था जिन्हें वर्षों से अछूत, अस्पृश्य,दलित व हरिजन की संज्ञा दी गई। इन जातियों को अनुसूचित करने का मुख्य उद्देश्य सामाजिक भेदभाव को दूर करना है।
  • सामाजिक भेदभाव को दूर करने के लिए संविधान में अनुसूचित जातियों के लिए कुछ प्रावधान किए गए हैं- जैसे नौकरियों व शिक्षा में प्रवेश हेतु आरक्षण दिया गया है।
  • संविधान में अनुसूचित जनजाति को अनुच्छेद 366(24) में परिभाषित किया गया है। इसके अनुसार वे जातियाँ जिन्हें अनुच्छेद 341 के तहत अनुसूचित जातियाँ माना गया है।
  • अनुसूचित जाति का सर्वप्रथम उल्लेख गर्वनमेण्ट ऑफ इण्डिया एक्ट 1935 में किया गया था। 
  • अनुसूचित जातिं को सरकारी नौकरियों में आरक्षण 15% था।

 अनुसूचित जनजाति

  • भारत की वे जातियाँ या समुदाय जो भारत की मुख्य धारा से विलग रह गई हैं। 
  • इन समुदायों का अपना अलग समाज, परिवेश व दिनचर्या होती है। ये शहरी या ग्रामीण जीवन से अलग जंगलों में रहना पसंद करते हैं।
  •  संविधान के अनुच्छेद 325 के अनुसार वे सभी जातियों जिन्हें अनुच्छेद 342 में स्थान दिया गया है। अनुसूचित जनजातियाँ हैं।
  • अनुसूचित जनजाति शब्द क प्रयोग सर्वप्रथम स्वतंत्र भारत के संविधान में किया गया।
  • वर्तमान में अनुसूचित जनजाति के लिए अनुसूचित जाति से अधिक उपयोजनाएं चलाई जा रही हैं।
  • अनुसूचित जनजाति का सरकारी नौकरियों में आरक्षण 7.5 % निर्धारित किया जाता है।

जनजाति को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने के लाभ- सरकार ने अनुसूचित जाति के लिए विशेष लाभ, विशिष्ट योजनाओं के द्वारा प्रदान किए गए हैं, जैसे-

जनजातीय उपयोजनाओं के लिए विशेष केंद्रीय सहायता- इसमें केंद्र द्वारा 100% का योगदान दिया जाता है। इस अनुदान का उपयोग एकीकृत जनजातीय विकास परियोजना, एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी, संशोधित क्षेत्र विकास दृष्टिकोण(MADA), विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह आदि।

संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत भारत सरकार, राज्यों को 100% सहायता अनुदान देती है। अब तक यह अनुदान भारत के 27 राज्यों (आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, मणिपुर, महाराष्ट्र, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल) को प्रदान किया जाता है।

विशेष रूप से कमजोर जनजातियों हेतु विकास परियोजनाएं- इसके अंतर्गत आवास, भूमि वितरण, कृषि विकास, ऊर्जा एवं जनश्री बीमा योजना के साथ सामाजिक सुरक्षा संबंधी योजनाएं लागू की गई हैं। (विशेष रूप से कमजोर जनजातियाँ विशेषकर अण्डमान व निकोबार में निवास करती हैं।)

जनजातीय उत्पादों के विकास व विपणन के लिए संस्थागत सहायता- इस योजना के तहत, राज्य जनजातीय विकास सहकारी निगमों (STDCCs) और भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (TRIFED) को सहायता अनुदान जारी किया जाता है, जो कि जनजातीय मामलों के मंत्रालय (MoTA) के तहत एक बहु-राज्य सहकारी संस्था है।

 योजना का उद्देश्य विशिष्ट उपायों जैसे (i) बाजार हस्तक्षेप; (ii) आदिवासी कारीगरों, शिल्पकारों, लघु वन उपज (एमएफपी) संग्राहकों आदि का प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन; (iii) अनुसंधान एवं विकास/आईपीआर गतिविधि; और (iv) आपूर्ति श्रृंखला अवसंरचना विकास द्वारा जनजातीयों की आजीविका को समर्थन देना है।

छात्रवृत्ति – अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति, पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति इसके साथ ही विदेश में प्रवासी पोस्ट ग्रेजुएट, पीएचडी, पोस्ट डॉक्टोरल छात्रों के लिए छात्रवृत्ति का प्रबंध किया गया है। 

स्रोत

https://ignca.gov.in/hi/divisionss/janapada-sampada/tribal-art-culture/adivasi-art-culture/the-gond-of-madhya-pradesh/

https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1539687

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